राहुल गांधी की लोकसभा से सदस्यता रद्द होने के कांग्रेस ही नहीं विपक्ष के कई दलों के नेताओं ने इसकी आलोचना की है। सदस्यता रद्द किये जाने को लेकर केन्द्र की एनडीए सरकार पर हमला भी बोला, लेकिन विपक्ष के एक नेता ऐसे हैं जो बीजेपी और एनडीए से तो दूरी बनए हुए है, लेकिन कांग्रेस नेता राहुल राहुल गांधी की सदस्यता मामले में मौन साधे हुए हैं। ये हैं सुशासन बाबू यानी बिहार के मुख्यमंत्री बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार।
- भाजपा के लिए दूसरा दरवाजा खुला रखते हैं नीतीश कुमार
- विपक्ष के कई बडे़ नेताओं ने केन्द्र के खिलाफ की बयानबाजी
- लेकिन सुशासन बाबू सियासी हलचल के बीच अब तक साधे हैं मौन
नीतीश कुमार के बार में ये अक्सर कहा जाता रहा है है कि वे भाजपा के साथ हमेशा दूसरा दरवाजा खुला रखते हैं। जिससे समय आने पर चर्चा की जा सकेबात की जा सके।लेकिन बिहार की राजनीतिक गलियारों में इन दिनों इसको लेकर अब जमकर कयासबाजी हो रही है। सूरत की एक अदालत की ओर से राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनाई गई थ। इसके के बाद लोकसभा सचिवालय की ओर से कांग्रेस के दिग्गज नेता राहुल गांधी की सदस्यता खत्म कर दी गई। इतनी बड़ी सियासी हलचल के बीच विपक्ष के तमाम नताओं का बयान सामने आए। लेकिन कांग्रेस के साथ मिलकर बिहार की सरकार चला रहे मिस्टर नीतीश कुमार ने चुप्पी साध रखी है। बता दें राहुल गांधी की संसद सदस्यता समाप्त होने का राष्ट्रीय जनता दल खुलकर मैदान में आ गई है। उसने केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार पर जमकर हमला भी बोला। विरोध भी किया है। इसी तरह सपा अध्यक्ष उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी इस मुद्द पर कांग्रेस के साथ खडे़ नजर आए। उन्होंने कांग्रेस को अपना समर्थन दिया । लेकिन वहीं बिहार के सीएम नीतीश कुमार खामोश हैं। नीतीश की खामोशी ने बिहार के सियासी गलियारों में गरमाहट पैदा कर दी है। ये अलग बात है कि नीतीश की पार्टी जेडीयू ने स्टैंड लेते हुए राहुल गांधी की सदस्यता समाप्त किये जाने का का विरोध किया है। बता दें बिहार के सीएम नीतीश कुमार का इस तरह चुप्पी साधना पहली बार नहीं है।। इससे पहले जब लालू प्रसाद यादव और उनका परिवार केंद्रीय जांच एजेंसियों से उलढ रहा था ए जांच एजेंसियों की की कार्रवाई शुरू हुई थेए तब नीतीश ने काफी दिनों तक कुछ नहीं बोला। किसी प्रकार की की कोई टिप्पणी नहीं की। हालांकि कुछ समय बाद में उन्होंने अपना स्टैंड क्लियर करते किया और कहा कि जबण्जब आरजेडी हमारे साथ आती है उन्हें परेशान किया जाता है। नीतीश कुमार ने साल 2017 में हुई छापेमारी की घटनाओं का भी उल्लेख किया था।
विधानसभा में भी बनाए रखी दूरी
यहां इस बात का उल्लेख करना जरुरी है कि एक दिन पहले शुक्रवार को जब कांग्रेस के नेतृत्व में बिहार विधानसभा में अगुवाई में सत्ता पक्ष की ओर से राहुल गांधी के समर्थन में प्रदर्शन किया जा रहा था तब तो सीएम नीतीश कुमार की पार्टी के विधायक खामोश थे। उन्होंने इस प्रदर्शन से खुद को अलग रखा। दूसरे घटक दल सीपीएएम, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा , आरजेडी और लेफ्ट पार्टियों के विधायकों ने राहुल गांधी के समर्थन में खड़े होर विरोध किया।
फिर बीजेपी से गलबहियां तो नहीं करेंगे नीतीश
बिहार के सीएम नीतीश कुमार जब एनडीए से अलग हुए थे तब उन्होंने बीजेपी पर जमकर हमला बोला था। वे लगभग हर मौके पर भगवा पार्टी बीजेपी के खिलाफ हमलावर नजर आए। हालांकि उनका तेवर अब पूरी तरह से बदल चुका है। नीतीश कुार बीजेपी पर हमला तो करते है लेकिन काफी संयम और नरम दिखाते हुए। ही वजह है कि अब इसके कयास लगाया जा रहे हैं कि क्या नीतीया कुार वह फिर एकबार अपने सबसे पुराने और लंबे समय तक सहयोगी रहे भाजपा के साथ दोस्ती करने जा रहे हैं।