मध्य प्रदेश में अब विधानसभा चुनावों में ज्यादा वक्त नहीं बचा है। सभी राजनैतिक दल अपनी-अपनी चुनावी तैयारियों पूरा फोकस करने लगे हैं। इस बीच बसपा ने भी अपनी तैयारी तेज कर दी है, बल्कि चुनावी तैयारी में बसपा प्रमुख मायावती ने मध्यप्रदेश में बीजेपी और कांग्रेस दोनों दलों को पीछे छोड़ दिया है। उनसे सतना जिले की रामपुर बघेलान सीट से प्रत्याशी भी घोषित कर दिया है।
- मायावती ने किया एमपी पर फोकस
- अपना प्रदर्शन सुधारने में जुटी बसपा
- रामपुर बघेलान सीट से प्रत्याशी भी घोषित
- सभी 230 सीटों पर चुनाव लड़ेगी बसपा
- विंध्य, ग्वालियर चंबल और बुंदेलखंड पर फोकस
- 2008 में जीते थे बसपा के 7 विधायक
- 2013 में चार विधायकों से करना पड़ा मायावती को संतोष
दरअसल बसपा अपने गढ़ उत्तरप्रदेश में लगातार दो विधानसभा चुनाव से हार का सामना कर रही है। ऐसे अपने अस्तित्व को बचाने के लिए उसने फोकस मध्यप्रदेश पर किया है। यही वजह है कि बसपा ने चुनाव से चार माह पहले जुलाई में ही प्रत्याशी का एलान का दिया। हालांकि अभी एक ही सीट पर प्रत्याशी तय किया गया है। वैसे इसबार भी बसपा का सभी 230 सीटों पर चुनाव लड़ने का प्लान है। उसने अपने सबसे मजबूत माने जाने वाले विंध्य और ग्वालियर -चंबल अंचल में प्रत्याशी घोषित करने की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। इसकी वजह से यह तो तय है कि बसपा की इन सीटों पर जीत हो या न हो लेकिन वह कांग्रेस और बीजेपी का चुनावी गणित जरुर पूरी तरह से बिगाड़ सकती है।
चुनाव से पहले मायावती की होंगी जनसभाएं
चुनावों तक बसपा सुप्रीमो मायावती मध्यप्रदेश में 3 से 4 बड़ी जनसभाएं भी कर सकती हैं। यही नहीं बसपा के प्रदेश प्रभारी ने भोपाल में जिला अध्यक्षों और पार्टी प्रभारियों की बैठक के बाद कहा कि पूर्ववर्ती कमलनाथ सरकार ने उनकी पार्टी के विधायकों को तोड़ने काम किया था ऐसे में अब निर्णय किया गया है कि किसी भी सरकार को बाहर से समर्थन नहीं दिया जाएगा। बल्कि पार्टी अब सरकार में शामिल होकर काम करेगी। उन्होंने सभी 230 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का भी एलान किया। बसपा नेताओं का कहना है कि मध्यप्रदेश में हर बूथ 10 यूथ योजना तैयारी की गई है। जिस पर काम किया जा रहा है। उनका दावा है कि जल्द ही 50 प्रतिशत टिकट फाइनल किये जा सकत हैं। इसकी तैयारी की जा रही है। इस इस बार बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, एससी-एसटी पर अत्याचार जैसे मुद्दों को लेकर चुनाव मैदान में नजर आएगी। पार्टी के नेताओं का कहना है कि बसपा को भीम आर्मी और आम आदमी पार्टी जैसे दलों से कोई खतरा नहीं है। क्योंकि उनकी पार्टी का अपना पारम्परिक वोट बैंक है। भीम आर्मी जैसे संगठन भीड़ तो जमा लेते हैं पर उन्हें कभी भी वोटों में तब्दील नहीं कर सकते।
उपचुनाव में 5 सीटों पर बिगाड़ चुकी है कांग्रेस का गणित
मध्य प्रदेश में 2020 के विधानसभा उपचुनाव में दो सबसे बड़े किरदार थे। जिनमें पहले थे ज्योतिरादित्य सिंधिया और और दूसरा बसपा। इसमें तब बसपा कांग्रेस के लिए वोट कटवा साबित हुई थी। बसपा की वजह से ही उपचुनाव में कांग्रेस को पांच सीटों का बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था। जिसकी वजह से बीजेपी 19 सीट जीतने में कामयाब हो गई थी। कांग्रेस को उपचुनाव में 9 सीट पर ही जीत मिली थी। इनमें जौरा,मेहगांव, मल्हरा, भांडेर और पोहरी जैसी विधानसभा सीटों पर नजर डाले तो वहां कांग्रेस की हार के लिए बसपा ही जिम्मेदार रही। जौरा में बसपा-कांग्रेस के वोट प्रतिशत को मिला दें, तो यह बीजेपी से 20 फीसदी अधिक हो रहे थे, लेकिन वोट बंटने से बीजेपी आसानी से जीत गई।
एमपी में बीजेपी और कांग्रेस के बाद बसपा
मध्य प्रदेश में बीजेपी और कांग्रेस के बाद बसपा का नंबर आता है। बसपा एक ऐसा दल है जिसका वोट बैंक अलग दिखाइ देता है। साल 2003 के विधानसभा चुनाव में बसपा के दो विधायक जीतकर आए थे। कुल वोट 7.26 प्रतिशत मिले थे। जबकि पांच साल बाद 2008 में उसके वोट प्रतिशत में वृद्धि हुई थी। उसे 8.97 प्रतिशत वोट मिले थे। उसके 7 विधायक चुनकर विधानसभा पहुंचे थे। 2013 में मत प्रतिशत 6.29 रहा। उसके 4 ही विधायक जीत सके। मतदान के प्रतिशत को पर गौर करें तो यह लगातार कम हो रहा है। बसपा की अपने परंपरागत वोट बैंक पर पकड़ ढीली होती जा रही है। पिछले नगरीय निकाय चुनाव में भी उसके महज 56 पार्षद ही चुनाव जीत सके। इसी तरह के हालात जिला और जनपद पंचायत के चुनाव के परिणाम भी रहे। जिला और जनपद पंचायत में बसपा समर्थित 168 सदस्य ही चुनकर आ सके।
2018 में कई सीटों पर दूसरे नंबर रहे बसपा प्रत्याशी
पिछले 2018 के विधानसभा चुनाव में बसपा भले ही एक सीट दमोह की पथरिया जितने में कामयाब रही हो लेकिन उसके कई प्रत्याशियों ने कड़ी टक्कर देते हुए दूसरा स्थान पाया था। बीते चुनाव में कई विधानसभा सीटों पर बसपा न केवल मुख्य मुकाबले में रही, बल्कि कई सीट तो ऐसी हैं जहां पर उसके प्रत्याशी दूसरे स्थान पर भी रह चुके हैं। बसपा की ओर से की जा रही तैयारियों के तहत जल्द ही 50 फीसदी टिकट घोषित किये जा सकते हैं। पार्टी प्रदेश में विंध्य – चंबल क्षेत्र की करीब सौ सीटों पर विशेष फोकस कर रही है। 2018 में भिंड से विधायक चुने गए संजीव कुशवाह बसपा की बड़ी ताकत थे लेकिन राष्ट्रपति चुनाव के समय संजीव ने पाला बदला और वे बीजेपी में शामिल हो गए। अब बसपा के पास विधायक रामबाई ही अकेली विधायक रह गई हैं। ऐसे में लगातार कमजोर होती स्थिति को मजबूत करने के लिए बसपा ने विंध्य, ग्वालियर, चंबल और बुंदेलखंड क्षेत्र में विशेष ध्यान देने का निर्णय लिया है।