मध्यप्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र में दूसरे दिन भी जमकर हंगामा हुआ। बुधवार को प्रश्नकाल के बाद विपक्षी विधायकों ने सरकार के खिलाफ सदन में नारेबाजी शुरू कर दी। विपक्ष दरअसल राज्य में आदिवासियों पर हो रहे अत्याचार मुद्दे पर सदन में चर्चा कराने की मांग कर रहा था। हंगामे के बीच कांग्रेस विधायक गर्भ गृह में धरने पर बैठ गए। साथ ही हंगामे के बीच वित्तमंत्री जगदीश देवड़ा ने करीब 26 हजार 800 करोड़ से ज्यादा का सप्लीमेंट्री बजट सदन में पेश किया। इसके बाद विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई।
- आदिवासी के मुद्दे पर सदन में हंगामा
- विपक्ष आदिवासी के मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग अड़ा
- जय महाकाल के जयकारे भी सदन में गूंजे
- आदिवासी पर अत्याचार बंद करने के भी लगे नारे
- विपक्ष का सदन में आदिवासी के मुद्दे जोरदार हंगामा
- आदिवासी मुद्दे पर चर्चा करने को लेकर सदन में हंगामा
- विपक्ष आदिवासी के मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग
- सदन में लगाया सरकार पर मनमानी का आरोप
सदन में सरकार को किया कटघेरे में खड़ा
दूसरे दिन की कार्यवाही शुरू होने से पहले ही विपक्ष ने सरकार को कटघेरे में खड़ा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। नेता प्रतिपक्ष डॉ.गोविंद सिंह ने कहा सीएम शिवराज को जालिम तानाशाह करार दिया और कहा CM शिवराज सत्र नहीं चलाने दे रहे हैं। विपक्ष की बातों को अनसुना किया जा रहा है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा जब तक राज्य सरकार स्थगन लाकर सदन में आदिवासी मुद्दों पर चर्चा नहीं कराती विपक्षी सदस्य सदन की कार्यवाही चलने नहीं देंगे। हालांकि नेता प्रतिपक्ष ने यह भी कहा कि अंतिम सत्र है। सरकार सौहाद्रपूर्ण तरीके से सदन को चलाए। बता दें 15वीं विधानसभा का यह अंतिम सत्र है। सत्र 15 जुलाई तक चलेगा।
सोमवार को भी विपक्ष ने किया था जमकर हंगामा
बता दें पहले दिन भी सोमवार को विपक्ष ने सदन में आदिवासी उत्पीड़न सीधी कांड और सतपुड़ा अग्निकांड के मुद्दे पर हंगामा किया था। सीधी पेशाब कांड पर विपक्ष ने सदन में चर्चा की मांग की थी। सोमवार को सदन में ऐसे हालात बने कि वंदेमातरम गान शुरू होने से पहले हंगामा शुरु हो गया। कांग्रेस विधायक पूर्व मंत्री कांतिलाल भूरिया ने आदिवासियों पर हो रहे अत्याचार का मुद्दा उठाया। जिसके चलते हंगामा होने पर दो बार दस दस मिनट के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित भी करनी पड़ी थी।