मध्यप्रदेश मेँ अगले साल विधानसभा चुनाव होने है। 2023 के चुनावो के लि दोनो ही दलो ने अपनी अपनी रणनीति बनाना शुरू कर दी है। चुनावो में बीजेपी को वापस सरकार हासिल करने की चुनौती है तो वही कांग्रेस अब करो या मरो की स्थिति में है। कांग्रेस के हालत ऐसी है कि अगर 2023 में सरकार नही बना सके तो मध्यप्रदेश मे पार्टी खत्म हो सकती है। ये बात कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह पार्टी कार्यकर्ताओ को खुलेआम कह चुके है। कांग्रेस के सामने 23 की चुनौती सबसे बडी सभी गुटो और नेताओ को साधते हुए 2023 की सत्ता हासिल करना। वैसे भी ये चुनाव सिधिया के चेहरे के बिना है और तो और कहा जा सकता है कि सिधिया के पार्टी में बडी टूट के बाद के है।
कांग्रेस की क्या है रणनीति
कांग्रेस ने 2023 के लिए रणनीति काफी हद तक तैयार कर ली है। प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने हाल ही में पूरे 52 जिलो में कांग्रेस के चुनाव प्रभारियो को नियुक्ति कर दी है। कांग्रेस के प्रदेशअध्यक्ष कमलनाथ का मानना है कि पार्टी को संगठन के स्तर पर मजबूत बनाना होगा। क्योकि कांग्रेस की लडाई बीजेपी से नही ब्लकि बीजेपी के संगठन से ही। बीजेपी के मजबूत संगठन के आगे कही न कही कांग्रेस कमजोर पड जाती है। ऐसे में कांग्रेस ने अभी से चुनाव के प्रभार जिलेवार सौप दिए। जिससे प्रबारी अभी से जिले में जाए और संगठन को मजबूत बनाए। कमलनाथ ने जिलो में कांग्रेस के सभी संगठनो को आपस में तालमेल करके काम करने की नसीहत दी है।
कांग्रेस के सामने इस वक्त सबसे बडी चुनौती पार्टी को जोडे रखना क्योकि सिधिया के कांग्रेस से जाने के बाद कई ऐसे मौके आए कि कांग्रेस के विधायक और कार्यकर्ता एक एक कर पार्टी का दामन छोडते रहे। इसके बाद सबसे बडा झटका कांग्रेस को तब लगा जब राष्ट्रपति चुनावो में मध्यप्रदेश में जमकर क्रास वोटिग हुई। कांग्रेस के एक दो नही बल्कि पूरे 12 विधायको ने पार्टी के खिलाफ वोट किया।
क्रास वोटिंग किए विधायको के टूटने का डर
राष्ट्रपति चुनावो मे क्रास वोटिंग के बाद से कांग्रेस को लेकर एक बार फिर अटकले तेज हो गई है। राजनैतिक गलियारो में इस बात के चर्चे है कि कही कांग्रेस चुनावो तक वापस न टूट जाए। कांग्रेस के कई नेता खुद टूट के डर को महसूस कर रहे है और खुलकर न सही दबी जुबान से जरूर कह रहे है कि अब पार्टी को जोडने की जरूरत है। अंदरखाने की खबरें है कि दिन विधायको ने क्रास वोट किया उनमें कही न कही आदिवासी विधायक शामिल होगे ऐसे में अगर आदिवासी विधायक पार्टी से कट जाते है तो ये भी कांग्रेस के लिए बडा नुकसान होगा।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी मध्यप्रदेश में 16 दिन डेरा डालेगे। इन 16 दिलो मे राहुल गांधी प्रदेश के निमाड मालवा इलाके में रहेगे और हर दि उनका टारगेट 25 किलोमीटर पैदल चलना होगा। अनुमान है कि इस दौरान राहुल जनता से मिलेगे उनकी नब्ज टटोलगे साथ ही रात वो किसी होटल या रिसोर्ट में नही ब्लकि कार्यकर्ताओ के साथ बिताऐंगे । इसी बहाने राहुल मैदानी स्तर तक पार्टी की हालत को देख समझ लेगे।
राहुल की मौजूदगी में हो सकते है बडे फैसले
सूत्रो की माने तो प्रदेश कांग्रेस में गुटबाजी अभी तक हावी है। गुटबाजी के चलते पार्टी कई महत्तवपूर्ण फ्रंट पर बीजेपी से कमजोर हो जाती है। अंदऱखाने में इस बात को लेकर सुगबुगाहट है कि राहुल गांधी अपने यात्रा के दौरान पार्टी को लेकर इस तरह के मसलो पर भी कोई फैसले कर सकते है। यही वजह है कि कांग्रेस के कार्यकर्ताओ को उम्मीद है कि कही न कही अब उनकी सुनने वाला भी कोई आ रहा है। तेजी से टूटती पार्टी बढती गुटबाजी को रोकने के लिए राहुल कई सारे बडे फैसले ले सकते है।