मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के प्रचार में बीजेपी की ओर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी मोर्चा संभाल लिया है। पीएम मोदी की ताबड़तोड़ रैलियों की शुरुआत 4 नवंबर को रतलाम से हो चुकी है। इसके बाद अगले दिन रविवार 5 नवंबर को पीएम मोदी मध्यप्रदेश पहुंचे। जहां उन्होंने सिवनी नगर की जगदम्बा सिटी के पास स्थित मैदान में भाजपा के प्रत्याशियों के पक्ष में विशाल आमसभा को संबोधित किया। अब पीएम नरेन्द्र मोदी का मध्यप्रदेश में अगला पड़ाव विंध्य के सतना में होगा। जहां वे चुनावी दौरे पर आएंगे। बता दें मध्य प्रदेश के पिछले 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने विंध्य क्षेत्र की 30 सीटों में से 24 सीटों पर जीत दर्ज की थी। ऐसे में बीजेपी एक बार फिर यहां 2018 का इतिहास दोहराना चाहती है।
- पीएम मोदी ने संभाला एमपी में चुनावी मोर्चा
- पीएम मोदी की ताबड़तोड़ रैलियां
- सतना में पीएम करेंगे जनसभा और रैली
- पीएम मोदी सतना से साधेंगे विंध्य क्षेत्र
- विंध्य क्षेत्र में है विधानसभा की 30 सीटें
- 2018 में भाजपा ने जीती थी 30 में 24 सीट
- बीजेपी पर फिर पुराना इतिहास दोहराने की चुनौती
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 7 नवंबर को चुनाव प्रचार अभियान के तहत सतना आएंगे। वे यहां भाजपा प्रत्याशियों के पक्ष में चुनावी सभा को संबोधित करेंगे। पीएम मोदी 7 नवंबर मंगलवार को सतना आएंगे। वे यहां हवाई पट्टी मैदान में भाजपा प्रत्याशियों के पक्ष में चुनावी सभा करेंगे। पीएम मोदी का 10 दिन में यह दूसरा सतना दौरा होगा। इससे पहले 27 अक्टूबर को सतना पहुंचे थे। दरअसल, मध्य प्रदेश की राजनीति को संवारने में योगदान देने वाले सतना जिले की 7 सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस के साथ बीएसपी की भी नजर हैं। पिछले 2018 के चुनाव में पांच सीट पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी। पांच सीट झोली में आने से उत्साहित भाजपा इस बार इस संख्या को और बढ़ाना चाहती है। वहीं 2018 में विंध्य क्षेत्र की बात करें तो 2018 में विधानसभा चुनाव की बात करें तो बीजेपी ने विंध्य क्षेत्र में 30 विधानसभा सीटों में से 24 सीट पर जीत दर्ज की थी।
कभी था सियासत का शक्ति का केंद्र
विंध्य प्रदेश का 1956 में मध्य भारत यानी वर्तमान मध्य प्रदेश के इस क्षेत्र से राज्य को दो राजपूत मुख्यमंत्री मिले हैं। जिनमें गोविंद नारायण सिंह और अर्जुन सिंह का नाम शामिल है। गोविंद नारायण सिंह 1967 में मुख्यमंत्री बने थे जब उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री पंडित द्वारका प्रसाद मिश्रा के खिलाफ बगावत की थी। इसके बाद उन्होंने मौजूदा विधायकों के साथ कांग्रेस का दामन छोड़कर नई पार्टी लोक सेवा दल का गठन किया था। गोविंद नारायण मिश्र ने सयुंक्त विधायक दल की गठबंधन सरकार बनाई। यह सरकार पूरे दो साल तक चली और वे सीएम रहे।