महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने निश्चित किया है कि सिर्फ मराठा समाज का नहीं बल्कि सभी जातियों के पिछड़ेपन का सर्वेक्षण किया जाएगा। संविधान के प्रावधानों के अनुसार कुल 20 मानदंडों पर सभी जातियों के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक पिछड़ेपन की जांच की जाएगी। इसके लिए दो से तीन महीने का समय लग सकता है। इसके लिए एक लाख से ज्यादा सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों की मदद ली जाएगी। अगले 10 से 12 दिनों में सर्वेक्षण का काम शुरु हो जाएगा। माना जा रहा है कि राज्य में सामाजिक आरक्षण इसी रिपोर्ट के आधार पर निर्धारित किया जाएगा।
- राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग का फैसला
- सभी जातियों के पिछड़ेपन की पड़ताल की जाएगी
- तभी सामाजिक आरक्षण का निर्धारण किया जाएगा
- 20 मानदंडों के आधार पर घर-घर जाकर किया जाएगा सर्वेक्षण
घर-घर जाकर किया जाएगा सर्वे
राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की गुरुवार को पुणे में बैठक संपन्न हुई। इसमें यह निर्णय किया गया। आयोग के अध्यक्ष पूर्व न्यायाधीश आनंद निरगुड़े, समाजशास्त्री अंबादास मोहिते, सदस्य चंद्रलाल मेश्राम, बालाजी सागर किल्लारीकर, डॉ संजीव सोनवणे, गजानन खराटे, नीलिमा सरप लखाड़े, गोविंद काले, लक्ष्मण हाके, ज्योतिराम चव्हाण, सदस्य सचिव श्रीमती एयू पाटील एवं अनुसंधान अधिकारी मेघराज भाते उपस्थित थे।इस दौरान निर्णय किया गया कि इस सर्वेक्षण के माध्यम से सभी जातियों के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक पिछड़ेपन की जांच की जाएगी। आयोग के सदस्य लक्ष्मण हाके ने बताया संवैधानिक सिद्धांतों के अनुसार राज्य में जातियों के पिछड़ेपन की जांच की जाती है। बैठक में इस पर चर्चा हुई तब जाकर सभी जातियों का सर्वेक्षण करने का निर्णय किया गया। यह सर्वे घर-घर जाकर किया जाएगा। सर्वेक्षण के लिए 20 मानदंड तय किए गए हैं और प्रश्नावली तैयार करने का काम लगभग पूरा हो चुका है।
सुप्रीम कोर्ट ने कर दिया था मराठा आरक्षण खारिज
महाराष्ट्र पिछड़ा वर्ग आयोग सदस्य बालाजी सागर किल्लारीकर का कहना है दो साल पहले सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण खारिज कर दिया था। तब अदालत ने कहा था कि राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग को मराठा समाज के पिछड़ेपन का निर्धारण करने के लिए एक सर्वेक्षण करना चाहिए। अदालत ने आदेश दिया था कि सर्वेक्षण के बाद आयोग की रिपोर्ट उसे सौंपी जाए। इसलिए आयोग के इस सर्वेक्षण को काफी अहमियत मिल गई है।
सर्वेक्षण कराने का रणनीतिक निर्णय
उन्होंने कहा बैठक में सभी प्रवर्गों का एक समान मापदंड के आधार पर सर्वेक्षण कराने का रणनीतिक निर्णय किया गया। ऐसे में किसी के साथ अन्याय नहीं होगा। यह सर्वे अगले दस-बारह दिन में शुरु हो जाएगा। इसके लिए टाटा इंस्टीट्यूट और गोखले इंस्टीट्यूट से बातचीत चल रही है। सर्वे के लिए जियो टैगिंग का इस्तेमाल किया जाएगा। इस कारण इसमें गलत जानकारी नहीं भरी जा सकेगी।