एक ऐसा शिव मंदिर जहां जाकर मुर्दा भी भोले बाबा का नाम लेने के लिए जी उठता है। अकेले यही नहीं ब्लकि इस मंदिर को लेकर और भी कई तरह की मान्यताऐं हैं। ये शिव मंदिर है देवभूमि उत्तराखंड में। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से कुछ किलोमीटर दूर है। इसे लाखामंडल शिव मंदिर कहते हैं। मान्यता है कि लाक्षागृह को दुर्योधन न पांडवों को जलाकर मारने के लिए बनाया था। यहां का शिवलिंग अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने स्थापित किया था। युधिष्ठर ने इस शिवलिंग की स्थापना की थी। यहां मौजूद शिवलिंग को महामुंडेश्वर कहते हैं। इस शिव मंदिर को लेकर मान्यता है कि मुर्दा भी यहां आकर एक बार के लिए जीवित हो जाता है। मान्यता है कि शिवलिंग के सामने पश्चिम की ओर मुख करे दो द्वारपाल खड़े हैं। अगर किसी मुर्दे को लाया जाता है औऱ पंडित उस पर अभिमंत्रित जल छिड़कता है तो कुछ पलों के लिए वो मुर्दा जीवित हो जाता है। जीवित होने के बाद वह भोले बाबा का नाम लेता है और फिर उसके मुंह में गंगाजल दिया जाता है उसके बाद उसकी आत्मा फिर शरीर का त्याग कर देती है। मंदिर को लेकर इस तरह की और भी मान्यताऐं हैं।मान्यता है कि-एक बार एक महिला ने मंदिर में पति को जीवित होने के बाद उसे घऱ ले जाने की कोशिश की जिसके बाद से मंदिर में ये चमत्कार बंद हो गया।
पांडवकालीन है मंदिर
मंदिर पांडवकालीन है और केदारनाथ की तर्ज पर बना है।मंदिर के पिछले दरवाजे पर भी दो द्वारपाल खड़े है उनमें से एक का हाथ कटा है लेकिन इसके पीछे की कहानी कोई नहीं जानता।लाखामंडल में बने इस शिवलिंग में इतना तेज है कि इसका जलाभिषेक करते वक्त इसमें अभिषेक करने वाले का चेहरा दिखता है। कहते हैं इस मंदिर से कोई खाली हाथ नहीं लौटता।इस मंदिर को युधिष्ठिर ने भगवान शिव और माता पार्वती की धन्यवाद देने को बनाया था।