हाल ही में महाराष्ट्र की एनसीपी में बगावत हुई और चाचा शरद पवार को झटका देकर भतीजे अजित पवार ने अपना पावर दिखा दिया। अजित उप मुख्यमंत्री बन गए और कई विधायकों को अपने साथ ले गए। महाराष्ट्र की इस सियासी उथल पुथल का असर बिहार पहुंच गया। जहां सीएम नीतीश कुमार को लेकर कई तरह की अटकलें शुरु हो गईं यहां तक की दिल्ली भी इससे अछूती नहीं रही। परिणाम ये हुआ कि मोदी कैबिनेट में फेरबदल को लेकर कई तरह की चुनौतियां खड़ी हो गईं।
इसलिए अटका मोदी कैबिनेट का फेर बदल
बीते एक सप्ताह से केंद्र की मोदी सरकार में फेरबदल को लेकर कायास लगाए जा रहे है। कौन कैबिनेट में भीतर होगा और कौन बाहर जाएगा,इसको लेकर भी चर्चाएं हैं। फेरबदल कब होना है इसका अभी किसी को पता नहीं हैं। इसी बीच महाराष्ट्र में सियासी उठापटक हुई। इससे भाजपा के कई दिग्गजों को एडजस्ट करना पार्टी के लिए मुसीवत बन गया। इसके चलते केंद्र में कैबिनेट का फेरबदल भी अटका हुआ बताया जा रहा है।
तैयार की जा रही जमीन
भाजपा के संगठन में हुए फेरबदल के साथ ही मोदी कैबिनेट में होने वालीं चर्चाएं में गति पकड़ने लगीं हैं। भाजपा ने जी किशन रेड्डी को तेलंगाना का अध्यक्ष बनाया गया है। रेड्डी अब तक पर्यटन मंत्री हैं।अब वह पद छोड़ेंगे तो निश्चित तौर केंद्रीय मंत्री के तौर कोई दूसरा नेता आएगा। इसके अलावा कुछ और नेताओं को मंत्री बनाया जा सकता है,जबकि कुछ मंत्रियों की संगठन में वापसी होने की भी चर्चा है। इस तरह से मोदी कैबिनेट के लिए जमीन तैयार की जाने लगी है।
देरी में एक कारण ये भी है
मोदी कैबिनेट में फेरबदल में हो रही देरी के पीछे एक कारण यह भी माना जा रहा है कि सीआर पाटिल को संगठन में काम करने का बेहतर अनुभव है उनके अनुभवों के चलते उन्होंने गुजरात में शानदार प्रदर्शन किया था। अब भाजपा चाहती है कि उनके अनुभव का फायदा पूरे देश को मिलना चाहिए। पाटिल के अलावा मध्य प्रदेश से ब्राह्मण नेता वीडी शर्मा को लेकर भी चर्चाएं चल रहीं है। खजुराहो से सांसद शर्मा को दिल्ली लाने का फैसला लगभग हो चुका है। लेकिन उनके उत्तराधिकारी को लेकर संशय है। इसलिए मध्यप्रदेश में अध्यक्ष बदलने को लेकर बिलंब हो रहा है। बताया जा रहा है कि वीडी शर्मा की जगह केंद्रीय नरेंद्र सिंह तोमर,प्रहलाद पटेल एवं सांसद सुमेर सिंह सोलंकी के नामों पर चर्चा हो रही है।