मणिपुर के लिए देवदूत बनी सेना: कुछ इस तरह मदद कर रहे जवान

सीमा के बाहर की रोक दिए थे ट्रक

हाल ही में हुई मणिपुर हिंसा में करीब 71 लोगों की जाने चली गई थी। उपद्रवियों ने कई घरों में आग लगा दी थी। रास्ते बंद हुए और आवागमन ठप हो गया था। जबकि बेघर हुए लोग खाने के लिए दाने दाने को मोहताज हो गए। हिंसा थमने और हालात सामान्य होने के बाद अब सीआरपीएफ सहित कई सुरक्षा से जुड़े जवानों ने पीड़ितों की मदद करना शुरु कर दिया है। देवदूत बने सुरक्षाकर्मी कड़ी मेहनत करके इनकी मदद कर रहे है।

सीमा के बाहर की रोक दिए थे ट्रक

मणिपुर में हिंसा के कारण जरूरी सामान से लदे ट्रकों को सीमा पर ही रोक दिया गया था। सुरक्षा के कारणों से रोके गए ट्रकों के कारण दैनिक जरूरतों के सामान की पूर्ति प्रभावित हो गई थी। अब हालात सामान्य होते ही इन ट्रकों की आवाजाही शुरु हो गई है।अब सीआरपीएफ की सुरक्षा में जरूरी सामानों से भरे ट्रकों को अलग-अलग स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है। सुरक्षा बल सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए प्रतिबद्धता से लगे हुण् है और एनएच 37 पर वाहनों की आवाजाही की शुरुआत मणिपुर में सामान्य स्थिति की ओर ले जा रही है। परिणामत: बीते दो दिनों में करीब सौ वाहनों को निर्धारित स्थानों तक पहुंचाया गया है।

सीआरपीएफ की मदद से पहुंच रहे ट्रक

आम नागरिकों को राहत देने के लिए सेना ने भी अब मोर्चा संभाल लिया है। वाहनों को सुरक्षित मार्ग से पहुंचाने के लिए राइफल्स द्वारा कई क्षेत्र खाली कराए गए हैं। सेना के जवान ड्रोल की मदद से चप्पे चप्पे पर नजर रख रहे हैं। सीआरपीएफ और मणिपुर पुलिस के संरक्षण में 15 मई को ट्रक, ईंधन टैंकर, चावल, चीनी, दाल और ईंधन ले जाने वाली जेसीबी सहित 28 वाहनों का एक काफिला नोनी से इंफाल तक पहुंचा है।

गंभीर हो रहे थे हालात

ट्रक संचालकों को डर था कि कहीं उनके वाहन हिंसा के शिकार न हो जाएं इसलिए कई ट्रांसपोर्ट संचालक जोखिम लेने को तैयार नहीं थे। उन्होंने सामान की आपूर्ति बंद कर दी थी। जिसके कारण लोगों दैनिक जरूरी सामान की आपूर्ति में किल्लत होने लगी थी। हालात बिगड़ते इसके पहले ही सेना ने मोर्चा संभाला और खाने पीने की चीजों की आपूर्ति सुनिश्चत करवा दी।सेना और असम राइफल्स ने इम्फाल तक आवश्यक सामान ले जाने वाले वाहनों को सुरक्षा प्रदान की। और लोगों को जरूरी सामान की आपर्ति कराना सुनिश्चित कर दिया।

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