कमलनाथ-अखिलेश वाकयुद्ध,: डैमेज कंट्रोल में जुटे दिग्विजय सिंह, कहा गठबंधन में होते रहते हैं दोस्ताना झगडे

Madhya Pradesh Assembly Election Kamalnath Akhilesh Yadav

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने पूरे दमखम के साथ चुनावी मैदान में उतर चुकी है। उसने करीब 40 सीट पर अपने उम्मीदवार खड़े किये हैं। इससे पहले कांग्रेस से सीट शेयरिंग के फॉर्मूले पर एकराय नहीं बनने से सपा ने कांग्रेस को न सिर्फ खरीखोटी सुनाई बल्कि अपने दम पर चुनाव लड़ने और जीतने का दावा भी किया है। सपा अभी कई दूसरी सीटों पर उम्मीदवार मैदान में उतार सकती है। इस बीच एमपी के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह का भी बयान सामने आया है। वे डैमेज कंट्रोल करते नजर आए।

दिग्विजय चाहते थे सपा को दी जाए चार सीट

एमपी में सीट शेयरिंग पर सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव की नाराजगी के बाद दिग्विजय सिंह ने डैमेज कंट्रोल की कोशिश करते हुए गठबंधन में ब्रेक की संभावनाओं को रोका। दिग्विजय की ओर से कहा गया है कि उन्होंने समाजवादी पार्टी के लिए चार सीटें छोड़ने का सुझाव कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष पूर्व सीएम कमलनाथ को दिया था। कमलनाथ भी पूरी ईमानदारी के साथ समाजवादी पार्टी के साथ विधानसभा चुनाव में गठबंधन करना चाहते थे। लेकिन पता नहीं कब और बातचीत कैसे बेपटरी हो गई। दिग्विजय सिंह ने यह भीी कहा कि दरअसल गठबंधन के सहयोगियों में दोस्ताना झगड़े होते रहते हैं। उन्होेंने सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव की जमकर तारीफ की। दिग्विजय सिंह ने कहा वे जानते हैं कि सपा और अखिलेश यादव कभी भी बीजेपी के साथ नहीं जाएंगे।

लोकसभा के लिए गठबंधन,विस के लिए नहीं

हालांकि दिग्विजय सिंह के बयान पर गौर करें तो उन्होंने गठबंधन फॉर्मूले पर बात नहीं बनने के दावे पर एक तरह से मुहर लगा दी। क्योंकि कांग्रेस अक्सर यह कहती आ रही है कि ये गठबंधन सिर्फ लोकसभा चुनाव 2024 के लिए हुआ है। दरअसल दिग्विजय सिंह के बयान से यह साबित हो गया है कि कांग्रेस एमपी में गठबंधन के दलों को भाव नहीं देना चाहती है। उन्होंने मीडिया से चर्चा के दौरान बताया कि सपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन को लेकर चर्चा की थी। कमलनाथ ने उस समय दीप नारायण यादव के नेतृत्व वाले समाजवादी पार्टी नेताओं के साथ चर्चा के लिए कांग्रेस नेता अशोक सिंह को उनके पास भेजा था। यहां भोपाल में चर्चा भी हुई थी। समाजवादी पार्टी बुंदेलखंड क्षेत्र की 6 सीटों पर दावा कर रही थी। बता दें 2018 में बिजावर में सपा ने जीत दर्ज की थी। इसके साथ दो अन्य सीटों पर सपा प्रत्याशी दूसरे स्थान पर रहे थे। हालांकि सपा गठबंधन में 6 सीट लेना चाहती थी। दिग्विजय सिंह ने कहा उन्होंने ही कमलनाथ जी को साजवादी पार्टी के लिए बुंदेलखंड की 4 सीट छोड़ने का सुझाव दिया था।

बुंदेलखंड क्षेत्र में बढ़ेगी कांग्रेस-बीजेपी की परेशानी

बता दें कांग्रेस से मनमुटाव के बाए सपा सुप्रीमो और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने खुद एमपी में पार्टी की चुनावी कमान संभाल रखी है। सियासी हलकों में यह माना जा रहा है कि इस बार विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी न केवल कांग्रेस बल्कि सत्तारुढ भाजपा के लिए भी परेशानी खड़ी कर सकती है। यूपी से लगी हुई सीटों पर सपा को जीतने की पूरी उम्मीद है। इसी उम्मीद के चलते सपा सुप्रीमो एमपी में सक्रिय हो गए हैं। एमपी में सपा दरअसल कांग्रेस से गठबंधन की कोशिश असफल होने पर सपा ने अपने दम पर चुनाव मैदान में उतरने का फैसला किया और अपने प्रत्याशी खड़े कर दिए।

सपा बसपा का बुंदेलखंड में प्रभाव

एमपी में अक्सर चुनावी मौसम में सपा और बसपा बुंदेलखंड के साथ ग्वालियर-चंबल इलाके में सक्रिय हा जाती है। इन क्षेत्रों में यह दोनों दल अपने उम्मीदवार उतारते रहे हैं। दोनों दलों का इन इलाकों में बड़ा वोट बैंक भी है। चुनाव में यह दोनों दल भूमिका गेमचेंजर की होती है। ऐसे में कई बार चुनावी बाजी पलटने में भी ये दोनों दल कामयाब रहे हैं। सपा और बसपा को कांग्रेस ही नहीं बीजेपी के वोट बैंक में सेंध लगाते देखा जा चुका है। सियासी जानकारों की माने तो समाजवादी पार्टी के अकेले चुनाव मैदान में उतरने से उत्तरप्रदेश सीमा से लगी सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस को नुकसान हो सकता है। वहीं इस बार आम आदमी पार्टी ने भी चुनाव में अपने मजबूत उम्मीदवार उतारे हैं। आम आदमी पार्टी का फोकस विंध्य इलाके पर है।

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