बसपा की मुखिया मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी में वापस लेने के साथ ही बड़ी जिम्मेदारी देने का फैसला किया है। माना जा रहा है कि यह कदम 2027 के यूपी विधानसभा चुनावों को मददे नजर रखते हुए मायावती की रणनीति का हिस्सा है।
आकाश आनंद को बसपा में फिर से कोई महत्वपूर्ण भूमिका मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। जिससे पार्टी के युवा कार्यकर्ताओं और नेताओं में उत्साह बढ़ेगा और चुनाव से पहले पार्टी का दलित वोट बैंक मजबूत होगा।
- आकाश को मिल सकती है मिशन-2027 की कमान
- मायावती ने कराई है आकाश आनंद की वापसी
- अपने ही मार्गदर्शन में रहकर राजनीति सिखायेंगी
- आकाश के हाथों में ही देख रहीं बसपा का भविष्य
- युवा कैडरों का भी था मायावती पर आकाश को वापस लेने का दबाव
- दलितों के बीच तेजी से पैर पसार रहे थे चंद्रशेखर आजाद
- आजाद समाज पार्टी की तरफ हो रहा था दलित युवाओं का झुकाव
हालांकि बसपा प्रमुख मायावती अपनी तरह से कुछ अलग राजनीति करती रहीं हैं। वे अपनी मर्जी की मालिक हैं। पार्टी को भी वे उसी तरह से चलाती हैं। पार्टी से कब किस नेता को बाहर करना है और कब उसे पार्टी मेंवापस लेकर सिर-आंखों पर बैठाना है यह मायावती स्वयं तय करती हैं। अब आकाश आनंद के मामले में ही देखेंं तो मायावती ने पहले उन्हें हाथी से उतारा और पैदल कर दिया था।
अचानक वापस लेकर साफ कह दिया है कि आकाश आनंद के खिलाफ वे कोई भी बेफिजूल की बातों को बर्दाश्त नहीं करेंगी। आकाश आनंद का हौसला बढ़ाने के लिए दिशा-निर्देश बसपा कैडर को जारी कर दिए गए हैं।
मायावती के इस बदलते तेवर से स्पष्ट है कि आकाश आनंद पार्टी में एक बार फिर से सियासी उड़ान भरते नजर आएंगे लेकिन इस बार मायावती उन्हें अपनी छत्रछाया में ही रखेंगी।
दरअसल मायावती ने आकाश आनंद को उनके ससुर अशोक सिद्धार्थ की वजह से पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। लेकिन पिछले दिनों डॉ.भीमराव अंबेडकर की जयंती से एक दिन पहले 13 अप्रैल 2025 को आकाश ने सार्वजनिक रूप से बसपा प्रमुख और अपनी बुआ मायावती से मांफी मांगते हुए पार्टी में दोबारा से वापस लेने की अपील की थी। उनके माफी मांगने के ढाई घंटे बाद ही बुआ का दिल पिघला और मायावती ने आकाश को माफ करने के साथ ही बसपा में वापसी का ऐलान भी कर दिया था लेकिन उस समय उन्हें कोई पद नहीं दिया था।