महाकुंभ में पंचकोसी परिक्रमा: साधु संत कर रहे प्रमुख मंदिरों के दर्शन…जानें 556 साल पहले अकबर ने क्यों लगा दिया था इस यात्रा पर प्रतिबंध…!

Mahakumbh 2025 Panchkosi Parikrama Juna Akhara Patron Akhil Bharatiya Akhara Parishad President Mahant Ravindra Puri Maharaj

प्रयागराज की धरती पर दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन महाकुंभ 2025 में अब तक करोड़ों श्रद्धालु पवित्र गंगा, जमुना और सरस्वती के त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगा चुके हैंं। म​हाकुंभ मेले में अब साधु संत तीर्थराज प्रयागराज की पंचकोसी परिक्रमा कर रहे हैं। जिसकी शुरुआत सोमवार को की गई है।

पंचकोसी परिक्रमा पूरे पांच दिन चलेगी।जिसमें प्रयागराज के सभी मुख्य तीर्थों और मंदिरों का दर्शन पूजन कर शुक्रवार 24 जनवरी को संपन्न होगी। विशाल भंडारे के साथ पंचकोसी परिक्रमा का समापन होगा। जिसमें अखाड़ों के सभी नागा साधु संन्यासियों के साथ में मण्डलेश्वर, महामण्डलेश्वर और आम श्रद्धालुओं का भंडारा कराया जाएगा।

महाकुंभ 2025 में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की अगुवाई में साधु-संतों ने सबसे पहले त्रिवेणी संगम के तट पर गंगा पूजा की। इसके साथ इस यात्रा की शुरुआत की गई। अगले पांच दिन तक यह यात्रा चलेगी। इस यात्रा में संगम नगरी में विराजमान सभी प्रमुख देवी-देवताओं के मंदिरों का दर्शन और पूजन कर पुण्य अर्जित किया जाएगा।

पवित्र त्रिवेणी तट पर गंगा पूजा और गंगा आरती के बाद साधु-संतों ने किला स्थित अक्षय वट के दर्शन किये और पूजा की। इसके सभी साधु संत ने संगम किनारे स्थित लेटे हनुमान मंदिर पहुंचे, जहां सभी ने श्री हनुमान जी के दर्शन किये। इस पंचकोशी परिक्रमा के मार्ग में नाग वासुकी मंदिर, 12 माधव, दशास्वमेघ मंदिर, सोमेश्वर महादेव मंदिर, मनकामेश्वर मंदिर, दुर्वासा आश्रम, भारद्वाज आश्रम, पडिला महादेव मंदिर समेत जिले भर के पौराणिक महत्व वाले मंदिरों में दर्शन पूजन किया जाएगा।

जूना अखाड़े के संरक्षक और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी महाराज और महामंत्री महंत हरि गिरी महाराज महाकुंभ पंच कोसी परिक्रमा यात्रा का नेतृत्व कर रहे हैं।  इस यात्रा में काफी संख्या में साधु संत और श्रद्धालु भी शामिल हैं।

बता दें प्रयागराज में पंचकोसी परिक्रमा का विशेष महत्व माना जाता है। हर साल माघ के महिने में साधु संत पंचकोसी परिक्रमा के जरिए विभिन्न तीर्थों स्थलों का दर्शन और पूजन करते हैं। महाकुंभ 2019 से पहले साल 2017 में पंचकोसी परिक्रमा को फिर से प्रारंभ किया गया था।  अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने बताया कि अखाड़ा परिषद के महामंत्री महंत हरि गिरी महाराज के प्रयास से सदियों पुरानी यह परंपरा एक बार फिर से पुनर्जीवित कर दी गई है। साल 2017 से प्रयागराज में लगातार पंचकोसी यात्रा जारी है।

अकबर  ने लगा दी थी पंचकोसी यात्रा पर रोक!

प्रयागराज महाकुम्भ इस बार भी कई बड़ी धार्मिक परम्पराओं का फिर से साक्षी बन रहा है। इस बार महाकुंभ में तीर्थ प्रयागराज की उस पुरातन पंचकोसी परम्परा को एक बार फिरआगे बढ़ाया गया, जो 556 साल पहले कुंभ का अटूट हिस्सा हुआ करती थी। कई साल के बाद साधु-संतों और यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार की कोशिशों से पंचकोसी परिक्रमा की शुरुआत साल 2019 में की गई थी। प्रयागराज में संगम तट पर साधु-संतों और मेला प्रशासन के अधिकारियों ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजा और अर्चना के बाद पंचकोसी परिक्रमा प्रारंभ की। बता दें 556 साल पहले मुगल शासक अकबर ने इस यात्रा पर रोक लगा दी गई थी।

क्यों की जाती है पंचकोसी परिक्रमा?

पंचकोसी परिक्रमा की परम्परा के पीछे प्रयागराज का वह क्षेत्रीय विस्तार है, जिसके अनुसार प्रयागराज मंडल पांच योजन और करीब 20 कोस में विस्तृत है। गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के यहां छह तट बने हुए हैं। जिन्हें मिलाकर तीन अन्तर्वेदियां यहां बनाई गई हैं। जिनमें अंतर्वेदी, मध्य वेदी और बहिर्वेदी शामिल हैं। इन तीनों वेदियों में कई तीर्थ के साथ उप तीर्थ और आश्रम शामिल हैं। जिनकी परिक्रमा को पंचकोसी परिक्रमा में शामिल किया गया है। मान्यता है कि प्रयागराज आने वाले सभी तीर्थ यात्रियों को पंचकोसी परिक्रमा करना चाहिए। इस यात्रा से यहां विराजमान सभी देवताओं, मंदिरों, आश्रमों— मठों और पवित्र जलकुंडों के दर्शन से अक्षय पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

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