जोमैटो को साठ हज़ार के पड़ गए मोमोज़। जी हाँ..!! दरसअल कर्नाटक के एक कंज्यूमर कोर्ट ने जोमैटो को ऑनलाइन आॉर्डर किये गए मोमोज़ डिलीवर ना करने पर धारवाड़ में रहने वाली एक महिला को 60,000 रुपये देने का आदेश दिया है।
*क्या है पूरा मामला
ये पूरा किस्सा पिछले साल शुरू हुआ था। जब धारवाड़ रहवासी शीतल ने 31 अगस्त 2023 को जोमैटो से ऑनलाइन मोमोज़ ऑर्डर किये और गूगल पे के जरिए 133.25 रुपये का भुगतान भी किया। ऑर्डर करने के तकरीबन 15 मिनट बाद उन्हें मैसेज मिला जिसमे लिखा था की उनका ऑर्डर डिलीवर हो गया है। हालाकि उन्हें न तो ऑर्डर मिला था और ना ही कोई डिलीवरी एजेंट उनके घर आया था। जब शीतल ने रेस्टोरेंट से पूछा, तो उन्हें बताया गया कि डिलीवरी एजेंट ने उनसे आर्डर ले लिया है। शीतल ने वेबसाइट के ज़रिए डिलीवरी एजेंट के बारे में पता करने की कोशिश की, लेकिन एजेंट ने कोई जवाब नहीं दिया।
*जोमैटो में की शिकायत
इसके बाद शीतल ने जोमैटो में ईमेल के माध्यम से शिकायत की। इसके बाद उन्हें 72 घंटे तक का इंतज़ार करने के लिए कहा गया। जोमैटो से कोई भी जवाब ना मिलने पर शीतल ने 13 सितम्बर को जोमैटो को एक कानूनी नोटिस भेज दिया। लीगल नोटिस के जवाब में जोमैटो के वकील ने अदालत में आरोपों से इनकार कर दिया। हालाँकि जब अदालत में शीतल ने साबूत पेश किये तो यह साबित हो गया की जोमैटो ने महिला की शिकायत पर जवाब देने के लिए 72 घंटो का समय माँगा था। मगर कंपनी ने इसके बाद को जवाब नहीं दिया। इसलिए कंपनी की बात पर विश्वास करना मुश्किल था।
*आयोग ने जोमैटो को दिया निर्देश
आयोग ने कहा की जोमैटो ग्राहक द्वारा दिए गए ऑनलाइन फ़ूड आर्डर को उन तक पहुंचाने का बिज़नेस कर रही है। पैसे मिलने के बावजूद जोमैटो ने शिकायतकर्ता को उनका आॉर्डर नहीं पहुँचाया। इन सारी बातों पर गौर करने के बाद हमारी राय में शिकायतकर्ता के दावे सही है और जोमैटो को भुगतान करना होगा।
*60 हजार मुआवजा…
आयोग ने शीतल को हुई असुविधा और मानसिक पीड़ा के लिए मुआवजे के रूप में 50,000 रुपये और मुक़दमे की लागत के लिए 10,000 रुपये का भुगतान करने का जोमैटो को आदेश दिया।