महाराष्ट्र और झारखंड के विधानसभा चुनावों में वोटिंग हो चुकी है। वोटिंग के बाद से एक्जिट पोल भी सामने आ चुके हैं। लेकिन इस बीच समझने की बात ये होगी कि आखिर इन चुनावों में किस फैक्टर ने कितना काम किया। अगर हम महाराष्ट्र की बात करें तो, महाराष्ट्र में फिलहाल शिवसेना और बीजेपी के समर्थन वाली सरकार है। चुनावी तारीखों के ऐलान के पहले मौजूदा महायुति सरकार की स्थिति मजबूत नहीं बताई जा रही थी। लेकिन चुनावी तारीखों के ऐलान के साथ ही सभी दलों ने तैयारियां शुरू कर दी। धुंआधार प्रचार और तमाम सारे राजनैतिक दांवपेंच दोनों ही गठबंधनों की ओर से चले गए। अब वोटिंग के बाद इस बात को लेकर एनालिसिस हो रहा है कि आखिर कौन किस पर भारी पड़ा होगा और क्यों।
- महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव संपन्न
- वोटिंग के बाद मतगणना का इंतजार
- वोटिंग के बाद से सामने आए एक्जिट पोल
- एक्जिट पोल में महाराष्ट्र में महायुति को बढ़त
- महाराष्ट्र में पवार के पॉवर ने किया कितना काम
- झारखंड में कांटे का मुकाबला
- झारखंड में बीजेपी सोरेन परिवार को तोड़ा
- बहू सीता सोरेन को तोड़कर अपने पाले में किया
- जमीन से जुड़े चंपई को बीजेपी तोड़ने में रही कामयाब
- आखिर इन चुनावों में किस फैक्टर ने कितना काम किया
दरअसल इन चुनावों को जिन फैक्टर ने प्रभावित किया होगा उसे लेकर अनुमान है कि योगी आदित्यनाथ का बयान बटेंगे तो कटेंगे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बयान एक हैं तो सेफ हैं ने चुनावी के आखिरी दौर में खूब शोर मचाया। प्रदेश की पूरी राजनीति इसी के आसपास घमूने लगी। बयानों में वार और पलटवार भी जमकर हुए। इसे लेकर सियासत गर्माती रही। इसके साथ साथ जानकारों की मानें तो शरद पवार का कद इन चुनावों में बड़ा होगा क्योंकि लोकसभा चुनाव में भी शरद पवार की पार्टी का परफॉरमेंस बेहतर था। पवार अकेले ऐसे नेता हैं, जिनका पूरे महाराष्ट्र में दबदबा कायब है। कहा जा सकता है कि वे महाराष्ट्र की राजनीति के सबसे बड़े और कद्दावर नेता भी हैं। ऐसे में महाविकास अघाड़ी भी महायुति पर 20 पड़ता दिख सकता है।
झारखंड में बीजेपी ने लगाई सोरेन परिवार में सेंध
वहीं अगर हम झारखंड की बात करें तो झारखंड में बीजेपी ने इस बार बहुत सारे ऐसे काम किए हैं। जिससे पार्टी को मजबूती मिली है। झारखंड में बीजेपी ने सोरेन परिवार से उनकी बहू सीता सोरेन तो तोड़ लिया तो वहीं हेमंत सोरेन से चपंई सोरेन जैसे दमदार नेता को भी तोड़ लिया। साथ ही साथ बाबूलाल मराडी को वापस जोड़ लिया। अब ऐसे में झारखंड के चुनाव जेएमएम के लिए भी बड़े ही चुनौती भरे रहे। जेएमएम से कल्पना ने पार्टी की कमान सम्हाली यात्राएं और प्रचार देखे लेकिन इस बात से भी इंकार नही किया जा सकता कि सरकार के खिलाफ एंटी इनकमबैसी का माहौल भी था। ऐसे में कहा जा रहा है कि यहां बीजेपी को बढ़त मिल सकती है। बहरहाल 23 नवंबर को काउंटिग होगी साफ होगा कि आखिर किस राज्य में मतदाताओं ने किस गठबंधन का राजतिलक किया है।
(प्रकाश कुमार पांडेय)