Madhya Pradesh Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में अब दस महीने का समय बचा है। ऐसे में प्रदेश में राजनीतिक दल सक्रिय मोड में आ चुके हैं। अब तक जातिगत पॉलिटिक्स करने वाली बीजेपी और कांग्रेस यात्रा पॉलिटिक्स के सहारे मतदाताओं में पेठ बनाने की कवायद में जुट गई है। कांग्रेस जहां मध्य प्रदेश में जहां हाथ से हाथ जोड़ों यात्रा के सहारे मतदाताओं के बीच पहुंचने का प्रयास कर रही है तो वहीं बीजेपी भी कांग्रेस की ही तर्ज पर पांच फरवरी से प्रदेश में विकास यात्रा निकालेने जा रही है। हालांकि यह तो वक्त ही बताएगा कि बीजेपी और कांग्रेस में से किसकी यात्रा सफल होती है और किसे प्रदेश की सत्ता चॉबी मिलती है। इन यात्राओं को दोनों ही प्रमुख दलों का चुनावी शंखनाद भी माना जा रहा है।
- हाथ से हाथ जोड़ो बनाम विकास यात्रा
- सफर पूरा होने पर किसे मिलेगी सत्ता की चाबी?
- आखिर शिवराज सरकार को क्यों निकालना पड़ रही विकास यात्रा
- सत्ता की विकास यात्रा के बहाने चुनावी तैयारी में संगठन
- क्या मंत्री और विधायकों से नाराज है प्रदेश की जनता
- 5 फरवरी से होगी विकास यात्रा की शुरुआत
सरकारी खर्च पर संगठन का काम
पांच फरवरी से प्रारंभ हो रही बीजेपी सरकार की विकास यात्रा के जरिए सीएम शिवराज की मंशा है कि विधानसभा क्षेत्र की हर वार्ड और गली तक पहुंचा जाए। इस यात्रा के दौरान बीजेपी संगठन के पदाधिकारी से लेकर सामान्य कार्यकर्ता को मौजूद रहने की हिदायत दी गई है, दरअसल विकास यात्रा पूरी तरह से सरकारी खर्च पर हो रही है। विकास यात्रा की जिम्मेदारी कलेक्टरों को भी दी गई है। कलेक्टरों को यह बताना होगा कि यात्रा कितने किलोमीटर, कितने गांव और कितने वार्ड तक पहुंची। हर जिले में वार्ड और गांव स्तर तक लोकार्पण, शिलान्यास और शुभारंभों का कार्यक्रम बनेगा। मध्य प्रदेश में राज्य सरकार की ओर ये निकाली जाने वाली इस विकास यात्रा में मुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद और विधायक भी शामिल होंगे। साथ ही विकास यात्रा के दौरान जनप्रतिनिधियों की आम सभाओं का भी आयोजन कराया जाएगा। आमसभा के माध्यम से बीजेपी के जनप्रतिनिधि सरकार की योजनाओं से आम जनों को अवगत कराएंगे।
मंत्रियों को सीएम शिवराज ने दिए टिप्स
- विकास यात्रा को बनाएं मेगा इवेंट
- विकास यात्रा के बहाने की जाए ग्रामीण क्षेत्रों में पकड़ मजबूत
- केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं की करें ब्राडिंग
- निकाय चुनाव के दौरान कार्यकर्ताओं में नजर आई नाराजगी दूर करें
- रूठे कार्यकर्ताओं की पूछ परख बढ़ाएं और मान मनोव्वल करें
- पेंडिंग योजना को जल्द से जल्द पूरा करने की दिशा में कदम उठाएं
कलेक्टर तैयार करेंगे यात्रा का रोडमैप
मध्य प्रदेश सरकार द्वारा निकाली जा रही विकास यात्रा की जिम्मेदारी प्रदेश के कलेक्टरों को सौंपी गई है। कलेक्टरों को विकास यात्रा का रोडमैप तैयार करके देना होगा। कलेक्टरों को अपने जिले में पहले गांव और पहले वार्ड से अंतिम वार्ड और गांव तक की रिपोर्ट देना होगी। विकास यात्रा के दौरान लोकार्पण और अन्य कार्यक्रमों की सूची पहले से ही तैयार रहेगी। विकास यात्रा के दौरान विभागीय मंत्री यात्राओं में निरीक्षण करेंगे। प्रभारी मंत्री भी जिलों में उतरेंगे। यात्रा के दौरान जनता की समस्याएं सुनकर उनका समाधान किया जाएगा। राज्य सरकार की अलग-अलग योजनाओं का प्रचार प्रसार भी यात्रा के दौरान किया जाएगा।
क्या ये है यात्रा निकालने की वजह
दरअसल पिछले दिनों सीएम शिवराज सिंह चौहान ने 3-3 सर्वे करवाएं थे। जिससे हर विधानसभा सीट का सही हाल जान सकें। हर सर्वे उनके लिए चौंकाने वाला रहा। पिछले चुनाव में सबसे ज्यादा सीट देने वाले विंध्य में भी बीजेपी की रिपोर्ट अच्छी नहीं मिली। उस पर जिला प्रभारियों से मिल रहा फीडबैक और भी ज्यादा चौंकाने वाला है। हालात ये हैं कि जीत के लिए प्रदेश के आला नेता एक-एक मंत्री को बच्चों की तरह जीत के लिए नए-नए पाठ पढ़ा रहे हैं।
खत्म नहीं हो रही नेताओं की उदासीनता
चुनावी मैदान में जीत के लिए बीजेपी चाहे जितने दावे कर ले। जमीनी हकीकत कुछ और ही है। हालात ये हैं कि बीजेपी सरकार के मंत्री और जिला स्तर के नेताओं की उदासीनता खत्म होने का नाम नहीं ले रही। जिसके चलते अब प्रदेश के बड़े नेताओं को ही हर बार एक नई सीख देनी पड़ रही है। प्रदेश में बीजेपी का हाल क्या है ये जानने के लिए सीएम शिवराज सिंह चौहान हर सीट का 3-3 बार सर्वे करवा चुके हैं। जिससे संभवतः ये साफ हो चुका है कि महाकौशल और विंध्य में पार्टी के हालात बुरे हैं। सर्वे रिपोर्ट के बाद सीएम ने हर मंत्री से वन टू वन चर्चा की और उन्हें जीत की ओर पार्टी को ले जाने के लिए ढेर सारे टिप्स भी दिए थे।
जमीनी स्तर पर आसान नहीं 200 पार का टारगेट
सिर्फ मुख्यमंत्री ही नहीं प्रदेश प्रभारी से लेकर प्रदेशाध्यक्ष तक मंत्री, विधायकों और जिला प्रभारियों को नए नए सबक दिए जा रहे हैं। इसके बावजूद जमीनी स्तर पर तेजी नजर नहीं आ रही। बीजेपी के माथे पर बल पड़ना लाजिमी है। क्योंकि इस बार मंत्री विधायकों के इतर पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं में भी नाराजगी दिखाई दे रही है। जिसे वो सबके सामने जाहिर करने से भी नहीं चूक रहे।