संजय राउत ने बोला भगत सिंह कोश्यारी पर हमला, कहा— बीजेपी के एजेंट के रुप में काम कर रहे थे कोश्यारी

Sanjay Raut attacked Bhagat Singh Koshyari

Maharashtra Politics: महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का इस्तीफा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंजूर कर लिया है। झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस महाराष्ट्र के नए राज्यपाल के तौर पर नियुक्त किए गए हैं। इस पर शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता संजय राउत ने टिप्पणी की और कहा उम्मीद है नए राज्यपाल संविधान के अनुसार काम करेंगे। कोश्यारी के इस्तीफे मंजूरी पर संजय राउत ने कहा कोश्यारी ने राजभवन में बीजेपी के एजेंट के रूप में काम किया है। हम उम्मीद करते हैं नए राज्यपाल संविधान के अनुसार काम करें। संजय राउत ने केंद्र सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा करीब एक साल से कोश्यारी को हटाए जाने की मांग हो रही थी। कोश्यारी ने शिवाजी महाराज का अपमान किया है। राज्य की जनता, राज्य के राजनीतिक दल, छत्रपति शिवाजी महाराज के संगठनों ने मोर्चा संभाला और पहली बार राज्यपाल के विरोध में सड़कों पर उतरे।

नए राज्यपाल से संविधान के अनुसार काम करने की उम्मीद

संजय राउत ने कहा कोश्यारी ने सरकार को नीचा दिखाने की कोशिश की। साथ ही कैबिनेट की कई सिफारिशों को खारिज किया। उन्होंने केवल बीजेपी के एजेंट के रूप में काम किया है। संजय राउत बोले, अब राज्य को नया राज्यपाल मिल गया है। हम नए राज्यपाल का स्वागत करते हैं और उम्मीद करते हैं कि वो संविधान के अनुसार काम करेंगे। राजभवन को बीजेपी कार्यालय नहीं बनाएंगे।

विवादों में ही बीते तीन साल

बता दें भगत सिंह कोश्यारी करीब 3 साल महाराष्ट्र के राज्यपाल रहे। इस छोटे से कार्यकाल में अपने बयानों और फैसलों से कई बार विवाद खड़ा कर चुके थे। अपने कार्यकाल के दौरान पूर्ववर्ती महाविकास अघाड़ी के साथ भी उनकी तनातनी खुलकर नजर आई। वहीं उनके बयानों को लेकर विपक्ष लगातार उन पर निशाना साधता रहा और बीजेपी के इशारे पर काम करने का आरोप लगाता रहा।

तड़के दिलाई थी फडणवीस को सीएम पद की शपथ

महाराष्ट्र के राज्यपाल के तौर पर भगत सिंह कोश्यारी का एक फैसला सबसे अधिक विवादों में रहा। जिसको लेकर वह विपक्ष के निशाने पर आ गए थे। दरअसल 2019 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद कोश्यारी ने 23 नवंबर 2019 को तड़के देवेंद्र फडणवीस और अजीत पवार को मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई थी। हालांकि इसके तीन दिन बाद अजीत पवार के सरकार से अलग होने के बाद फडणवीस ने फ्लोर टेस्ट से पहले ही मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।

उद्धव ठाकरे को एमएलसी बनाए जाने पर साधा मौन

फडणवीस सरकार गिरने के बाद जब महाविकास अघाड़ी की सरकार बनी तो उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने। 28 नवंबर 2019 को ठाकरे ने सीएम पद की शपथ ली। हालांकि तब उद्धव ठाकरे राज्य विधानसभा या विधान परिषद में से किसी के भी सदस्य नहीं थे और संविधान के मुताबिक सीएम या मंत्री को शपथ लेने के छह महीने के अंदर विधानसभा या विधानपरिषद में से किसी भी एक सदन की सदस्यता लेनी होती है। ऐसा न होने की स्थति में उसे पद से इस्तीफा देना पड़ता है। इसी मामले में शिवसेना की ओर से कोश्यारी को प्रस्ताव भेजा गया था। जिस पर राज्यपाल ने पूरी तरीके से चुप्पी साध ली थी। जिसके बाद शिवसेना और कोश्यारी में तनातनी देखने को मिली थी।

कांग्रेस विधायक की शपथ पर जताया था ऐतराज

उद्धव ठाकरे के मंत्रियों की शपथ के दौरान भी राज्यपाल से विवाद सामने आया था। क्योंकि मंत्रियों के पद और गोपनीयता की शपथ लेने के दौरान कांग्रेस विधायक केसी पाडवी ने कुछ ऐसे शब्‍द कहे थे, जिससे राज्‍यपाल भगत सिंह कोश्‍यारी नाराज हो गए थे और उन्होंने पाडवी को नसीहत दी थी कि शपथ लेने की जो लाइनें निर्धारित हैं, उन्‍हें ही पढ़ें।

शिवाजी को बताया पुराने समय का प्रतीक

कोश्यारी ने पिछले साल एक सार्वजनिक समारोह में मराठा साम्राज्य के संस्थापक शिवाजी महाराज को पुराने समय का प्रतीक कहकर विवाद खड़ा कर दिया था। इसके बाद राज्यपाल कोश्यारी की खूब आलोचना हुई थी। हालांकि उन्होंने बाद में सफाई भी दी।

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