महाराष्ट्र में शिवसेना में बगावत के बाद राज्य में एकनाथ शिंदे को सपोर्ट कर बीजेपी ने सरकार तो बनवा दी, लेकिन उसकी मंशा शिवसेना को खत्म करने की है। जिस पर उसने धीरे धीरे कदम बढ़ना शुरु किया है। ठाकरे परिवार शिवसेना की पहचान हुआ करते थे,लेकिन अब शिवसेना और उसका चुनाव चिन्ह् एकनाथ शिंदे के पास है, जिनकी फिलहाल पहचान ये है कि वे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री हैं। अगले साल 2024 में महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव होना हैं। ऐसे में बीजेपी अभी से चुनावी तैयारी में जुट गई है तो वहीं उद्धव ठाकरे और शिंदे गुट आपस में टकरा रहे हैं ऐसे में दोनों गुट के कितने विधायक फिर से चुनकर विधानसभा में पहुंचेंगे ये बड़ा सवाल है।
उद्धव ठाकरे जता चुके हैं ये आशंका…
महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच जब सत्ता को लेकर जंग चल रही थी, तब उद्धव ठाकरे ने ये आशंका जताई थी कि बीजेपी शिवसेना को खत्म करने की साजिश रच रही है। तब उद्धव ठाकरे ने बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाए थे कि बीजेपी उनकी पार्टी को खत्म करने की योजना बना रही है। ठाकरे ने अपने पार्टी के नेताओं से कहा अगर वे लड़ाई लड़ना चाहते हैं तो साथ रहें। उन्होंने कहा बीजेपी शिवसेना को खत्म करने का प्रयास कर रही है।
महाराष्ट्र में उतार-चढ़ाव से भरा ही रहा बीजेपी का ग्राफ
महाराष्ट्र में बीजेपी की राजनीतिक हैसियत का ग्राफ उतार-चढ़ाव से भरा ही रहा है। कभी शिवसेना के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे बीजेपी को ‘कमलाबाई’ नाम देकर अपने कार्यकर्ताओं से कहते थे थे उसकी चिंता मत करो। वो वही करेगी जो मैं कहूंगा। आज वो दौर आ गया जब ठाकरे परिवार का शिवसेना से नियंत्रण लगभग खत्म हो गया है। एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के 55 में से 40 विधायकों ने बीजेपी का हाथ पकड़कर सरकार बना ली। अब ठाकरे परिवार के पास केवल 16 विधायकों का समर्थन शेष है। सियासत के जानकार कहते हैं कि शिवसेना के कमजोर होने से बीजेपी को बड़ा फायदा होगा। क्योंकि बीजेपी लंबे समय से शिवसेना को दो हिस्सों में बांटना चाहती थी। जिसमें वो अब कामयाब हो कई है। बता दें शिवसेना बीजेपी की सबसे पुरानी सहयोगी रही है लेकिन साल 2019 में दोनों के बीच दरार आई। जिसके बाद शिवसेना दूसरे पाले में चली गयी। लेकिन तब तक बीजेपी शिवसेना को जूनियर पार्टनर के दर्जे पर पहुंचा चुकी थी। बीजेपी की सियासत पर करीब से नजर रखने वाले बताते हैं शिवसेना बंटने के बाद अब खत्म होने की दिशा में बढ़ रही है। देश में अब तक हिंदुत्व के मुद्दे पर सड़क पर उतरने वाली दो पार्टियां थी, बीजेपी और शिवसेना। शिवसेना खत्म होती है तो सिर्फ एक दावेदार यानी बीजेपी रह जाएगी, जिसे देश भर में हिंदुत्व समर्थकों का समर्थन मिलेगा।
शिवसेना की मूल आत्मा से भटक गए उद्धव
बाल साहेब ठाकरे ने कभी कांग्रेस को सर पर नहीं चढ़ने दिया। उनके जाने के बाद उद्धव ठाकरे ने जिस तरह समावेशी राजनीति करने की कोशिश की तो वो शिवसेना की मूल आत्मा के विपरीत थी। बाल ठाकरे की पूरी राजनीति उग्र थी। वे हिंदुत्व के पक्ष में बोलते थे। उत्तर भारतीय और दक्षिण भारतीयों के खिलाफ और मराठी मानुष के समर्थन में थे। लेकिन उद्धव ठाकरे ने सभी को साथ लेकर चलने की दिशा में कदम बढ़ाया तो इसमें मुसलमान भी शामिल थे। यही वजह है कि मूल मराठी मानुष वाली राजनीति पीछे हो रही थी। साल 2024 में उद्धव या शिंदे गुट के कितने विधायक चुनाव जीतकर आएंगे ये बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है। क्योंकि चुनावों में बीजेपी पूरी ताकत से मैदान में उतरेगी। बीजेपी की रणनीति है कि किसी तरह शिवसेना को खत्म किया जाए। उसका मकसद शिवसेना को बांटना नहीं, खत्म करना है। जिस तरह कांग्रेस को लगभग खत्म कर दिया है। एलजेपी को लगभग खत्म कर दिया, उसी तर्ज पर वह शिवसेना को खम्त करना चाहती है।
150 सीटों पर चुनावी तैयारी में जुटे देवेन्द्र फडणवीस
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस राज्य की 150 सीटों को लेकर मंथन कर रहे हैं। उनका कहना है बीजेपी ने 2024 में होने वाले राज्य के विधानसभा चुनाव में 150 सीट जीतने का लक्ष्य रखा है। पार्टी की नागपुर इकाई के कार्यकारी निकाय की बैठक में उन्होंने आरोप लगाया कि उद्धव ठाकरे की महा विकास आघाड़ी सरकार घर से काम करती थी और भ्रष्टाचार में लिप्त थी। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री रहने के दौरान उद्धव ठाकरे पर बीजेपी लगातार आरोप लगाती रही कि वे कोविड -19 महामारी। उसके बाद लागू लॉकडाउन और किसानों को भारी बारिश से होने वाली परेशानियों को लेकर दबाव डालने के बावजूद, शायद ही कभी मुंबई से बाहर निकले।
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