मध्यप्रदेश में इस साल विधानसभा चुनाव होने है. ऐसे में दोनों पार्टियों की चाहत होगी कि वे सत्ता पर काबिज हो सके.ऐसे में चुनाव जीतने के लिए पार्टियां के नेता हिंदुत्व को मुद्दा बनाते हुए जल्द ही मंदिरों के भ्रमण पर भी निकलते नजर आएंगे. इस मंदिर भ्रमण में नेता दतिया जिले में स्थित मां पीताम्बरा के दरबार जरूर जाना चाहेंगे. कहा जाता है कि जिन भी राजनेताओं ने इस मंदिर में माथा टेका है, उन्हें सत्ता प्राप्त हुई है. इसके अलावा पहले भी अगर देश पर किसी तरह का संकट आया है , तो प्रधानमंत्री हो या राष्ट्रपति सभी उसके समाधान के लिए मां पीतांबरा के मंदिर पहुंचे हैं.
माता का नाम आज भी रहस्य
मां पीतांबरा के जन्म स्थान, नाम और कुल को लेकर आज तक रहस्य बना हुआ है. मां पीतांबरा के इस सिध्दपीठ की स्थापना 1935 में परम तेजस्वी स्वामी ने की थी. परम तेजस्वी स्वामी के जप और तप के कारण ही इस पीठ को देश भर में सिध्दपीठ के रूप में जाना जाता है. पीतांबरा मां इस पीठ में चतुर्भुज रूप में विराजमान हैं.
पीले वस्त्रों का होता है खास महत्व
मंदिर में मां के दर्शन सिर्फ एक खिड़की से किए जाते हैं. पीठ में मां की मूर्ति को छूने की सख्त मनाही है. पीतांबरा देवी के मंदिर मेंं पीली वस्तुएं चढ़ाने का खास महत्व होता है. खासकर अगर आप कोई विशेष अनुष्ठान करवाते है तो पहले भक्त को पीले कपड़े पहनने पड़ते है.
सत्ता की देवी का है मंदिर
मां पीतांबरा देवी को राजसत्ता की देवी कहा जाता है. यहां देश के कई बड़े नेता माता की आराधना करने पहुंचते है. बता दें कि जो भक्त राजसत्ता की कामना रखते है , वे यहां आकर माता की गुप्त पूजा करवाते है. माता शत्रु नाश की अधिष्ठात्री देवी कही जाती है और राजसत्ता के लिए उनकी पूजा करने का खास महत्व होता है. ऐसे में कहा जा सकता है कि मध्यप्रदेश चुनाव से पहले यहां बहुत बड़ी भीड़ देखने को मिल सकती हैं.