विदिशा विधानसभा सीट:क्या कांग्रेस से सीट छीनने में कामयाब होगी बीजेपी? 2018 में हुई थी बीजेपी की करार हार

Vidisha Assembly Seat

मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव का शोरगुल शुरू हो गया है। भोपाल संभाग में आने वाले विदिशा जिले में 5 विधानसभा सीट विदिशा,बासौदा,कुरवाई,सिरोंज,शमशाबाद आती हैं। जिनमें से 4 सीट अनारक्षित है जबकि कुरवाई सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। कांग्रेस के खाते में जिले की एक मात्र विधानसभा सीट विदिशा है। विदिशा में जिले की राजनीति में बीजेपी का वर्चस्व कई सालों से बरकरार है लेकिन विदिशा विधानसभा क्षेत्र में पिछली बार बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था। विदिशा पूर्व प्रधानमंत्री अटल विहारी बाजपेयी की भी कर्मस्थाली रही है। 1991 में अटलजी ने विदिशा से लोकसभा चुनाव लड़ने का मन बनाया था और इस चुनाव में वो जीते भी थे। शायद इसलिए ही इस क्षेत्र को बीजेपी का गढ़ कहा जाता है। लेकिन सियासी तस्वीर बदलते देर नहीं लगती। 2018 में कांग्रेस ने बीजेपी के इस गढ़ में जीत हासिल की थी। इस बार विधानसभा चुनाव में कौन जीत हासिल करेगा ये आने वाला वक्त ही बताएगा। विदिशा विधानसभा चुनाव विदिशा विधानसभा सीट पर बीजेपी का वर्चस्व है जो पिछले विधानसभा चुनाव में फीका पड़ गया था। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी ने जीत हासिल कर बीजेपी के विजयी रथ को रोक दिया। यहां जातीय समीकरण काफी मायने रखते है। विदिशा में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वोटरों की संख्या सर्वाधिक है। ओबीसी वर्ग के मतदाताओं की संख्या अधिक है। ओबीसी में दांगी और कुशवाह समुदाय के करीब बीस हजार से ज्यादा मतदाता हैं।

सीट स्कैन

विदिशा सीट की खास बातें

विदिशा विधानसभा में चुनावी गतिविधियां तेज हो चुकी हैं। वर्तमान विधायक और संभावित प्रत्याशी अपने कार्य क्षेत्र में सक्रिय हो चुके हैं। ऐसे में साढे चार साल में वर्तमान विधायक द्वारा किए कार्य जनता द्वारा इन साडे 4 सालों में विधायक के कार्यों की समीक्षा, हारे हुए प्रत्याशी की राय लेकर एक रिपोर्ट तैयार की गई है। दरअसल विदिशा जिला मुख्यालय पर विधानसभा सीट देश में हमेशा ही चर्चित रही है। इस विधानसभा सीट से प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी विधायक चुने जा चुके हैं। दांगी बाहुल्य क्षेत्र होने के बावजूद 2018 में विधायक ब्राह्मण समाज से चुनकर आए हैं। करीब 46 सालों के अंतराल के बाद कांग्रेस ने 2018 मेंं यहां जीत हासिल की थी। कांग्रेस की ओर से शशांक भार्गव विदिशा के विधायक चुने गए थे जबकि भाजपा की ओर से नगर पालिका अध्यक्ष रहते मुकेश टंडन यहां से चुनाव लड़े थे लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।

कौन कब-कब रहा विदिशा से विधायक

सिंचाई को किसान रोजगार तरसते जवान

बेतवा नदी के साथ पर्यटन स्थल और अनाज मंडी को समेटे विदिशा विधानसभा क्षेत्र में ज्यादातर किसान नहर के पानी से वंचित हैं। कुछ क्षेत्र ही ऐसे हैं जहां हलाली डेम की नहरों से किसान अपने खेत की
सिंचाई करते है। लेकिन यह अपर्याप्त है। सड़कें और पुल खूब बने हैं लेकिन, सड़कों की गुणवत्ता से लोग खुश नहीं हैं। मेडिकल कॉलेज बन गया एमआरआई जैसी व्यवस्था नहीं होने से लोग संतुष्ट नहीं हैं। विधायक का रिपोर्ट कार्ड बताते हुए आम जनता की राय यह है कि इन साढ़े चार साल के दौरान विधायक ने ऐसा कोई उल्लेखनीय काम नहीं किया जो आगे भी ध्यान रखा जा सके। रोजगार के लिए किसी भी प्रकार की कोई प्रक्रिया शासन और विधायक की ओर से नहीं की गई। कोई बड़ा उद्योग भी यह स्थापित नहीं हुआ। बड़े-बड़े नेताओं का नाम विदिशा से जुड़ने के बाद भी यहां के युवाओं को रोजगार के लिए पलायन करना पड़ रहा है। वहीं कुछ लोगों की राय यह भी है कि विधायक कांग्रेस से हैं और सरकार भाजपा की है इस लिहाज से भी ज्यादा कुछ कर पाने में सक्षम नहीं रहे।

विधायक का आरोप सरकार ने किया भेदभाव

पिछले साढ़े चार साल के विधायक के कार्य की तो विधायक शशांक भार्गव ने अपने जितने काम गिनाए उन्हें अब तक के हुए कार्यों से सबसे ज्यादा होना बताया। विधायक का आरोप है कि भाजपा की 20 साल से सरकार होने के बाद भी विदिशा के साथ भेदभाव किया गया। शशांक भार्गव का कहना है कि शुरू के डेढ साल में उन्होंने विकास के कार्यों में जिस प्रकार से गति दी थी सरकार बदलने के बाद उनमे रोड़ा अटक गया। भाजपा की सरकार वापस आने और नगर पालिका अध्यक्ष भाजपा का होने के साथ विधानसभा में चुनाव हारने के बाद उन्होंने विकास कार्य में बाधा डाली है। उन्होंने अपने कार्यों को गिनाते हुए बताया कि शहरी क्षेत्र के लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कें,सामुदायिक भवन, ट्रांसफार्मर, पेयजल व्यवस्था के अलावा गौशाला भी बनवाई हैं।

क्या इस बार भी मैदान में आएंगे टंडन

इस बार भी यहां कांटे का मुकाबला होना तय है ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस की ओर से वर्तमान विधायक शशांक भार्गव का टिकट तय है। वहीं भाजपा से पिछली बार के निकटतम प्रतिद्वंद्वी पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष मुकेश टंडन प्रमुख दावेदार माने जा रहे हैं। उन्हें विदिशा में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का सबसे विश्वस्त माना जाता है। उनके अलावा पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष तोरण सिंह दांगी, मनोज कटारे, अरविंद श्रीवास्तव भी यहां से प्रमुख दावेदार हैं। मुकेश टंडन का का मानना है कि विधायक शशांक भार्गव आम जनता की सेवा के लिए नहीं आए हैं बल्कि वे एक शुद्ध व्यापारी हैं और इस व्यापार को आगे बढ़ाने के लिए राजनीति करते हैं। लोगों से संबंध बनाकर राजनीति में अपने पद और कद का उपयोग करते हुए व्यवसाय को आगे बढ़ाना चाहते हैं।

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