बड़ा सवाल: मणिपुर बनाम राजस्थान की राजनीति से क्या हिंसा और अपराध रुक जाएंगे ?

क्या मणिपुर मुद्दे पर कन्फ्यूज है विपक्षी दल

देश में कहीं भी हिंसा और अपराध को रोकने के लिए योजनाबध्द तरीके से काम करना होता है। इसमें न तो कहीं राजनीति होती है और न ही किसी अन्य राज्य से तुलना। सभी दलों और नेताओं को एकजुटता के साथ शांति और खुशहाली के प्रयास करने की जरूरत होती है। फिलहाल इस तरह के प्रयास मणिपुर को लेकर दिखाई नहीं दे रहे हैं। न तो विपक्ष के पास शांति और खुशहाली के लिए कोई पुख्ता पॉलिसी है,और न ही सरकार इस मुद्दे पर विपक्ष को कोई मौका देना चाहती है। दोनों ही तरफ से सिर्फ यही दावे किए जा रहे है कि हमें मणिपुर की चिंता है। चिंता का समाधान होता फिलहाल दिखाई नहीं दे रहा है। आइए जानते हैं पक्ष विपक्ष की राजनीति के मायने।

मणिपुर पर चिंति​त सदस्यों ने किया हंगामा

पिछले ढाई महिने से मणिपुर में हिंसा और अगजनी की घटनाएं हो रहीं हैं। जहां तमाम प्रयासों के बाद भी शांति बहाली नहीं हो पा रही है। विपक्षी दल दोनों सदनों में हंगामा कर रहे हैं। पहले विपक्ष का आरोप था कि मणिपुर मामले पर संसद में चर्चा होना चाहिए। इस पर सरकार ने बिना किसी देरी के कह दिया कि हम चर्चा के लिए तैयार है। इसके बाद भी विपक्ष का गुस्सा शांत नहीं हुआ और संसद का मानसून सत्र में जमकर हंगामा किया। इससे पहले पहले विपक्ष का कहना था कि पीएम मोदी मणिपुर मामले में कुछ नहीं बोल रहे हैं इस पर पीएम संसद के मानसून सत्र के पहले संसद के बाहर मीडिया के सामने मणिपुर हिंसा पर दुख जताया और कहा कि ऐसी घटनाएं कहीं नहीं होना चाहिए।

अब विपक्ष का कहना है कि पीएम बयान दें

मणिपुर हिंसा को लेकर विपक्ष सिर्फ इसलिए सदन नहीं चलने देना चाह रहा है कि मणिपुर हिंसा पर पीएम नरेंद्र मोदी संदन के भीतर बोले। इसी बीच भाजपा नेताओं का कहना है कि विपक्ष के पास ऐसी कोई पॉलिसी नहीं है जिस पर चर्चा हो सके और उसका समाधान निकाला जा सके। केवल हंगामा कर मुद्दे को गरम रखना चाहते हैं।

ये मणिपुर तो वे राजस्थान पर कर रहे हंगामा

भाजपा के विरोधी दल मणिपुर हिंसा को लेकर हंगामा कर रहे है तो भाजपा सांसद राजस्थान की घटना को लेकर धरना दे रहे हैं। संसद भवन परिसर में गांधी प्रतिमा के सामने धरना प्रदर्शन किया। यानी पक्ष और विपक्ष दोनों ही एक एक मुद्दा पकड़कर हंगामे पर उतारु हैं। जबकि मणिपुर हो या राजस्थान इसके समाधान पर कोई चर्चा नहीं हो पा रही है। दोनों की सदनों की कार्यवाही नहीं चल पा रही है। ऐसे में ये सिर्फ राजनीति नहीं तो और क्या है।

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