पीएफआई पर महाराष्ट्र एटीएस की बड़ी कार्रवाई
पनवेल से सचिव और दो सदस्य गिरफ्तार
प्रतिबंध के बाद भी सक्रिय है पीएफआइ
प्रतिबंधित संगठन पीएफआई के खिलाफ एक और कार्रवाई देखने को मिली है। महाराष्ट्र एटीएस ने पीएफआई के सचिव और दो अन्य सदस्यों को पनवेल से गिरफ्तार किया है। ऐसा आरोप है कि प्रतिबंधित होने के बावजूद भी पीएफआइ अपने संगठन को आगे बढ़ाने के प्रयास में जुटी हुई है और गिरफ्तार किए गए दोनों आरोपित पीएफआई की विस्तार टीम से जुड़े हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि पनवेल में पीएफआई सदस्यों की एक बैठक की खुफिया जानकारी महाराष्ट्र एटीएस को मिली थी जिसके बाद एटीएस ने ये कार्रवाई की। आतंकवाद निरोधी दस्ता इस मामले की जांच में जुटा हुआ है।
मुंबई से हुआ था एक आतंकी गिरफ्तार
गौरतलब है कि बीते कुछ दिन पहले भी महाराष्ट्र एटीएस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए मुंबई से एक आतंकी को गिरफ्तार किया था। इस आतंकी का नाम चरत सिंह उर्फ इंद्रजीत सिंह बताया गया है। जांच में सामने आया था कि ये आतंकी कनाडा बेस्ड वांटेड क्रिमिनड लखबीर सिंह लांडा के संपर्क में है। इसने 9 मई को पंजाब पुलिस इंटेलिजेंस हेडक्वार्टर पर ग्रेनेड हमला किया था। इसकी उम्र 30 साल बतायी गई थी और मूल रूप से ये पंजाब का रहना वाला था।
पुलिस इंटेलिजेंस हेडक्वार्टर पर ग्रेनेड हमला
महाराष्ट्र एटीएस से मिली जानकारी के अनुसार चरत सिंह पर आठ मामले दर्ज हैं। पंजाब की कपूरथला जेल से 2022 में वे पैरोल पर छूटकर आया था। पैरोल अवधि में भी उसने अपने साथियों के साथ मिलकर 9 मई 2022 को रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड से मोहाली में पंजाब पुलिस, इंटेलिजेंस हेडक्वार्टर पर हमला किया था। अधिकारी ने कहा कि एटीएस को भारत सरकार की ओर से पीएफआई पर प्रतिबंध लगाए जाने के बावजूद पनवेल में संगठन के दो पदाधिकारियों और कुछ कार्यकर्ताओं की बैठक के बारे में गुप्त जानकारी मिली। इसके बाद एटीएस की एक टीम ने मुंबई से लगभग 50 किलोमीटर दूर स्थित पनवेल में छापेमारी कर पीएफआई के चार कार्यकर्ताओं को पकड़ लिया। अधिकारी ने कहा कि पूछताछ के बादए चारों को कठोर गैरकानूनी गतिविधि निवारण अधिनियम की धारा 10 के तहत मुंबई में एटीएस की कालाचौकी इकाई में दर्ज एक मामले में गिरफ्तार कर लिया गया। उन्होंने कहा कि मामले में जांच जारी है। सरकार ने पिछले महीने पीएफआई और उसके कई सहयोगी संगठनों पर आईएसआईएस जैसे वैश्विक आतंकी समूहों के साथ संबंध होने का आरोप लगाते हुए पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया था। पीएफआई से कथित रूप से जुड़े 250 से अधिक लोगों को पिछले महीने कई राज्यों में हुई छापेमारी के दौरान हिरासत में ले लिया गया था।
क्या है पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और क्या है काम?
पीएफआई केरल से संचालित होने वाला एक कट्टर इस्लामिक संगठन है। मगर खुद को यह वंचितों की आवाज बताता है। पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया 22 नवंबर 2006 को तीन मुस्लिम संगठनों के मिलने से बना था। इसकी स्थापना कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी, केरल के नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट और तमिलनाडु के मनिता नीति पसरई के एक संघ के रूप में की गई थी। पीएफआई यानी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया खुद को मुसलमानों के साथ साथ वंचितों के हक में आवाज उठाने और उन्हें सशक्त बनाने वाला संगठन बताता है। इसका मुख्यालय दिल्ली में है।
पीएफआई का विवादों से पुराना रहा है नाता
राजस्थान और मध्य प्रदेश में हिंसा से लेकर यूपी के कानपुर में हुई हिंसा में भी पीएफआई का नाम आया था। इतना ही नहीं कर्नाटक में हिजाब विवाद और इसके बाद पैदा हुए तनाव के पीछे भी इसी का नाम लिया गया। नागरिकता कानून मामले में भी इस पर जगह जगह तनाव फैलाने और हिंसा कराने का आरोप लगा। इतना ही नहीं। पटना के फुलवारी शरीफ में साजिश में भी इसका नाम आया था। साल 2016 में इस संगठन पर आरएसएस से जुड़े नेता की हत्या का आरोप लगा था। कई दंगों में भी इस संगठन का नाम आ चुका है। यही वजह है कि समय समय पर इस संगठन से जुड़े लोगों की गिरफ्तारी होती रही है और इसे बैन करने की मांग होती थी।