अजित पवार के उप मुख्यमंत्री बनने के बाद देवेंद्र फडणवीस का क्या होगा सियासी भविष्य!इसलिए होने लगी चर्चा

मोदी कैबिनेट में फेलबदल की तेज हुई चर्चा

महाराष्ट्र में भारी सियासी उथल पुथल के बीच एनसीपी दो फाड़ हुई और अजित पवार खेमे ने एनडीए की दामन थाम लिया। जिसके चलते उन्हे राज्य उप मुख्यमंत्री बना दिया गया है। वहीं भाजपा के कद्दावर नेता देवेंद्र फडणवीस पहले से ही उपमुख्यमंत्री का दायित्व संभाल रहे हैं। अब एक और डिप्टी सीएम होने के बाद चर्चा चल पड़ी है कि देवेंद्र फडणवीस का सियासी भविष्य क्या होगा? आईए जानते हैं कि आखिर देवेंद्र फडणवीस के लिए भाजपा की क्या रणनीति है और उन्हे कहां एडजस्ट किया जा सकता है।

साल के अंत में कई राज्यों में होना है चुनाव

इस साल के अंत में मध्य प्रदेश सहित राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में चुनाव होने हैं। राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में भाजपा का सीधा मुकाबला कांग्रेस से है। इस बीच मानसून सत्र से पहले मोदी कैबिनेट में आखिरी फेरबदल की चर्चा तेज हो गई है। इसमें कुछ नए चेहरे शामिल हो सकते हैं।

महाराष्ट्र के भूचाल का असर दिल्ली तक

इधर महाराष्ट्र में सियासी भूचाल आया तो वही दूसरी ओर मोदी कैबिनेट में जल्द फेरबदल की चर्चा भी तेज हो गई है। 20 जुलाई को संसद का मानसून सत्र शुरु होने जा रहा है और इससे पहले मोदी कैबिनेट में आखिरी फेरबदल भी होने की संभावना बढ़ी है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता अजित पवार के अपनी पार्टी के कई विधायकों के साथ भाजपा शिवसेना सरकार में शामिल हो गए है। वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह,पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित भाजपा के कई रणनीतिकारों से बंद कमरों में चर्चा भी हुई है।मंत्रिपरिषद में फेरबदल की संभावनाओं को बल मिला है।

संभावित दावेदार हैं प्रफुल्ल पटेल

एनसीपी के वरिष्ठ सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल को एक संभावित दावेदार के तौरपर देखा जा रहा है।पटेल एनसीपी प्रमुख शरद पवार के बेहर करीबियों में गिने जाते थे लेकिन उन्होंने उनका साथ छोड़कर अजित पवार से हाथ मिला लिया है। अजित पवार शरद पवार के भतीजे है। और महाराष्ट्र में उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के साथ ही देवेंद्र फडणवीस को केंद्र सरकार में लाए जाने की भी अटकलें तेज हो गई हैं।

इस तरह बन रही संभावना

यदि मीडिया रिपोर्ट की माने तो भाजपा से संकेत मिल रहे है। कि जब भी मोदी अपने मंत्रिपरिषद में फेरबदल का फैसला करेंगे तो सहयोगी दलों को मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व दिया जाएगा।आगामी 20 जुलाई से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र से पहले की अवधि केंद्रीय मंत्रिपरिषद में फेरबदल या बदलाव का आखिरी मौका हो सकता है। इसलिए मंत्रिपरिषद में फेरबदल या विस्तार की संभावनाओं को और बल मिला है।

Exit mobile version