मध्य प्रदेश में दो सीट पर हुए उपचुनावों के परिणाम और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बयान के बार सियासत थमने का नाम नहीं ले रही है। बुधनी तो बीजेपी जैसे तैसे जीत गई, लेकिन विजयपुर विधानसभा सीट पर उसे हार का सामना करना पड़ा। मंत्री रहते हुए भी रामनिवास रावत चुनाव नहीं जीत सके। बता दें विजयपुर ग्वालियर-चंबल संभाग में शामिल है। यह क्षेत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया का प्रभाव क्षेत्र माना जाता है। जहां बीजेपी की हार का सामना करना पड़ा है।
ऐसे में सियासी गलियारों में चर्चा जोरों पर है कि क्या सिंधिया पार्टी से बड़े हो गए हैं। लगता है सिंधिया के लिये बीजेपी हो या कांग्रेस सब एक समान हैं। क्योंकि जब सिंधिया कांग्रेस में थे तब अक्सर कुछ यही कहा जाता था कि महाराज तो पार्टी से बड़े है। अब जबकि सिंधिया बीजेपी में आ चुके हैं, केन्द्र में मंत्री की जिम्मेदारी भी संभाल रहे हैं।
- क्या रामनिवास रावत दिग्विजय सिंह के गुट के थे
- सिंधिया की रावत से अखिर क्या दुश्मनी है..
- आखिर सिंधिया ने रावत का प्रचार क्यों नहीं किया?
- क्या पार्टी से बड़े हो गए हैं सिंधिया ?
विजयपुर में हार के बाद जब सिंधिया की भूमिका पर सवाल उठे तो उनका यह कहना कि विजयपुर में प्रचार के लिए उन्हें बुलाया ही नहीं गया। बुलाया होता तो प्रचार करने जरुर जाता। दरअसल विजयपुर उपचुनाव में बीजेपी के रामनिवास रावत की हार के बाद सियासी गलियारों में चर्चा गरमा गई थी कि केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का प्रचार के लिए विजयपुर न जाना भी एक बड़ा फैक्टर माना जा रहा है। वे अगर विजयपुर में चुनाव के लिए प्रचार के लिए जाते तो नतीजे शायद कुछ और सामने होते। अब सियासी चर्चाओं के बीच केंद्रीय मंत्री सिंधिया ने भी अपना तर्क दिया और कहा कि अगर उन्हें बुलाया जाता तो वे जरूर जाते। इसके साथ ही सिंधिया ने यह भी कहा कि विजयपुर उपुचनाव में मिली हार पर चिंता करने की अवश्यकता है। हालांकि विजयपुर में पिछली बार की अपेक्षा मत प्रतिशत में बढ़ोतरी हुई है।
सबनानी ने कहा सिंधिया को बुलाया था
केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का कहना है कि उन्हें प्रचार के लिए बुलाया नहीं गया जबकि भाजपा प्रदेश महामंत्री और पार्टी विधायक भगवान दास सबनानी ने कहा सिंधिया का नाम स्टार प्रचारकों की सूची में था। मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ही नहीं भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा ने भी सिंधिया को बुलाया था। हालांकि सिंधिया ने अपनी व्यस्तता के चलते आने में असमर्थता जताई थी।
संगठन के जवाब के बाद क्या बोले सिंधिया
सिंधिया ने ग्वालियर में कहा था कि उन्हें प्रचार के लिए बुलाया नहीं गया।, इसके बाद सबनानी का जब बयान सामने आया तब तक सिंधिया गुना पहुंच चुके थे। जहां मीडिया ने जब सिंधिया से इसे लेकर सवाल किया तो उनका साफ मौर पर कहना था कि वे बयान के बयान में नहीं लगते। इसका मतलब स्पष्ट है कि अब बीजेपी संगठन और केन्द्रीय मंत्री सिंधिया के बीच पूरी तरह कुछ ठीकठाक नहीं है।
कभी सिंधिया के खास हुआ करते थे रावत!
दरअसल रामनिवास रावत कभी महल यानी सिंधिया परिवार के नजदीकी रहे हैं। साल 2020 में जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से पाला बदलकर भाजपा का दामन थामा था तो रामनिवास रावत उनके साथ भाजपा में नहीं गए थे। इसके बाद चंबल अंचल में राम निवास रावत के परिवार के खिलाफ जिस तरह की कार्रवाई हुई थी, उसके पीछे भी कथित तौर परसे सिंधिया समर्थकों का हाथ माना बताया जा रहा था। वहीं रामनिवास रावत जब बीजेपी में शामिल हुए थे तो उस दौरान विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर,मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव और बीजेपी संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा के आए थे। वहीं रावत की भाजपा में ज्वाइनिंग के वक्त भी सिंधिया की गैरमौजूदगी चर्चा का विषय बनी थी। ऐसे में अब एक बार फिर यही सवाल उठता है कि क्या सिंधिया भाजपा में भी कांग्रेस की तरह स्वयं को पार्टी से उपर मानने लगे हैं।
(प्रकाश कुमार पांडेय)