महाराष्ट्र में एनसीपी में टूट के बाद सियासत में घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब सबसे बड़ा सवाल ये उठ रहा है कि अब एनसीपी मुखिया शरद पवार अपनी पार्टी का वजूद बचाने के लिए कब और कौन से जरूरी कदम उठाएंगे। अजित पवार के बागी होने से विपक्ष के दलों की ताकत को बड़ा झटका लगा है। इधर बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी ने जेडीयू में टूट का दावा करते हुए कहा कि कई नेता उनके संपर्क में हैं। दरअसल नीतीश कुमार की पार्टी में अस्थिरता का माहौल है। ऐसे में शरद पवार को हल्के में लिया जाना नादानी होगी।
- महाराष्ट्र में एनसीपी में टूट के बाद सियासी घमासान
- पार्टी का वजूद बचाने में जुटे शरद पवार
- अब भी बाकी है पवार के तरकश में कई तीर
- विपक्षी दलों की ताकत को बड़ा झटका
कई राजनीतिक संकट झेल चुके शरद पवार
शरद पवार ने अपने 50 साल के राजनीतिक जीवन में ये पहली बार नहीं बल्कि कई राजनीतिक संकट झेल चुके हैं। हर बार उन्होंने वापसी की है। पवार की राजनीतिक जीवन में कम से कम चार ऐसे मौके आए हैं। जब उन्होने दुबारा से शुरूआत कर अपनी राजनीतिक साख बचाने में कामयाबी हासिल की। अपनी राजनीतिक जमीन बचाई। बता दें शरद पवार को पीएम नरेंद्र मोदी भी अपना राजनीतिक गुरु मानते हैं। इसलिए महाराष्ट्र की राजनीति में जो कुछ घटित हो रहा है। उसे 82 साल के इस घाघ नेता की हार मान लेना जल्दबाजी होगी। कुछ चालें ऐसी होती हैं जिनकी परतें खुलने में वर्षों लगते हैं। इसके बाद सच्चाई सामने आती है।
अपने पास मोहरे और चाल बचाकर रखते हैं शरद पवार
शरद पवार अपने पास कई चाल और मोहरे बचाकर रखते हैं। बताया जाता है कि अजित पवार उन्हीं में से एक हैं। भरोसामंद मोहरा हैं जिसने 23 नवंबर 2019 की सुबह चौंका दिया था। तब भी अजित पवार ने देवेंद्र फडणवीस के साथ डिप्टी सीएम की शपथ ली थी। विधानसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र् में शिवसेना ने बीजेपी से गठबंधन तोड़ लिया था। रार सीएम पोस्ट को लेकर थी। बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर ताल ठोक रही थी लेकिन उद्धव ठाकरे का दावा था कि चुनाव से पहले अमित शाह और नरेंद्र मोदी ने वादा किया था सीएम का पद शिवसेना के पास रहेगा। उस दिन से लेकर 2 जुलाई 2023 के बीच अजित पवार तीन वार डिप्टी सीएम बन चुके हैं। अलग अलग सीएम के साथ। पहली बार वाला दांव तो 72 घंटे भी नहीं टिक सका था। वहीं दूसरा दांव महाविकास अघाड़ी में उद्धव के डिप्टी सीएम के तौर पर 29 जून 2022 तक चला।
सुनील तटकरे को अजित ने बनाया प्रदेशाध्यक्ष
बता दें महाराष्ट्र में सियासी घमासान जोरों पर है। अजित पवार के एकनाथ शिंदे की सरकार में डिप्टी पद की शपथ लेने के बाद शरद पवार की तरफ से अजित पवार और 8 एमएलए अयोग्य घोषित करने की याचिका दायर की गई थी। वहीं अजित के साथ आए दो विधायक फिर से शरद कैंप में वापस चले गए हैं। शरद पवार ने सांसद प्रफुल्ल पटेल और सुनील तटकरे को एनसीपी से बाहर किया तो अजित पवार ने नई टीम का ऐलान करते हुए एक ओर झटका दिया। अजित ने सुनील तटकरे को महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष बनाया।
विधानसभा अध्यक्ष का दावा
इस सियासी घमासान के बीच महाराष्ट्र के स्पीकर राहुल नार्वेकर ने बड़ा दावा किया है। उनहोंने कहा उनके पास अभी विधायकों को अयोग्य घोषित किए जाने का कोई नोटिस नहीं पहुंचा है। मामला उनके पास आएगा तो नियमानुसार कार्रवई की जाएगी। उन्होंने कहा नेता प्रतिपक्षध नियुक्त करने का अधिकार राज्य विधानसभा अध्यक्ष के पास होता है और किसी ने अब तक दावा नहीं पेश किया है।