बीजेपी की बंपर जीत का परचम पूरे मध्य प्रदेश में लहरा रहा है। इस साल के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 163 सीटों पर जीत हासिल की है। इस जीत का क्रेडिट मोदी की गारंटी और शिवराज सरकार की लाडली बहना योजना को तो जाता ही है। साथ ही उस टीम को भी जाता है जिसने दिन रात मेहनत की और बीजेपी की हर योजना और वादों को मतदाताओं तक पहुंचाया। पीएम, सीएम और बीजेपी का हर नेता तो अपने काम में जी जान से जुटा हुआ था। लेकिन उनकी मेहनत का अंदाजा ही मतदाता को न लगता अगर ये टीम सही समय और सही मंच पर प्रसारित नहीं कर पाती।
- एमपी में लहरा रहा बीजेपी का परचम
- 163 सीटों के साथ फिर सत्ता में बीजेपी
- सफलता के पीछे बीजेपी मीडिया टीम की भी मेहनत
- सुबह 9 बजे से सक्रिय हो जाता है बीजेपी मीडिया सेंटर
- हर मुद्दे पर पैनी नजर रखते हैं आशीष अग्रवाल
- बीजेपी मीडिया प्रभारी हैं अग्रवाल
- अग्रवाल करते हैं हर मुद्दे की रिसर्च
बीजेपी मीडिया सेंटर की टीम सुबह नौ बजे से ही दफ्तर में तैनात हो जाती है। सुबह से घनघनाने वाले फोन, नए ताजे मुद्दों पर नजर रखना और उनके अनुसार रिसर्च कर सही जवाब बीजेपी नेताओं को बताने की जिम्मेदारी भी यही टीम संभालती है। इसी टीम का युवा, ऊर्जावान और संयमित चेहरा हैं आशीष अग्रवाल। जो हर रोज मुस्तैदी के साथ एक एक घटना पर नजर रखते हैं। कब किस मुद्दे पर किस तरह बयान दिया जाना चाहिए। उस मुद्दे से जुड़ी बारीक से बारीक रिसर्च का जिम्मा आशीष अग्रवाल खुद संभालते हैं और अपनी टीम को उस काम के लिए गाइड भी करते हैं। जो पूरी शिद्दत से एक एक फैक्ट खंगालती है। उसे क्रॉस चैक करती है और फिर उसे सही शब्दों के साथ अपने नेता तक पहुंचाती है।
पर्दे के पीछे रहकर लिखी जीत की इबारत
जब एक फिल्म रिलीज होती है तब पूरा क्रेडित फिल्म की कास्ट को मिलता है और फिर बारी आती है डायरेक्टर की। लेकिन लोग भूल जाते हैं कि फिल्म को हिट बनाने के लिए एक कसी हुई स्क्रिप्ट और एक परफेक्ट सिनेमेटोग्राफी की जरूरत होती है। आशीष अग्रवाल और उनकी टीम इसी विधा में पारंगत है। जो पर्दे के पीछे रह कर बीजेपी की जीत की इबारत को लिखते हैं और उसे पुख्ता भी करते हैं। खासतौर से आशीष अग्रवाल ने न केवल अपनी ऊर्जा और सही मुद्दे पकड़ने की समझ से बीजेपी नेताओं की मदद की। बल्कि वो बीजेपी प्रवक्ताओं का एक सौम्या चेहरा बनकर भी उभरे हैं। जो हमेशा मीडिया और पार्टी के बीच एक सुगम सेतु की तरह पेश आते रहे। जिनके चेहरे पर सत्ताधारी पार्टी के प्रवक्ता होने की ठसक की जगह एक मुस्कान हमेशा मिली। जिसने मीडिया से संपर्कों को मजबूत किया और मीडियाकर्मियों को उनसे जुड़े रहने पर मजबूर भी किया। उन्होंने साबित कर दिया कि प्रदेश की सत्ता में बने रहना पार्टी का मकसद है तो उनके और मीडिया सेंटर के लिए ये एक मिशन है।