लोकसभा चुनाव से पहले यूपी में एनडीए ने उन सीटों पर काम तेज कर दिया है जहां उसे 2019 के चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। बीजेपी 2024 के चुनाव में इन सीटों को गठबंधन के सहयोगियों अपना दल, निषाद पार्टी और सुभासपा के हवाले करने की रणनीति बना रही है। हालांकि उसे ऐसा करने से पहले इन इलाकों में इन पार्टियों की राजनीतिक हैसियत का आंकलन भी करना होगा। इस तरह एनडीए ने समाज वादी पार्टी कांग्रेस और बसपा से निपटने की रणनीति पर काम शुरु कर दिया है।
- 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए को मिली थी यहां हार
- एनडीए को यूपी की 80 में से 64 सीटों पर मिली थी जीत
- 10 सीट पर बसपा और पांच पर सपा ने दर्ज की थी जीत
- कांग्रेस के खाते में आई थी महज एक सीट
- भाजपा ने 2022 के उपचुनाव में सपा से छीनी दो सीट
- रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी जीती
- सपा के पास है अब संभल, मैनपुरी और मुरादाबाद
- लोकसभा चुनाव में यूपी की 80 सीटें जीतने की मुहिम
- भाजपा कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती
दरअसल मिशन 80 के तहत बीजेपी हारी हुई सीटों पर पिछले दो साल से लगातार मंथन कर रही है। बीजेपी के स्थानीय रणनीतिकारों की माने तो अपना दल एस को उनकी मौजूदा रॉबर्टसगंज और मिर्जापुर लोकसभा सीट मिलना लगभग तय है। इससे अधिक सीट देने को लेकर कोई रणनीति बनती है तो मौजूदा में पूर्वांचल में हारी हुई कुछ सीट उन्हें और मिल सकती हैं। एनडीए के नए नए सहयोगी बने सुभासपा को जौनपुर, गाजीपुर या घोसी में से दो सीट मिलने की संभावना है। इसके साथ ही निषाद पार्टी की नजर संतकबीरनगर के साथ लालगंज या श्रावस्ती में से कोई दो सीट मिलने की उम्मीद हैं। पिछली बार संतकबीरनगर से निषाद पार्टी अध्यक्ष संजय निषाद बेटे प्रवीण निषाद बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीते थे। पार्टी के नेताओं का मानना है कि हारी हुई सीटें सहयोगी दलों को दी जाती है तो पार्टी के पास जोखिम कम रहेगा। इसके साथ ही सहयोगी दलों के सामाजिक समीकरण से ओबीसी में बीजेपी की स्थिति और भी मजबूत होने की भी संभावना है।
2022 में निषाद ने दिखाया था दम
2022 में हुए विधानसभा चुनाव में निषाद पार्टी ने 15 सीटें मिली थीं। इनमें से 5 सीटों पर निषाद पार्टी कार्यकर्ताओं को बीजेपी के चुनाव चिह्न पर मैदान में उतारा गया था। शेष 10 में से 7 सीटों में 2017 के विधानसभा स चुनाव में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था। इसमें से निषाद पार्टी ने 6 सीट पर जीत दर्ज की थीं। पिछले 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए को यूपी की 80 में से 64 सीट मिली थी। 16 सीटों पर विपक्ष ने जीत दर्ज की थी। जिनमें से बसपा ने दस, समाजवादी पार्टी पांच और कांग्रेस के खाते में एक सीट गई थी। इसके बाद हुए 2022 उप चुनाव में बीजेपी ने रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में दोनों सीटें सपा से छीन ली थी। संभल, मैनपुरी और मुरादाबाद ये तीन सीटें सपा की झोली में है। तो बसपा के पास अब भी घोसी,बिजनौर, गाजीपुर, सहारनपुर,जौनपुर, अमरोहा, श्रावस्ती, लालगंज, अंबेडकरनगर और नगीना सीट हैं। कांग्रेस के खाते में रायबरेली एक मात्र सीट है।