प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फ्रांस का दो दिवसीय दौरा समाप्त हो गया है। लेकिन उसके अगले दिन भारत सरकार की तरफ से फ्रांस के साथ किए जाने वाले 26 राफेल (मरीन) एडवांस लड़ाकू विमानों की खरीद से जुड़े हुए एक महत्वपूर्ण रक्षा सौदे की घोषणा की गई है। जिसके तहत भारतीय नौसेना को फ्रांस की विमान निर्माता कंपनी डेसॉल्ट एविएशन से दो दर्जन से अधिक नए पीढ़ी के राफेल विमान सौंपे जाएंगे। जो खासतौर पर भारत की भौगोलिक परिस्थिति और नौसेना की तमाम जरूरतों को पूरा करेंगे। यह जानकारी 15 जुलाई को डेसॉल्ट एविएशन की तरफ से एक बयान जारी कर दी गई है। भारतीय नौसेना निरंतर ताकतवर होती जा रही है। इससे जहां भारत मजबूत हो रहा है वहीं चीन टेंशन में है।
सफल परीक्षणों के बाद भरी हामी
डेसॉल्ट ने कहा कि भारत की तरफ से ये फैसला राफेल लड़ाकू विमानों के सफल परीक्षण अभियान के पूरा होने के बाद लिया गया है। जिसमें राफेल (मरीन) लड़ाकू विमानों ने यह साबित कर दिया कि वो नौसेना की सभी रणनीतिक आवश्यकताओं को भली भांति पूरा कर सकते हैं और विमानवाहक युद्धपोत पर तैनाती के लिए भी ये विमान ठीक है। डेसॉल्ट एविएशन के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) एरिक ट्रैपियर ने कहा कि आज जब हम भारतीय सशस्त्र सेनाओं के साथ अपनी भागीदारी की 70वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। मैं कंपनी की तरफ से इस विश्वास और नए संकल्प के लिए भारतीय पक्ष को धन्यवाद देना चाहूंगा। हम राफेल को लेकर भारतीय नौसेना की सभी अपेक्षाओं को पूरा करेंगे।
राफेल के दो संस्करणों का प्रयोग करेगा भारत
इससे पहले फ्रांसीसी कंपनी की तरफ से वायुसेना को 36 राफेल लड़ाकू विमान सौंपे जा चुके हैं। अब नौसेना को दिए जाने वाले 26 राफेल (मरीन) भी इसी समूह में शामिल हो जाएंगे। जिससे भारत दुनिया का पहला देश बन जाएगा जो राफेल विमानों के दोनों संस्करणों यानी हवाई और समुद्री का एक साथ प्रयोग किया जाएगा। जिससे भारत आसमान और समुद्र में अपना दबदबा बनाए रख सकेगा और उसे संप्रभुता की गारंटी भी मिलेगी।
आईएनएस विक्रांत पर होगी तैनात
गौरतलब है कि इन 26 राफेल (मरीन) विमानों में से 22 दो सीटों वाले और 4 एकल सीट वाले प्रशिक्षण विमान होंगे। इन सभी की तैनाती पिछले साल सितंबर महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राष्ट्र को समर्पित किए गए देश के पहले स्वदेशी विमानवाहक युद्धपोत आईएनएस विक्रांत के डेक पर की जाएगी। सभी 26 विमानों की भारत को आवक के साथ ही नौसेना की समुद्र में युद्धक क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी।
डीएसी ने हाल ही में दी थी मंजूरी
नौसेना को बीते काफी लंबे समय से राफेल-मरीन लड़ाकू विमानों की आवश्यकता थी। जिसे देखते हुए इससे जुड़े हुए एक प्रस्ताव को पीएम मोदी की फ्रांस यात्रा से ठीक पहले इसी सप्ताह की शुरुआत में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) की बैठक में मंजूरी प्रदान की गई है। हालांकि इस सौदे को लेकर परिषद ने कीमत के संबंध में कोई घोषणा नहीं की है। रक्षा मंत्रालय का कहना है कि राफेल समझौते को भारत और फ्रांस की सरकारों के बीच (जी-टू-जी) आधार पर अमलीजामा पहनाया जाएगा। इसे अंतिम रूप देने से पहले कीमत और सौदे से जुड़े हुए अन्य जरूरी पहलुओं को अंतिम रूप दिया जाएगा।
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ेगी ताकत
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता के बीच फ्रांस से भारतीय नौसेना को मिलने वाले यह 26 राफेल (मरीन) विमान काफी अहम हो जाते हैं। इनके नौसेना के समुद्री जंगी बेड़े में शामिल होने से समुद्र में उसकी रणनीतिक और मारक क्षमता बढ़ेगी। साथ ही चीन की आक्रामकता का सटीक जवाब देने में भी आसानी होगी। यहां बता दें कि भारत और फ्रांस इस वर्ष अपनी व्यापक सामरिक भागीदारी की 25वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। ऐसे में पहले वायुसेना और अब नौसेना को मिलने वाले 26 राफेल विमानों से यह भागीदारी और अधिक मजबूत होगी।