उत्तरप्रदेश में लोकसभा चुनाव से पहले नगरीय निकायों के चुनाव हो रहे हैं। सत्तारुढ़ बीजेपी के साथ कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ही नहीं अबकी बसपा भी पूरे दमखम के साथ लड़ेगी। चुनाव की कमान खुद संभालते हुए बसपा प्रमुख मायावती ने रविवार को पदाधिकारियों की विशेष बैठक बुलाई है। बैठक में बसपा प्रमुख चुनाव की जमीनी तैयारियों की समीक्षा करने जा रही हैं।
- यूपी में नगरीय निकाय चुनाव की तैयारी
- बसपा प्रमुख मायावती ने बुलाई अहम बैठक
- जमीनी तैयारियों की समीक्षा करेंगी मायावती
- 2014 के बाद कम होता जा रहा बसपा का जनाधार
- पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी नहीं कर सकी खास प्रदर्शन
साल 2007 में बसपा ने दम पर सरकार बनाई थी। इसके बाद के चुनावों में बसपा तमाम कारणों से पिछले एक दशक से बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पा रही है। ऐसे में बसपा के खिसकते जनाधार का ही नतीजा है कि साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में बसपा का एक भी सांसद चुनकर नहीं आ सका।पार्टी शून्य पर सिमट कर रह गई थी। इतना ही नहीं यूपी में पिछले विधानसभा चुनाव में भी बसपा के सिर्फ एक विधायक ही को जीतने में कामयाबी मिली थी। चूंकि अगले वर्ष लोकसभा चुनाव है ऐसे में बसपा अभी से सक्रिय हो गई है। बसपा प्रमुख मायावती ने सक्रियता दिखाते हुए निकाय चुनाव को मजबूती से लड़ने का फैसला किया है।
संगठन को बूथ स्तर पर मजबूत करेंगी मायावती
निकाय चुनाव को लेकर बसपा की गंभीरता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि मायावती स्वयं यहां पार्टी के प्रदेश मुख्यालय में विशेष बैठक ले रही हैं। बैठक में प्रदेश के सभी 75 जिलों से पार्टी अध्यक्षों को तलब किया गया है। इसके साथ ही मंडल समन्वयक और प्रदेश पदाधिकारियों को भी मायावती ने तलब किया है। मायावती नगरीय चुनाव से पहले पार्टी संगठन को बूथ स्तर तक मजबूत करने की जमीनी तैयारियों की समीक्षा करेंगी। इसके साथ ही बसपा प्रमुख पदाधिकारियों को प्रत्याशियों के चयन के संबंध में दिशा निर्देश दे सकती है। दरअसल लोकसभा चुनाव से पहले निकाय चुनाव में बेहतर प्रदर्शन कर मायावती अपने विरोधियों को अपनी ताकत का एहसास कराना चाहती हैं। बता दें पिछली बार बसपा ने सपा और रालोद के साथ गठबंधन करते लड़ा था। गठबंधन के चलते पार्टी को 10 सीटों पर सफलता मिली थी।
पिछले चुनाव के परिणाम
यूपी में पिछले नगर निकाय चुनाव पर गौर करें तो नगर निगम महापौर में बीजेपी को 16 में से 14 स्थानों पर जीत मिली थी। बसपा ने बाकी 2 सीटें जीती थी। सपा और कांग्रेस का उस समय खाता भी नहीं खुला था। पिछली बार के चुनाव की खास बात यह भी थी कि कांग्रेस का प्रदर्शन मुख्य विपक्षी दल सपा से थोेड़ा ठीक था। नगर निगम मेयर की 16 सीटों में से 5 सीटों पर सपा दूसरे तो कांग्रेस 6 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही थी।