औरंगजेब ने 11 तोपों से तोड़ा था ये मंदिर – नागपंचमी के दिन होती है ताले की पूजा

औरंगजेब ने 11 तोपों से तोड़ा था ये मंदिर – नागपंचमी के दिन होती है ताले की पूजा

मध्यप्रदेश के नगचंद्रेशवर मंदिर के बारे में आप सभी ने सुना होगा। ये मंदिर नागपंचमी की एक रात पहले खोला जाता है और तड़के इसके पट बंद भी कर दिए जाते हैं। इस मंदिर केवल एक रात के लिए खोला जाता है और नाग चंद्रेश्वर के दर्शन भी केवल एक ही रात के लिए होते हैं। लेकिन इसके अलावा भी हम मध्यप्रदेश एक मंदिर के बारे में बताते है जहां नागपंचमी के दिन ताले की पूजा की जाती है। इस पूजा ए एस आई के एक आदेश के तहत होती है जिसमें इसे मस्जिद बताया गया है। ये मंदिर है मध्यप्रदेश के पास विदिशा जिले में। विदिशा जिला जो अपने पौराणिक कथाओं और पुरातन काल के मंदिरो के लिए जाना जाता है। वहीं ये मंदिर है और इस मंदिर को विजय मंदिर के नाम से जाना जाता है। हांलाकि ए एस आई के रिकार्ड में इसे बीजामंडल मस्जिद के नाम से जाना जाता है।

नापंचमी पर होती है ताले की पूजा
अनोखा मंदिर -नागपंचमी पर होती है ताले की पूजा

साल में एक बार होती है ताले की पूजा
विजय मंदिर विदिशा के पास है। कहा जाता है कि इस मंदिर का डिजाइन पर ही नई संसद की डिजाइन बनी है। बताया जाता है कि परमार वंश के राजा कृष्ण के प्रधानमंत्री वाच्सपित ने एक बड़ी विजय के उपल्क्ष्य में इसका निर्माण कराया था। इसकी ऊचाई 315 फीट थी और लगभग आधा मील की लंबाई और चौड़ाई थी। मंदिर का निर्माण दक्षिण के मंदिरों के तर्ज पर किया गया है। मंदिर के बारे में कहा जाता है कि ये 1992 की बाढ़ में निकलकर पूरा सामने आया। बाढ़ में जब मंदिर की दीवार ठही तो मंदिर परिसर में देवी देवताओं की मूर्तियां ऊपर आ गई।

औरंगजेब ने 11 तोपों से उड़ाया था मंदिर
मंदिर के निर्माण के बाद से उस पर चार बार आक्रमण किया गया। आखिरी आक्रमण मंदिर पर औरगंजेब ने किया। औरगंजेब ने मंदिर को 11 तोपों से उड़ाया। तोपो के हमले से मंदिर की दीवारे गिर गई और मूर्तियां भी खंडितो गई। 1992 की बाढ़ में मंदिर से मलबा हटा और पूरे परिसर में देवी-देवताओं की मूर्तिया मिली। इनमें भगवान शिव, विष्णु , महिषासुर मर्दिनी और कई देवी देवातओं की प्रतिमा मिली।

1965 में नमाज करने पर लगा था प्रतिबंध
हिंदू महासभा लगातार मंदिर को लेकर आंदोलन कर रही थी। इसके बाद 1965 में इस परिसर में ईद की नमाज अता करने पर प्रतिबंध लगा लेकिन पूजा आ अधिकार भी नहीं मिला। तभी से नागपंचमी के दिन मंदिर के ताले की पूजा की जा रही है। लगभग 70 सालों से मंदिर का ताला खुलवाने की कोशिश का जा रही है। इस नागपंचमी पर भी कलेक्टर को ज्ञापन देकर मंदिर का ताला खुलवाने की अपील की गई है जिससे पूजा ठीक तरह से हो सके।

 

 

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