जन्म के चार घंटे बाद ही अनाथ हुए इस शख्स ने पूरी जिंदगी नहीं देखी कोई लड़की…जानें कैसे गुजरा इस शख्स का पूरा जीवन
दुनिया में पुरुष के बगैर स्त्री और स्त्री के बगैर पुरुष का जीवन अधूरा है। दोनों एक दूसरे के पूरक माने जाते हैं। लेकिन ईश्वर की देन से इन स्त्री पुरुष का मिलन होता है तो मानव सभ्यता आगे बढ़ती है। बच्चे के जन्म साथ उसका संसार बढ़ता जाता है। इस बीच आपको यह जानकर बहुत हैरानी होगी कि इस दुनिया में एक ऐसा व्यक्ति भी था, जिसने अपनी पूरी जिंदगी में कभी लड़की को नहीं देखा। वह किसी महिला का चेहरा देखे बगैर जवान हुआ। बिना किसी महिला का चेहरा देखे ही 80 साल की आयु में उसकी मौत हो जाती है।
ब इस शख्स की कहानी आपको भी हैरान कर देगी।
जन्म के चार घंटे बाद हो गई थी मां की मौत
वैसे तो जन्म लेते ही इंसान का परिचय सबसे पहले अपनी मां से होता है। वह सबसे पहले अपनी मां का ही चेहरा देखता है। इसके बाद उसके जीवन में कई महिलाएं आती हैं। कई महिलाओं से उसका संपर्क होता है। कभी बहन, मां, और पत्नी के रूप में वह कई महिलाओं से मिलता है। लेकिन आपको यह जानकर बेहद हैरानी होगी कि इस दुनिया में एक शख्स ऐसा भी था जिसने कभी अपनी पूरी जिंदगी में किसी महिला का चेहरा ना तो देखा और ना ही किसी महिला से वह मिला। इस थ्योरी पर यकीन करना थोड़ा मुश्किल सा लगता है लेकिन इतिहास में दर्ज यह कहानी पूरी तरह से सच है जो हम आपको बता रहे हैं।
माउंट एथॉस की मॉनेस्ट्री में पले और बढ़े
अपनी जिंदगी में किसी महिला का चेहरा ना देखने वाले इस शख्स का नाम है मिहेला टोलोटॉस जो एक ग्रीक ऑर्थोडॉक्स भिक्षु थे। मिहेलो टोलोटॉस ने अपने पूरे जीवन में कभी किसी महिला का चेहरा नहीं देखा। यह पूरी तरह से सच है। मिहेलो की यह कहानी ग्रीस के हल्की से प्रारंभ होती है। बात सन 1856 की है। जब मिहेला टोलोटॉस का जन्म हुआ था। उनके जन्म के करीब चार घंटे बाद ही उनकी मां का देहांत हो गया। जन्म के चार घंटे बाद ही वे अनाथ हो गए। ऐसे में डॉक्टर ने कई दिनों तक रिश्तेदारों के आने का इंतजार किया लेकिन कोई नहीं आया। इसके बाद जिस अस्पताल में मिहेलो टोलोटॉस का जन्म हुआ था वहां के डॉक्टर्स ने टोलोटोस को माउंट एथॉस की मॉनेस्ट्री के पास छोड़ दिया। जहां बच्चे के रोने की आवाज सुनने के बाद दूसरे भिक्षु उसे अपने साथ ले गए।
मॉनेस्ट्री में था महिला के प्रवेश पर प्रतिबंध
बताया जाता है कि इसके बाद से ही में मिहेलो टोलोटोस इसी मॉनेस्ट्री में रहकर बड़े हुए लेकिन इस मॉनेस्ट्री का एक बेहद का नियम था। नियम यह था कि मॉनेस्ट्री में किसी भी लड़की के प्रवेश पर सख्त मनाही थी। मां की मौत के बाद मिहेलो को ग्रीस के पहाड़ माउंट एथॉस पर रहने वाले इन्हीं रूढ़िवादी भिक्षुओं ने गोद ले लिया था। भिक्षुओं ने ही उसे पाला-पोसा और फिर भिक्षु बना दिया। ऐसे में जब में मिहेलो टोलोटोस इस मिनिस्ट्री में रहे पले बड़े और यहीं पर अपनी पूरी जिंदगी गुजार दी। साल 1938 में उनकी मृत्यु हो गई। इस तरह उन्होंने अपने पूरे जीवन में कभी किसी महिला का चेहरा नहीं देखा किसी महिला के संपर्क में नहीं आए।