विधवा महिलाएं भी बन सकती हैं क्या नागा साधु? जानें क्या हैं नागा साधु बनने के नियम….क्या है महिला साधुओं की रहस्यमयी दुनिया

Maha Kumbh Prayagraj Women Naga Sadhu Triveni Sangam Bath

महाकुंभ 2025 के शुभारंभ के साथ ही सबसे अधिक चर्चा नागा साधुओं और शाही यानी अमृत स्नान की हो रही है। क्या आप जानते हैं महिला नागा साधु भी होती हैं। जिनकी जीवन शैली भी पुरुषों की तरह ही बेहद कठिन होती है। महिला नागा साधुओं को बहुत से कठोर नियमों का पालन करना पड़ता है। ऐसे में कई लोगों के मन में यह सवाल उठता है क्या विधवा महिलाएं भी नागा साधु बन सकती हैं। चलिए इसका जवाब भी हम आपको बताते हैं।

प्रयागराज में महाकुंभ की भव्य और दिव्य शुरुआत हो चुकी है। करोड़ों श्रद्धालु संगम में आस्था की डुबकी लगा चुके हैं। प्रयागराज में महाकुंभ इस बार 45 दिनों तक चलेगा। इसके शुभारंभ होते ही चारों ओर केवल महाकुंभ की ही चर्चा हो रही हैं। महाकुंभ में लाखों की संख्या में नागा और अघोरी साधु-संत भी शामिल हो रहे हैं। पुरुषों की तरह महिलाएं नागा साधु भी होती हैं। इस बार महाकुंभ में बड़ी संख्या में महिला नागा साधुओं की भी पवित्र स्नान करने पहुंचीं।

वैसे आप महिला नागा साधुओं को लेकर पहले के अंक में बहुत कुछ पढ़ चुके होंगे। जानकारी हासिल कर चुके होंगे। हम बता रहे हैं कि किस तरह महिला नागा साधुओं की जीवन शैली बेहद कठिन होता है। इन्हें बहुत से नियमों का पालन पूरे जीवन में करना पड़ता है। कई लोगों के मन में ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या विधवा महिलाएं भी नागा साधु बनती हैं। बता दें कोई विधवा महिला नागा साधु बन सकती है अथवा नहीं और अगर बन सकती है, तो उनके लिए नियम क्या होते हैं। क्या विधवा महिलाएं भी नागा साधु बन सकती हैं, तो इस सवाल का जबाव है हां। विधवा महिलाओं को भी नागा साधु बनने और महाकुंभ में अमृत स्नान करने का मौका मिलता है। आज हम आपको बता रहे हैं कि इस बार महाकुंभ के मेले में पहुंचीं महिला नागा साधुओं और साध्वी में कोई डॉक्टर है तो कोई इंजीनियर तो कोई एक्ट्रेस भी रहीं हैं। हालांकि नागा साधुओं में विधवा महिलाओं की संख्या बहुत अधिक होती है।

विधवा महिलाएं बनती हैं साधु

विधवा महिलाएं सामान्य साधु बनने की अपेक्षा नागा साधु बनना ज्यादा पसंद करती हैं। भारत में वैसे तो बहुत सी विधवा महिलाएं नागा साधु बनती हैं, लेकिन इन विधवाओं नागा साधुओं में नेपाली और कई बाहरी देशों से भी विधवा महिलाएं यहां आकर नागा साधु बन जाती है। बता दें जूना संन्यासिन अखाड़ा में करीब तीन चौथाई विधवा महिलाएं नेपाल से हैं, जो इस अखाड़े में शामिल हैं। दरअसल, नेपाल में उच्च जाति की विधवा महिलाओं के पुर्न विवाह पर समाज उन्हें स्वीकार नहीं करता है। ऐसे में यह विधवा महिलाएं घर लौटने के बजाय नागा साधु बन जाती हैं। जंगलों में तपस्या करती हैं।

विधवा महिलाओं के लिए क्या हैं नियम?

नागा साधुओं को वैसे तो निर्वस्त्र रहना होता है। लेकिन महिला नागा साधुओं को वस्त्र त्यागने की इजाजत नहीं होती है। हर महिला नागा साधु को बगैर सिला कपड़ा अपने शरीर पर डालना पड़ता है। इस कपड़े को गंती कहा जाता है। नागा साधु बनने के लिए हर महिला को फिर चाहे वह विधवा हो अथवा नहीं उन्हें करीब 6 से 12 साल तक ब्रह्मचर्य का पालन करना पड़ता है। किसी भी विधवा महिला के नागा साधु बनने से पहले सांसारिक वस्तु का मोह त्यागना पड़ता है। इतना ही नहीं पुराने सभी रिश्तों और संबंधों को भी त्यागना पड़ता है। चाहे वह उसकी संतान ही क्यों न हो। इसके बाद उन्हें अपने पुराने और आने वाले जन्मों के लिए स्वयं का पिंडदान भी करना होता है। इस ततरह पिंडदान करने से ये सिद्ध होता है कि नागा बनने वाली महिला पूरी तरह से ईश्वर को समर्पित हो चुकी हैं। महिला नागा साधु को अपने माथे पर हमेशा तिलक लगाना होता है। कोई भी महिला तब तक नागा साधु नहीं बन सकती जब तक उन्हें महिला गुरु की ओर से इसकी अनुमति नहीं मिल जाती है। अपनी गुरु से दीक्षा लेने के बाद गंगा स्नान किया जाता है।

नारी शक्ति का अनुपम रूप हैंं महिला नागा साधु

महाकुंभ में महिला नागा साधु केवल पुरुषों के लिए ही नहीं बल्कि महिलाओं के लिए भी एक अनूठा हिस्सा होती हैं। यह साधु महिलाएं अपने जीवन को पूर्णत: ईश्वर की सेवा में समर्पित कर देती हैं। उनका पूरा जीवन तपस्या, पूजा और कठोर साधना के ही व्यतित होता है। नागा साधुओं का जीवन बेहद कठिन होता है। महिला साधु भी इस जीवन के लिए पूरी तरह से समर्पित भाव से ईश्वर की सेवा में लीन रहती हैं।

(प्रकाश कुमार पांडेय)

Exit mobile version