एमपी विधानसभा चुनाव 2023: पाटन में इस बार कौन होगा अजेय?, क्या इस बार होगी कांग्रेस की विजय?

Patan Jabalpur

मध्य प्रदेश  में 230 विधानसभा सीट है।  साल के अंत में यहां चुनाव होना हैं। जिनमें जबलपुर जिले की पाटन सीट पर भी चुनावी रंग नजर आने लगा है। पाटन विधानसभा सीट जबलपुर के उत्तर पश्चिम भूभाग में है। इस विधानसभा सीट में पाटन और मझोली दो तहसीलें हैं। जबलपुर का सबसे ज्यादा समृद्धि कृषि क्षेत्र इन्हीं दोनों तहसीलों में है। खास तौर पर पाटन की जमीन को तो मानो भगवान ने आशीर्वाद दिया हुआ है। यहां कुछ जगहों पर धान के लिए उपयुक्त काली मिट्टी के जलभराव वाले खेत हैं। वहीं बड़ा भूभाग हिरण नदी के किनारे बसा हुआ है जो हिरण नदी का कछार है। यह भी बहुत ज्यादा उपजाऊ है। जबलपुर के अलावा इस विधानसभा सीट की सीमा दमोह और नरसिंहपुर जिले से भी जुड़ती है। इस इलाके में कोई रेल लाइन नहीं है लेकिन जबलपुर से दमोह जाने वाला राज्य मार्ग यहीं से गुजरता है। पूरे इलाके में सड़कों का अच्छा जाल है।

मझोली और पाटन हैं व्यापार का बड़ा केंद्र

व्यापारिक गतिविधियों की बात करें तो जबलपुर में इस विधानसभा को हम अन्न उगलने वाली धरती कहें तो गलत नहीं होगा क्योंकि यहां रवि की फसल गेहूं, खरीफ की फसल धान, जायद की फसल मूंग हरा मटर बड़े पैमाने पर उत्पादित किया जाता है। इसलिए इस पूरे इलाके में धनवान के साथ रहते हैं। मझोली और पाटन दो कस्बे व्यापार का बड़ा केंद्र हैं बड़ी जरूरतों के लिए लोग जबलपुर के बाजारों में आते हैं। पाटन विधानसभा क्षेत्र में विष्णु वराह का 10 वीं शताब्दी का बेहद खूबसूरत मंदिर है। कटंगी की पहचान अपने रसगुल्ले की वजह से है और इस इलाके का हरा मटर भारत की कई बड़ी मंडियों में जबलपुर को इज्जत दिलाता है। पाटन विधानसभा की जनता बहुत समझदार है। इसलिए यहां जो झुककर प्यार से वोट मांगेगा उसे जनता आशीर्वाद देती है क्योंकि इस इलाके में गरीबी मुद्दा बड़ा मुद्दा नहीं है लेकिन लोग सम्मान बहुत चाहते हैं। इसलिए यहां लोगों को डरा कर नहीं बल्कि प्यार से ही वोट पाए जा सकते हैं। राजनैतिक समीकरण की बात करें तो पाटन में 1998 से लेकर अब तक के चुनाव पर यदि नजर डाली जाए तो 1993 में छात्र नेता रामनरेश त्रिपाठी को भाजपा से चुनकर विधानसभा भेजा था लेकिन 1998 में किसान नेता सोबरन सिंह यहां से जनता दल से चुनाव जीत गए। सोबरन सिंह किसान नेता थे। राजपूत के इस इलाके में राजपूतों के प्रभाव वाले बहुत से गांव है। जमीन से जुड़े हुए नेता थे। इसके चलते उन्हें 2003 के चुनाव में भी मतदाताओं ने दूसरी बार चुना लेकिन इसके बाद परिसीमन हुआ और पाटन विधानसभा से जबलपुर को अलग कर मझोली को जोड़ दिया गया। इसकी वजह से समीकरण पूरी तरह से बदल गए। इसके बाद 2008 के चुनाव में बीजेपी नेता अजय विश्नोई ने जीत हासिल की थी।

क्या फिर अजेय रहेंगे विश्नोई

अजय विश्नोई उस समय शिवराज सरकार में कैबिनेट मंत्री भी थे और इस दौरान उन्होंने इस इलाके में विकास की बहुत काम करवाए। इसमें हजारों एकड़ के सिंचाई के रखने को बढ़ाया गया और नहरों का जाल मझौली और पाटन इलाके में बिछा दिया गया। अजय विश्नोई ने अपनी जड़ें मजबूत कर ली थी लेकिन 2013 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी नीलेश अवस्थी से वे चुनाव हार गए थे। लोगों का ऐसा मानना था कि अजय विश्नोई के बढ़ते हुए कद के चलते जनता से थोड़े कट गए, जनता से दूरी और प्रदेश के भाजपा के बड़े नेताओं की ना पसंद के चलते उन्हें चुनाम में हार का सामना करना पड़ा। हालांकि 2018 के चुनाव में अजय विश्नोई ने एक बार फिर बाजी पलटते हुए चुनाव मैदान में हुंकार भरी और इस बार भी सफल हुए और बीते पांच साल से भी पाटन विधानसभा में अपनी जड़ें मजबूत कर रहे हैं। ठससे पहले 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में नीलेश अवस्थी कांग्रेस के टिकट पर 85 हजार से अधिक वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी। उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी अजय विष्नोई को 12 हजार से अधिक मतों के अंतर से हराया था। अजय विश्नोई को दूसरा स्थान मिला उन्हें 72802 वोट से ही संतोश करना पड़ा।

कांग्रेस बना रही नई रणनीति

राजनीतिक मुद्दे और दावेदारों की बात करें तो मैदान में मुख्य रूप से दो ही पार्टियां हैं बीजेपी और कांग्रेस। बीजेपी की ओर से इस बार भी अजय विश्नोई सबसे बड़े दावेदार हैं। क्योंकि वह लंबे समय से इस इलाके में सक्रिय हैं। अब तक तीन बार यहां से चुनाव जीत भी चुके हैं। ये बात अलग है कि लोग अब उन्हें उम्रदराज मानने लगे हैं और संभवत यह उनका अंतिम चुनाव हो। लेकिन उनकी सक्रियता में कहीं कोई कमी नहीं आई है। विष्नोई का कहना है कि इस बार फिर वह चुनाव जीतेंगे। उन्हें बीजेपी सरकार की जनहितैशी योजना पर भरोसा है। जिनकी वजह से जनता उन्हें आशीर्वाद देगी। बीजेपी की ओर से ही इस विधानसभा सीट से पार्टी के पूर्व ग्रामीण अध्यक्ष आशीष दुबे और पाटन के रहने वाले किसान मोर्चा अध्यक्ष कृष्ण शेखर सिंह पार्टी की ओर से दावेदारी करते नजर आ रहे हैं। कांग्रेस की बात करें तो उसकी ओर से पहला दावा नीलेश अवस्थी का ही है। वह बीते पांच साल से इस इलाके में सक्रिय भी है। वही पाटन क्षेत्र के रहने वाले किसान नेता विक्रम सिंह भी इस बार कांग्रेस की ओर से दावेदारी करते नजर आ रहे हैं। इसके साथ ही चुनाव से पहले क्षेत्र में दुर्गेश पटेल भी सक्रिय हैं। इस इलाके में कांग्रेस हिरण नदी से रेत के अवैध उत्खनन को मुद्दा बनाती रही है। इसके अलावा किसानों से जुड़े हुए मुद्दों पर भी कांग्रेस ने भाजपा को कटघरे में खड़ा किया है तो बरगी बांध की नहरों की बदहाल स्थिति भी यहां कांग्रेस के लिए मुद्दा रही है। हालांकि होगा वहीं जिसे जनता चाहेगी, ऐसे में चुनाव तक इतजार करना होगा।

Exit mobile version