क्या काम करेगा शिवराज का लाड़ली बहना योजना का दांव?
मध्य प्रदेश में साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी जमावट तेज हो गई है। जहां सत्ता और संगठन स्तर पर चुनाव को देखते हुए बड़े और अहम फैसले लिये जा रहे हैंं। वहीं विपक्षी पार्टी कांग्रेस भी इस बार चुनाव में बीजेपी कड़ी टक्कर देने की तैयारी में है। प्रदेश मौजूदा शिवराज सरकार ने महिला मतदाताओं को फोकस करते हुए मुख्यमंत्री लाड़ली लक्ष्मी योजना के बाद अब मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना शुरु की है। जिसमें पात्र महिलाओं हर महिने एक हजार रुपये दिये जाएंगे। शिवराज सरकार ने ये कवायद दरअसल इसलिए शुरु की है क्योंकि इस बार के चुनाव में खास बात ये है कि इन चुनावों में महिला मतदाताओं की भूमिका निर्णायक सकती है। यानी मध्यप्रदेश में कई विधानसभा सीटों पर हार ओर जीत का फैसला महिला मतदाता करेंगी।
बता दें मध्यप्रदेश के 41 जिलों में पुरुषों मतदाताओं के मुकाबले महिला मतदाताओं की संख्या अधिक हो गई है। राज्य की 18 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां पुरुषों के मुकाबले महिला मतदाताओं की संख्या अधिक है। माना जा सकता है कि मध्य प्रदेश विधानसभा के चुनाव में इस बार महिला मतदाता जिस पार्टी की तरफ रुख करेंगी उसकी चुनाव में जीत आसान हो सकती है। यानी मध्य प्रदेश में इस बार महिला मतदाताओं की संख्या इस चुनाव में हार और जीत में बड़ा फैक्टर साबित होगी। मध्यप्रदेश के 41 जिले ऐसे हैं जहां महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों के मुकाबले बढ़ी है। महिला मतदाताओं की संख्या बढ़ने के चलते इस बार जेंडर रेशियो भी 926 से बढ़कर 931 पर पहुंच गया है। राज्य के 18 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां महिला वोटर्स की संख्या सबसे ज्यादा है। इनमें देवास, डिंडोरी, मंडला, विदिशा, बैहर, पानसेल, बालाघाट,परसवाड़ा, वारासिवनी, बरघाट, जोबट, अलीराजपुर,झाबुआ,थांदला, सरदारपुर, पेटलावद,सैलाना और कुक्षी विधानसभा क्षेत्र में पुरुषों के मुकाबले महिला मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है।
अब मतदान केन्द्र तक पहुंचने में नहीं झिझकतीं महिलाएं
मध्य प्रदेश में कुल महिला मतदाताओं की बात करें तो यहां करीब 2 करोड़ 60 लाख 23 हजार 733 महिला मतदाता हैं। प्रदेश के 41 जिलों में महिला मतदाताओं की संख्या पुरुष वोटर्स के मुकाबले ज्यादा है। इतना ही नहीं मध्यप्रदेश में चुनाव के समय महिला मतदाता मतदान केन्द्र तक पहुंचने में भी अब नहीं झिझकती हैं। यानी बढ़-चढ़कर मतदान में हिस्सा लेती हें। जिसके चलते पिछले कुछ सालों के मुकाबले महिलाओं के वोट प्रतिशत में भी निरंतर वृद्धि दर्ज की गई है।
सियासी दलों को प्रभावित करती महिला मतदाता की संख्या
बता दें साल 2005 के बाद से ही मध्यप्रदेश में लगातार महिला मतदाताओं की संख्या बढ़ रही हैं। 2014-2015 के विधानसभा चुनाव में महिला मतदाताओं ने भी पुरुष मतदाताओं की बराबरी करते हुए वोटिंग की थी। साल 2004 में पुरुष मतदाताओं का वोट प्रतिशत 78.84% और महिला मतदाताओं का वोट प्रतिशत 74.58% रहा था। जो बाद में बढ़कर 2009 में पुरुष का 81.7% और महिला का प्रतिशत 79.21% हो गया। इसके बाद 2014-15 की बात करें तो पुरुष मतदाताओं का वोट प्रतिशत 83.59% रहा जबकि महिला मतदाताओं का वोट प्रतिशत 83.17 प्रतिशत तक पहुंचा। बात करें साल 2018 के विधानसभा चुनाव की तो इसमें 2013 के मुकाबले 3 प्रतिशत अधिक महिलाओं के वोट पड़े थे। जहां साल 2013 में पुरुषों का वोट प्रतिशत 73.95% और महिलाओं का 70.11% था तो वहीं साल 2018 के विधानसभा चुनाव में पुरुषों का वोट प्रतिशत 75.72% जबकि 73.86% महिलाओं ने मतदान में हिस्सा लिया था। यानी साल 2018 के चुनाव में महिलाओं के वोट प्रतिशत में 3.75% की वृद्धि दर्ज की गई थी। यही वजह है कि राजनीतिक दलों की नजर अब महिलाओं पर है। बीजेपी का कहना है उनकी सरकार ने महिलाओं को आर्थिक रूप से ही नहीं हर स्तर पर सशक्त बनाने का प्रयास किया है। तो वहीं कांग्रेस का कहना है आधी आबादी का हम सभी प्रतिनिधित्व करते हैं। कांग्रेस आधी आबादी बात और मुददे विधानसभा चुनाव में पुरजोर तरीके से उठाएगी।