मध्य प्रदेश में पिछले पन्द्रह साल के बाद में जिसने भी महिला और बाल विकास विभाग की जिम्मेदारी संभाली, उसे या तो अपना मंत्री पद खोना पड़ा है या विधायक का चुनाव नहीं जीत सके, यह पद भी गंवाना पड़ा है। प्रदेश के छह महिला नेत्रियों के इस विभाग के मंत्री रहने के बाद के घटनाक्रम तो इसी की ओर इशारा कर रहे हैं। अब मुख्यमंत्री के पद पर मोहन यादव की ताजपोशी के बाद पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान को लेकर भी इस तरह की बातें कही जा रही हैं जो सियासी सुर्खियां बन गई हैं।
- मध्य प्रदेश में हार का सबब महिला बाल विकास!
- महिला और बाल विकास विभाग की जिम्मेदारी संभाली, मिली हार
- खोना पड़ी कुर्सी,या हारे विधायक का चुनाव
- छह महिला नेत्रियों को मिली विभाग के मंत्री रहते हार
- मोहन यादव की ताजपोशी के बाद शिवराज की भी छिन गई कुर्सी
- शिवराज सिंह चौहान पास थी विभाग की जिम्मेदारी
इमरती देवी के हारने के बाद शिवराज के पास था महिला बाल विकास विभाग
दरअसल पूर्व सीएम श्यिावराज सिंह चौहान 2021 में इमरती देवी के चुनाव हारने के बाद महिला और बाल विकास विभाग अपने पास रखे हुए थे। उन्होंने किसी को इस विभाग का मंत्री नहीं बनाया था। अब चौहान के सीएम पद से हटने के बाद महिला और बाल विकास विभाग के अधिकारी सबसे अधिक खुश हैं। इस विभाग के अफसरों के सोशल मीडिया ग्रुप्स पर उन मंत्रियों के नाम कल से वायरल हो रहे हैं, जो विभाग के मंत्री रहे और फिर अगले चुनाव में न विधायक न मंत्री बन सके। महिला और बाल विकास विभाग के अधिकारियों का कहना है कि उनसे लाड़ली लक्ष्मी, लाड़ली बहना ही नहीं दूसरी विभागीय योजनाओं को लेकर काम तो जमकर कराया जाता था। लेकिन जब अधिकारियों की हित की बात होती, तो उन्हें नजरअंदाज कर दिया जाता। अब उम्मीद है कि शायद प्रदेश के नए मुख्यमंत्री उनकी समस्याओं की सुध लें।
मंत्री पद से विधायकी खोने का सफर
पूर्व मंत्री इमरती देवी की बात करें तो वे पहले 2018 में बनी कमलनाथ सरकार और फिर बीजेपी की शिवराज सरकार में महिला और बाल विकास विभाग की मंत्री रहीं, उन्होंने इस विभाग की जिम्मेदारी संभाली थीं लेकिन वे पिछले 2020 के उपचुनाव में हार गई थीं। उन्हें सुरेश राजे ने हराया था। इस बार के चुनाव में भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा। वो भी राजे से ही।
2018 में हारीं अर्चना चिटनिस
2018 के विधानसभा चुनाव से ठीक दो साल पहले महिला एवं बाल विकास विभाग का मंत्री बनाया गया था, लेकिन 2018 के चुनाव में वे बुरहानपुर विधानसभा सीट से चुनाव हार गई। उन्हें निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा ने हराया था। हालांकि वे 2023 के चुनाव में जीतकर आईं हैं।
माया सिंह 2013 में रहीं मंत्री
माया सिंह 2013 में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद महिला और बाल विकास विभाग की मंत्री बनाई गई थीं। लेकिन इसके पांच साल बाद हुए 2018 के चुनाव के दो साल पहले ही उनका विभाग बदल दिया गया। हांलांकि इसके बाद 2018 में चुनाव हुए तो माया सिंह को टिकट नहीं दिया गया और इस बार 2023 में वे चुनाव हार गईं।
इन महिला मंत्रियों को भी मिली चुनाव में हार
2018 में हुए विधाानसभा चुनाव के पहले महिला बाल विकास विभाग में ललिता यादव को राज्यमंत्री बनाया गया था। लेकिन वे भी 2018 का चुनाव हार गईं। हालांकि इस बार 2023 में वे चुनाव जीत गईं हैं।
कुसुम सिंह महदेले साल 2003 में मध्य प्रदेश में बीजेपी सरकार बनने के बाद महिला एवं बाल विकास विभाग की मंत्री बनाई गईं थीं लेकिन इसके पांच साल बाद 2008 के विधानसभा चुनाव में उन्हें इसी विभाग का मंत्री रहते हुए मात्र 48 वोटों से हार का सामना करना पड़ा था। आदिवासी अंचल से चुनकर आने वालीं रंजना बघेल को भी इसी विभाग की जिम्मदारी संभालते हुए हार का सामना करना पड़ा था। रंजना बघेल को 2007 में महिला बाल विकास विभाग के राज्यमंत्री बनाया था लेकिन मंत्री रहते हुए रंजना बघेल 2008 में मनावर विधानसभा सीट से विधानसभा का चुनाव हार गई थीं।
अपवाद रहीं मीना सिंह और जमुना देवी
मध्य-प्रदेश की दो महिला मंत्री मीना सिंह और स्वर्गीय जमुना देवी ही ऐसी हैं, जो महिला बाल विकास विभाग में मंत्री रहने के बाद भी चुनाव नहीं हारी। राज्य की पूर्व डिप्टी सीएम और नेता प्रतिपक्ष रह चुकीं स्वर्गीय जमुना देवी इस मिथक के बाद भी एक अपवाद की तरह रही हैं। जमुना देवा महिला बाल विकास विभाग की मंत्री रहते हुए भी लगातार चुनाव जीतती रही थीं। उन्हें दिग्विजय सिंह मंत्रिमंडल में महिला एवं बाल विकास विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, लेकिन वे कभी चुनाव नहीं हारीं। इसी तरह मीना सिंह भी 2003 के चुनाव के बाद बीजेपी की सरकार में महिला बाल विकास विभाग की राज्यमंत्री रही हैं और कभी चुनाव नहीं हारीं।