संघ मुख्यालय शस्त्र पूजा के बाद मोहन भागवत ने कहा… ‘अब भारत दुर्बल नहीं’
विजयदशमी पर संघ प्रमुख डॉ.मोहन भागवत ने नागपुर स्टेशन मुख्यालय में शस्त्र पूजा की।आरएसएस प्रमुख ने विजयादशमी समारोह के के दौरान अपने कहा संबोधन में कहा कि सामाजिक सद्भाव के साथ एकता के लिए जाति और धर्म से ऊपर उठकर सभी लोगों के बीच मैत्री का होना बहुत आवश्यक है प्रमुख ने कहा कि लेकिन बांग्लादेश में यह बात फैलाई जा रही है कि भारत उसके लिए एक बड़ा खतरा है।
मोहन भागवत ने कहा
हमारे समाज में जिसे लोग प्रेरणा लेते हैं। जिनको देखकर लोग आगे बढ़ते हैं। या जिनको बड़ा माना जाता है। उन्होंने कहा ऐसे लोगों का अनुसरण कर यह देखना चाहिए कि कौन सा अच्छा काम कर रहे हैं जिसका अनुकरण किया जा सके उन्हें ऐसा करना है। जिससे समाज को किसी तरह का धक्का नहीं लगे। भागवत ने कहा कि कुछ ऐसा ही भारत के साथ भी है। भारत को अब भारत को अब शक्ति संपन्न बनना पड़ेगा। अब दुर्बल रहने का वक्त नहीं है और दुर्बल रहने से काम नहीं बनेगा।
संघ प्रमुख ने कहा कि देश में
सामाजिक सद्भाव के साथ एकता के लिए जाति और धर्म से ऊपर उठाना होगा ऊपर उठकर देश में व्यक्तियों और परिवारों के बीच मैत्री का होना जरूरी है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक प्रमुख चीफ डॉ.मोहन भागवत ने विजयादशमी कार्यक्रम में अहिल्यबाई होल्कर और दयानन्द सरस्वती जैसी महान हस्तियों स्मरण करते हुए कहा महान विभूतियों ने अपने लिए कुछ नहीं किया, जो कुछ भी किया जो कुछ भी किया समाज और देश के लिए किया। इससे पहले मोहन भागवत ने महाराष्ट्र के नागपुर स्थित संघ मुख्यालय में वार्षिक विजयादशमी उत्सव में ‘शस्त्र पूजा’ कर कार्यक्रम की शुरुआत की। बता दे की नागपुर स्थित संघ मुख्यालय में हर साल विजयदशमी के मौके पर शस्त्र पूजा का आयोजन किया जाता है। हर साल इस बार भी दशहरे के अवसर पर शस्त्र पूजन का कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें संघ प्रमुख डॉक्टर मोहन भागवत ने स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा सभी का य़ह मानना है कि पिछले कुछ सालों में भारत आर्थिक और दूसरे विषयों को लेकर इसके साथ ही वैश्विक स्तर पर अधिक सशक्त हुआ है विश्व में भारत की साख भी बढ़ी है
देश को जानने के लिए देश का भ्रमण जरूरी
प्रमुख डॉक्टर मोहन भागवत ने कहा कि देश को जानने के लिए देश का भ्रमण करना बहुत जरूरी है। मोहन भागवत ने स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए देश के लोगों से भारत में घूमने-फिरने की अपील की। उन्होंने कहा कि ‘घर के अंदर भाषा, भोजन, वेशभूषा अपनी अपनी अपनी होनी चाहिए यह हमारा और आपका अधिकार भी है। इसके साथ ही हमें अपने देश को जानने के लिए देश के अलग-अलग स्थानों का भ्रमण करना चाहिए। डॉ मोहन भागवत ने कहा कि भ्रमण ऐसा होना चाहिए जिसमें अपने देश को जनाने को अवसर मिले।