शिवरात्रि तो हम सभी मनाते हैं। शिव बारात भी निकाली जाती है लेकिन भोले बाबा का दूल्हे रूप में सजे आपने कम ही देखा होगा। भोले बाबा दूल्हे के रूप मे सजते हैं पूरे शहर से बारात निकलती है और ये सबकुछ होता है बाबा के खास धाम महाकाल में । उज्जैन में शिव बारात का नज़ारा देखते ही बनता है। महाकाल में शिवरात्री का उत्सव पूरे नौ दिन का होता है। इसे शिव नवरात्रि कहा जाता है।नौ दिनों तक बाबा का अलग अलग रूपों में श्रृंगार होता है । 18 फरवरी को शिवरात्री है महाकाल में ये उत्सव 10 तारीख से शुरू हो चुका है।
नौ दिन अलग-अलग श्रृंगार
पहला दिन- भगवान महाकाल का चंदन से श्रृंगार, जलाधारी पर हल्दी अर्पित की
दूसरा दिन- भगवान का शेषनाग के रूप में श्रृंगार
तीसरे दिन- भगवान का घटाटोप श्रृंगार
तीसरे दिन बाबा महाकाल भक्तों को घटाटोप रूप में दर्शन देंगे।
वहीं चौथे दिन बाबा महाकाल का छबीना श्रृंगार किया जाता है। जो कि एक नवयुवक स्वरूप होता है। इसमें बाबा का श्रृंगार एक राजकुमार की तरह किया जाता है।
शिव नवरात्रि के पांचवें दिन महाकाल बाबा को होलकर परंपराओं के अनुसार सजाया जाएगा।
शिव नवरात्रि के छठवें दिन बाबा महाकाल को मनमहेश के रूप में सजाया जाएगा। इस रूप में भगवान शिव के रूप में महाकाल का श्रृंगार होगा।
7वें दिन बाबा महाकाल माता पार्वती के साथ उमा-महेश के रूप में भक्तों को दर्शन देते हैं। इस दिन महाकाल बाबा और मां पार्वती दोनों का स्वरूप भक्तों को दिखता है।
8वें दिन बाबा महाकाल शिव तांडव के रूप में भक्तों को दर्शन देते हैं। इस स्वरूप में महाकाल का रौद्र रूप भक्तों को देखने को मिलता है।
शिव नवरात्रि के अंतिम दिन बाबा महाकाल को दूल्हे के रूप में सजाया जाता है। कई क्विंटल फूलों का सेहरा बाबा को पहनाया जाता है। निराकार स्वरूप अगले दिन सेहरा दर्शन होते हैं।
देश भर के ज्योर्तिलिंगों में एक मात्र उज्जैन के बाबा महाकाल के आंगन में नौ दिवसीय शिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस दौरान भगवान महाकाल 9 दिनों तक अलग-अलग स्वरूपों में भक्तों को दर्शन देते है। वहीं अंतिम दिन शिवरात्रि महापर्व पर भगवान को सेहरा धारण कराया जाता है। इसी दिन वर्ष में एक बार बाबा महाकाल को दोपहर के समय भस्म रमाई जाती है। शिवनवरात्रि की शुरूआत फाल्गुन मास की पंचमी से हो चुकी है।
पूरे देश में शिवरात्री मनाई जाती है लेकिन महाकाल में पूरे नौ दिन उत्सव होता है जो अपने आप में अनोखा है।