महाभारत के शकुनि मामा का किरदार अमर कर गए गूफी पेंटल , जानें उनके शकुनि किरदार से जुड़ी रोचक बातें

बीआर चोपड़ा की महाभारत में शकुनि का किरदार निभाने वाले गूफी पेंटल का आज देहांत हो गया . वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे और अस्पाताल में भर्ती थे. उन्हें किडनी और हार्ट संबंधी बीमारियां थी. गूफी को शकुनि के किरदार के लिए आज भी याद किया जाता है. शकुनि का नाम आता है लोगों के मन में एक चतुर. चालक और धूर्ति व्यक्ति वाली छवि बनती है जिसे गूफी ने बहुत अच्छे से निभाया था.चलिए आज आपको महाभारत के इस अहम किरदार के बारे में कुछ रोचक बाते  बताते हैं.

 

कौन था शकुनि ?
शकुनि गांधार साम्राज्य के राजा थे, जो आज के अफगानिस्तान की राजधानी है. शकुनि गांधारी का भाई और हस्तिनापुर के राजा धृतराष्ट्र का साला भी था, जिस कारण से वो अपने भांजे को सिंहासन पर भी बैठाना चाहता है. उसने पांडवो को मारने के लिए कई साजिशे भी रची थी. आखिरी में उसकी मृत्यु रणभूमि में सहदेव के हाथों हुई थी.

 

पांडवों को मारने की रचता था साजिश
शकुनि हर समय पांडवों को मारने की साजिश रचा करता था. उसने पांडवों को मारने के लिए लाक्षागृह भी बनवाया था लेकिन वो अपनी योजना में सफल न हो सका. शकुनि एक पैर से लंगड़ा था लेकिन पासे खेलने में उसे महारत हासिल थी. इसलिए दुर्योधन को राजा बनाने के लिए ही उसने छल से पांडवो को जुआ खेलने के लिए राजी किया था. इसी जुएं में पांडव अपना सबकुछ हारे थे और इसी जुएंं के कारण द्रौपदी का भरी सभा में अपमान हुआ था, जिससे महाभारत की पटकथा तैयारी हुई.

 

मन ही मन करत था कौरवों से नफरत
शकुनि मन ही मन कौरवों से नफरत करता था. कहा जाता है कि भीष्म जब धृतराष्ट्र का रिश्ता लेकर गांधार नरेश के पास गए तो उन्होंने धृतराष्ट्र के अंधे होने की जानकारी नहीं दी.  ये बात जब शकुनि को पता चली तो उसने बहुत विरोध किया , लेकिन गांधारी तब तक धृतराष्ट्र को मन ही मन अपना पति मान चुकी थी. इसी दिन से उसने प्रतिज्ञा ली कि वो कौरवों का विनाश कर देगा. आखिर में शकुनि ही महाभारत का युध्द होने की प्रमुख वजह बना.

 

पिता की रीढ़ की हड्डी से बनाएं थे पासे
शकुनि चौसर गेम का बहुत बड़ा महारती थी. उसने अपने पिता की रीढ़ की हड्डी से पासे तैयार करें थे. शकुनि इन पासों को हमेशा अपने पास रखता था. ये पासे शकुनि के मुताबिक कार्य करते थे. कहा जाता है कि इन पासों में गांधार नरेश की आत्मा थी जिससे ये शकुनि के मन मुताबिक चलते थे. बता दें कि शकुनि ने ही कौरवो को जुंआ खेलने की आदत लगवाई थी.

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