महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव : क्या इस बार मिलेगी…स्थिर सरकार…पांच साल तीन मुख्यमंत्री, जमकर खेला सियासी अखड़ा…!
केन्द्रीय चुनाव आयोग महाराष्ट्र और झारखंड चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है। महाराष्ट्र में एक चरण में 20 नवंबर को वोटिंग होगी और 23 नवंबर को मतगणना होगी। महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है। ऐसे में अब ये सवाल भी हैं क्या इस बार महाराष्ट्र की जनता को स्थिर सरकार मिल पाएगी। दरअसल 2019 के चुनावों के बाद से अब तक महाराष्ट्र की राजनीति में कई राजनीतिक बदलाव देखने को मिले हैं। पिछले पांच साल के दौरान महाराष्ट्र में तीन मुख्यमंत्री बने। इसके साथ ही राज्य की दो बड़ी क्षेत्रीय पार्टियों में बड़ी टूट हुई। कहा जा सकता है कि 2019 से लेकर ढाई साल तो महाराष्ट्र में लोकतंत्र की प्रयोगशाला के तौर पर सरकारें चलती रहीं। कैसे आइए समझते हैं…किस तरह महाराष्ट्र ने इन पांच सालों में तीन मुख्यमंत्री देखे
महाराष्ट्र में एक चरण में 288 सीट पर चुनाव
20 नवंबर को मतदान, 23 नवंबर को नतीजे
पांच साल में महाराष्ट्र में तीन मुख्यमंत्री
महाराष्ट्र में स्थिर सरकार की दरकार…!
महाराष्ट्र विधानसभा की हैं 288 सीट
बहुमत के लिए 145 सीट
2019 में बीजेपी शिवसेना गठबंधन को मिली थी 161 सीट
बीजेपी को मिली थी 195 और शिवसेना को 56
सीएम फेस को लेकर टकराट में टूट गया गठबंधन
तत्कालीन राज्यपाल ने लगाया था महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन
21 अक्टूबर 2019 में वोटिंग के नतीजे 24 अक्टूबर को आए नतीजों में बीजेपी शिवसेना गठबंधन को सबसे ज्यादा 161 सीटें मिलीं। जिनमें बीजेपी की 105 और शिवसेना की 56 सीटें हैं। बीजेपी शिवसेन गठबंधन ने बहुमत का आंकड़ा छू लिया। वही एनसीपी को 54 सीटें औऱ उसकी सहयोगी कांग्रेस को 44 सीटें मिली। वैसे तो बीजेपी और शिवसेना ने बहुमत का आंकड़ा छू लिया था लेकिन दोनो के बीच सरकार के मुखिया मतलब कि मुख्यमंत्री बनने का झगड़ा इतना भड़ा कि शिवसेना ने बीजेपी से अपना नाता ही तोड़ लिया। हालात को देखते हुए राज्यपाल कोश्यारी ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था।
अचानक बीजेपी और एनसीपी के अजीत पंवार ने मिलकर सरकार बनाने के दावा किया और रातों रात देवेनद्र फडनवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। लेकिन ये गठबंधन बहुमत साबित नहीं कर सका। फडनवीस और अजीत पंवार ने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने मिलकर सरकार बनाई। इस गठबंधन का नाम महाविकास अघाड़ी दिया। इसमें 28 नवंबर को उद्धच ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
29 जून को उद्धव ठाकरे के हाथ से छूटी सीएम की कुर्सी
उद्धव के नेतृत्व में सरकार ठीकठाक चलती दिख रही थी। लेकिन शिवसेना के बीच की खींचतान विधान परिषद के चुनावों में देखने को मिली। विधान परिषद के चुनावों में देखने को मिली। जब शिवसेना मे जमकर क्रास वोटिंग हुई। जून 2022 में शिवसेना की क्रास वोटिंग के मुद्दे पर शिवसेना के विधायकों ने बगावत कर दी। इसके बाद एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के कई विधायक पहले गुजरात और फिर असम जा पहुंचे। पार्टी में फूट के बाद उद्दव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद 29 जून को उद्धव के इस्तीफे के बाद शिवसेना शिंदे गुट ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली।
30 जून 2022 को शिंदे ने ली थी सीएम पद की शपथ
30 जून 2022 को शिंदे ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, लेकिन इसके बाद भी महाराष्ट्र की राजनीति की उठापटक नहीं थमी। 2 जुलाई 2023 को एनसीपी में बड़ी फूट ही। अजीत पंवार के नेतृत्व में एनसीपी के कई विधायक बीजेपी शिवसेना गठबंदन के साथ आ गए। इसके बाद शिवसेना में चुनाव चिन्ह को लेकर झगड़ा चला। इसमें एकनाथ शिंदे गुट को शिवसेना का पुराना चुनाव चिन्ह मिला। वहीं एनसीपी के झग़ड़े में पार्टी का नाम और निशान दोनों अजीत पवार को मिले। 2019 के बाद महाराष्ट्र के राजनीति ने बड़े उथल पुथल देखे अब इन चुनावों में जनता को एक स्थिर सरकार मिलने की उम्मीद है।