होशंगाबाद से बदला नर्मदापुरम, क्या कांग्रेस बदलेगी यहां सियासी तस्वीर?,बीजेपी के गढ़ में क्या लगेगी सेंध?

Narmadapuram Assembly Seat

नर्मदा नदी के किनारे बसे नर्मदापुरम जिले का नाम पहले होशंगाबाद हुआ करता था। पिछले साल ही जिले को नया नाम नर्मदापुरम मिला है। जिले के सभी सरकारी काम काज इस नए नाम के साथ ही होते हैं। सियासत में भी नर्मदापुरम चर्चित है। क्योंकि बीजेपी के लिए नर्मदापुरम विधानसभा सीट सुरक्षित गढ़ की तरह है और इस समय नर्मदापुरम सीट पर बीजेपी का ही कब्जा है। साल 1990 के बाद के चुनाव में बीजेपी अब तक 5 बार चुनाव जीत चुकी है। 2018 विधानसभा चुनाव में डॉ.सीताशरण शर्मा इस निर्वाचन क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हुए डॉ शर्मा ने मध्य प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष 2014-2019 के रूप में भी कार्य किया। प्रदेश में विधानसभा चुनाव 17 नवंबर को होने हैं और यहां पर राजनीतिक गतिविधियां अब शबाब पर आ गई हैं। मध्य देश के नर्मदापुरम जिले की बात करें तो 4 विधानसभा सीटें आती हैं। जिसमें एक सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है तो दूसरी सीटें सामान्य वर्ग के लिए हैं। भाजपा के लिए नर्मदापुरम विधानसभा सीट सुरक्षित गढ़ की तरह है और इस समय इस सीट पर भाजपा का ही कब्जा है।

2018 के विधानसभा चुनाव परिणाम

2018 में मैदान में थे 14 उम्मीदवार

2018 के विधानसभा चुनाव में होशंगाबाद सीट पर 14 उम्मीदवार मैदान में थे। जिन्होंने अपनी दावेदारी पेश की थी। हालांकि लेकिन कई सीटों की तरह यहां पर भी भाजपा और कांग्रेस के बीच ही मुख्य मुकाबला हुआ करता रहा है। पिछली बार बीजेपी के डॉक्टर सीताशरण शर्मा को 82 हजार 216 वोट मिले थे तो कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े स्वर्गीय सरताज सिंह के खाते में 66 हजार 999 वोट आए थे। यहां नोटा कुल वोट हासिल करने के मामले में चौथे स्थान पर रहा। नोटा के पक्ष में 1 हजार 369 वोट मिले थे।

नर्मदापुरम सीट का राजनीतिक इतिहास

होशंगाबाद जिले का नाम अब नर्मदापुरम हो गया है। बता दें 15वीं सदी में होशंगाबाद का नाम सुल्तान होशंग शाह घोरी के नाम पर रखा गया था। होशंग शाह घोरी मालवा के दूसरे राजा ने इस क्षेत्र पर जीत हासिल की थी। इसके बाद शहर का नाम नर्मदापुर हुआ करता था। वहीं प्रदेश सरकार ने पिछले साल 7 फरवरी 2022 से होशंगाबाद जिले का नाम बदल दिया था और बदलकर नर्मदापुरम कर दिया गया था।

नर्मदापुरम का जातीय गणित ?

क्षेत्रीय मुद्दे ?

राजनीतिक इतिहास

होशंगाबाद क्षेत्र के सियासी इतिहास पर नजर डालें तो यहां पर भाजपा का कब्जा रहा है। साल 1990 के बाद हुए चुनाव में भाजपा अब तक पांच बार जीत हासिल कर चुकी है जबकि कांग्रेस के खाते में दो बार ही जीत आई थी। कांग्रेस को 1993 और 1998 के चुनाव में जीत मिली थी। इसके बाद कभी भी कांग्रेस के पक्ष में परिणाम नहीं रहे। क्योंकि इसके बाद 2003 में हुए चुनाव में बीजेपी ने पिछले दो चुनाव में मिली हार का बदला चुका लिया। यह सीट कांग्रेस से झटक भी ली। इसके बाद साल 2008 में भी भाजपा ने उम्मीदवार बदलया और गिरजा शंकर शर्मा ने जीत ने नाम कर ली थी। सीताशरण शर्मा ने 2013 में यहां से जीत हासिल की थी। फिर 2018 के चुनाव में भी वह विजयी रहे थे। 2013 का तुलना में 2018 में उनकी हार जीत का अंतर काफी कम हो गया था।

नर्मदापुरम से अब तक रहे विधायक

सामाजिक-आर्थिक ताना बाना

नर्मदापुरम विधानसभा सीट पर ब्राह्मण उम्मीदवार का कब्जा है। पिछले तीन चुनाव से ब्राह्मण उम्मीदवार ही यहां से चुनाव जीत रहा है। इस इलाके में सवर्ण मतदाता सबसे ज्यादा हैं। ब्राह्मण के मतदाताओं के अलावा यहां पर कुर्मी, लोधी, किरार और रघुवंशी के मतदाता भी अच्छी खासी संख्या में हैं। यहां के राजनीतिक समीकरण काफी बदल चुके है। साल 2008 में बीजेपी के टिकट पर चुनाव में गिरजा शंकर शर्मा ने जीत दर्ज की थी।

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