देश में “लव जिहाद” के मामलों की जमकर चर्चा हो रही है। चिंता इसे लेकर भी जताई गई कि ऐसे मामलों से कैसे निपटा जाए। इस पर भी मंथन भी किया गया, लेकिन अब इसे लेकर भारतीय न्यायपालिका में एक कानून पारित हो गया है। इस कानून के पारित होने से लव जिहाद जैसे मामलों से निपटना और पूर्व से निर्धारित कानूनी प्रक्रियाओं के अनुसार आगे कार्रवाई करना और आसान हो जाता है।
- लव जिहाद जैसे मामलों से भी निपटेगी अब भारतीय न्याय संहिता
- धार्मिक पहचान छुपाकर शादी करने पर 10 साल की सजा
- शादी की आड़ में कपटपूर्ण प्रथा
- पहचान छुपाकर से विवाह करना अब अपराध घोषित
- लव जिहाद जैसी साजिशों से निपटने के लिए किया दंड विधान में संशोधन
- दुष्कर्म के आरोपियों को कम से कम दस साल की जेल
- आजीवन कारावास में भी बदला जा सकता है
भारतीय न्यायपालिका अधिनियम में प्रावधान किया गया है कि अगर कोई व्यक्ति पहचान छुपाकर शादी करता है या गलतफहमी पैदा करने के लिए अपनी धार्मिक पहचान छिपाता है तो उसे दस साल जेल की सजा हो सकती है। भारतीय न्यायपालिका अधिनियम की धारा 69 में इसे लेकर स्पष्ट तौर पर कहा गया है। लिहाजा इस तरह के मामलों से निपटा जाता है जहां संदेह उत्पन्न होता है कि किसी व्यक्ति ने अपनी धार्मिक पहचान छिपाकर शादी की है या उसके साथ डेट किया है।
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता रूद्र विक्रम सिंह ने भी अपनी पुस्तक फ्राम क्रिमिनल लॉ टू ज्युडिशियल लॉ में इसे लेकर विस्तार से जानकारी उपलब्ध करायी है। रुद्र विक्रम सिंह पुस्तक में लिखते हैं कि कपटपूर्ण प्रथाओं और छिपी पहचान वाले विवाह को अपराध घोषित कर दिया है। LOVE JIHAD जैसी साजिशों से निपटने के लिए ही दंड विधान में संशोधन किया है। संविधान के अनुच्छेद 69 में कहा गया है कि यदि कोई व्यक्ति जो धोखे से या शादी का वादा करके किसी महिला के साथ किसी प्रकार के शारीरिक संबंध बनाता है और इस मामले में विद्रोह करता है तो वह अपराध माना जाएगा। इस मामले में संबंधित व्यक्ति को 10 साल तक की जेल की सजा का प्रावधान किया गया है।
दूसरी ओर यौन उत्पीड़न को पहले से ही अनुच्छेद 376 के तहत निपटाया गया था। इससे पहले दुष्कर्म की परिभाषा अनुच्छेद 375 में निर्धारित की गई थी लेकिन मौजूदा नए कानून में दुष्कर्म की परिभाषा भारतीय न्यायपालिका अधिनियम की धारा 63 में निहित की है। धारा 64 में आरोपी की सजा निर्धारित की गई है। दुष्कर्म के मामलों में दोषी पाए जाने पर आरोपियों को कम से कम दस साल की जेल की सजा हो सकती है, जिसे आजीवन कारावास में भी बदला जा सकता है।
नाबालिग को मिला नए कानून का सहारा
नाबालिगों पर यौन उत्पीड़न के मामलों में अनुच्छेद 70 (2) के तहत दंड निर्धारित किया गया है। जिसमें 16 साल से कम उम्र की लड़कियों के साथ दुष्कर्म के मामले में आरोपी की सजा बढ़ाकर 20 साल कर दी है। नाबालिग के साथ से दुष्कर्म के मामलों में भी मौत की सजा का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा 12 साल से कम उम्र की नाबालिग लड़की को हवस का शिकार बनाकर उसके साथ दुष्कर्म करने पर कम से कम 20 साल की जेल या फांसी की सजा का प्रावधान नए कानून में किया गया है।