बीजेपी के पक्ष में महौल बनाने में जुटे ‘महाराज’, संभाली ग्वालियर-चंबल में प्रचार की बागडोर

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए 17 नवंबर को मतदान होगा। मतदान की तारीख नजदीक आते देख सियासी दलों और नेताओं ने भी चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी है। राज्य के सभी बड़े नेताओं ने विधानसभा चुनाव प्रचार की कमान संभाल ली है और अपने-अपने गढ़ को बचाने के ल‍िए पूरे जोर शोर से जुट गए हैं। हम बात कर रहे हैं केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की। जिन्होंने ग्वालियर चंबल अंचल में बीजेपी के प्रचार की कमान संभाल ली है।

सिंधिया यहां हर दिन यहां कई चुनावी सभा और रैलियां कर बीजेपी के पक्ष में महौल बनाने में जुटे हैं। ग्‍वाल‍ियर व‍िधानसभा सीट पर बीजेपी प्रत्याशी प्रदयुम्न सिंह तोमर दावा कर रहे हैं क‍ि उनके नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया का पूरे इलाके में जोर है। उन्‍होंने जिनको भी टिकट द‍िलवाई है, वो सभी प्रत्‍याशी ज्यादा से ज्यादा वोटों के अंतराल से जीत दर्ज करेंगे। वैसे सियासी जानकारों की माने तो विजयाराजे सिंधिया से लेकर माधवराव सिंधिया और ज्योतिरादित्य सिंधिया तक इस घराने के प्रभाव की बात करें तो ग्वालियर चंबल के ग्वालियर नहीं भिंड और मुरैना के साथ गुना, श्योपुर,दतिया और शिवपुरी, अशोकनगर के साथ मालवा के इंदौर और उज्जैन तक फैला है।

विधानसभा चुनाव में समर्थकों को टिकट दिलवाना और उनको चुनाव में जिताना ही सिंधिया घराने की जिम्मेदार होती है। कांग्रेस से बीजेपी में आने के बाद के चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कई समर्थकों को टिकट तो दिलवाया है। जिनके लिए वे अब प्रचार कर रहे हैं। इस बार सिंधिया के सामने क्षेत्र में साल 2018 के पुराने प्रदर्शन को दोहराने की बड़ी चुनौती है। वे बखूबी जानते हैं क‍ि उनके समर्थक चुनाव हारे तो उनकी ताकत कम होगी। दरअसल राजनीति में विधायकों की संख्या की ताकत मायने रखती है।

2018 में सिंधिया का योगदान

साल 2018 के विधानसभा चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस के स्टार प्रचार के तौर पर अपने गढ़ में प्रचार करते नजर आए थे। 2018 में मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी। जिसमें ज्योतिरादित्य सिंधिया के योगदान को कम करके नहीं आंका जा सकता। महज ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में 2018 में सिंधिया के 18 समर्थक चुनाव जीतकर आए थे। उस समय कांग्रेस की चुनावी कमान सिंधिया के पास थी। इसके बाद सियासी परिवर्तन हुआ तो 2020 में सिंधिया बीजेपी के साथ आ गए। अब इस बार 2023 के विधानसभा चुनाव में सिंधिया पर बीजेपी के प्रत्याशियों को जिताने की जिम्मेदारी है।

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