केंद्र की मोदी सरकार ने लोकसभा चुनाव 2024 से पहले बड़ा कदम उठाते हुए नागरिकता संशोधन अधिनियम यानी सीएए लागू करने का फैसले पर मुहर लगा दी है। केन्द्रीय गृह मंत्रालय के अनुसार इस कानून के नियम-कायदों को 11 मार्च को अधिसूचित कर दिया गया है।
- केंद्र सरकार ने लागू किया सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट
- केन्द्रीय गृहमंत्रालय ने CAA का नोटिफिकेशन किया जारी
- आज से कानून देशभर में लागू
- गैर- मुस्लिम शरणार्थियों को मिलेगी नागरिकता
- पाकिस्तान,बंगलादेश और अफगानिस्तान के शरणार्थी को मिलेगा लाभ
- CAA लागू होते ही असम में विरोध प्रदर्शन
- अखिल छात्र संस्था तिनसुकिया ने किया विरोध प्रदर्शन
- केंद्रीय गृह मंत्रालय के CAA को लागू करने का विरोध
- प्रदर्शन को रोकने के लिए पुलिस ने संभाला मोर्चा
- लखनऊ में CAA लागू होते ही सुरक्षा को लेकर अलर्ट
- DGP प्रशांत ने सभी जिलों को अलर्ट रहने के दिये आदेश
- अलग-अलग इलाको में पुलिस पेट्रोलिंग करते आए
केंद्र सरकार का यह फैसला बांग्लादेश से आने वाले हिंदू शरणार्थियों के लिए उम्मीद लेकर आया है। वहीं पाकिस्तान से प्रताड़ित होकर आने वाले हिंदू और सिख शरणार्थियों को भी इससे बड़ी राहत मिलेगी। आंकड़ों के मुताबिक साल 2014 तक पाकिस्तान और अफगानिस्तान से करीब 32 हजार लोग भारत आ चुके हैं। अब भारत में CAA लागू होने से इन सभी को यहां की नागरिकता मिलने का रास्ता साफ हो गया है। बता दें केन्द्रीय गृह मंत्रालय की ओर से सीएए लागू करने की दिशा में ठोस प्रयास किये गये। केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल में 27 दिसंबर 2023 को की गई घोषणा में कहा था कि CAA देश का कानून है। इसे लागू होने से कोई रोक नहीं सकता।
11 दिसंबर 2019 को लगी थी संसद से मुहर
देश की संसद ने सीएए पर 11 दिसंबर 2019 को मुहर लगा दी थी। हालांकि केन्द्र सरकार इस कानून को लागू करने के लिए नियम-कायदे बनाने को लेकर दी गई समय सीमा करीब 8 बार बढ़ा चुकी है। भारतीय नागरिकता कानून 1955 में बदलाव के लिए 2016 में नागरिकता संशोधन विधेयक 2016 यानी सीएबी संसद में पेश किया गया था। यह लोकसभा में 10 दिसंबर 2019 और अगले दिन राज्यसभा से पास किया गया। इसे 12 दिसंबर को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही सीएए कानून बना, जो अब लागू किया गया है।
भारतीय नागरिकता कानून में अब तक 6 संशोधन
भारतीय नागरिकता कानून 1955 में अब तक करीब 6 बार संशोधन किये गये। जिसमें साल 1986, 1992, 2003 और 2005 के बाद 2015 के साथ 2019 में संशोधत किया गया। संशोधित कानून में अवधि को घटाकर 6 साल कर दी है। इसके बाद नागरिकता संशोधन विधेयक का देश के पूर्वोत्तर राज्यों खासकर बांग्लादेश की सीमा से लगे असम और पश्चिम बंगाल में काफी विरोध किया गया था। असम में लोगों ने तर्क दिया था कि बांग्लादेश से बड़ी तादाद में आए हिंदुओं को नागरिकता दिये जाने से यहां के मूल निवासियों के अधिकार खत्म होंगे। इससे पहले भारतीय नागरिकता लेने के लिए भारत में करीब 11 साल रहने की प्रतिबद्धता थी। केंद्र सरकार की ओर से असम में नेशनल सिटीजन रजिस्टर एनआरसी भी लाया गया था। जिसका मकसद असम में रह रहे घुसपैठियों की पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई करना था। अब सीएए के ऑनलाइन पोर्टल को भी रजिस्ट्रेशन के लिए तैयार किया गया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से इसका ड्राई रन भी कर लिया है। सूत्रों ने कहा कि सीएए इन पड़ोसी देशों के उन शरणार्थियों की मदद करेगा। जिनके पास दस्तावेज नहीं हैं। मंत्रालय को लंबी अवधि के वीजा के लिए सबसे ज्यादा आवेदन पाकिस्तान से मिले हैं।
11 दिसंबर 2019 को लगी थी मुहर
केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह दो महीने में कई बार कह चुके थे कि सीएए लोकसभा चुनाव से पहले लागू किया जाएगा। यह देश का कानून है। इसे कोई नहीं रोक सकता। संसद ने इस बिल पर 11 दिसंबर 2019 को अपनी मुहर लगाई थी। हालांकि सरकार की ओर से इस कानून को लागू करने के लिए जो नियम-कायदे बनाने की समय सीमा तय की थी उसे 8 बार बढ़ा चुकी है।