लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने क्यों कहा कि ये लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है ?

भविष्य की चुनौतियों का समाधान खोजें

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा है कि हमारे विधायी निकायों के कामकाज को गरिमापूर्ण तरीके से संचालित किया जाना चाहिए। हालांकि, उन्होंने इस तथ्य पर खेद व्यक्त किया कि सदनों में हंगामे और व्यवधान की घटनाएं चिंता का विषय हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि सुनियोजित तरीके से हंगामा करना, नारेबाजी और सदन को स्थगित करना हमारे लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत नहीं है जिससे लोकतंत्र की गरिमा कम होती है।मुंबई के एक दिवसीय दौरे पर आए लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने जियो वर्ल्ड कन्वेंशन सेंटर में आयोजित पहले राष्ट्रीय विधायक सम्मेलन में उद्घाटन भाषण दिया। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री, देवेंद्र फडणवीस, महाराष्ट्र विधान सभा के अध्यक्ष, एडवोकेट राहुल नार्वेकर और राज्य विधानमंडलों के पीठासीन अधिकारी भी इस सम्मेलन में शामिल हुए । पूर्व लोक सभा अध्यक्ष, सुमित्रा महाजन, मीरा कुमार और शिवराज पाटिल भी समारोह में उपस्थित रहे।

भविष्य की चुनौतियों का समाधान खोजें

संदर्भ में विधायकों की भूमिका पर बात करते हुए, बिरला ने कहा कि उनसे अपेक्षा की जाती है कि वे न केवल चर्चा और संवाद के माध्यम से समस्याओं का समाधान करें, बल्कि यह भी सुनिश्चित करें कि इस तरह की चर्चा उत्पादक हो और इससे वांछित उद्देश्यों की प्राप्ति हो । बिरला ने आगे कहा कि लोकतंत्र नैतिक व्यवस्था है और इसलिए विधायकों के लिए यह आवश्यक है कि वे कमियों का आत्म-विश्लेषण करें और भविष्य की चुनौतियों का समाधान खोजें। उन्होंने कहा कि यदि चर्चा और संवाद से समस्याओं का समाधान नहीं निकलता है तो बाहरी हस्तक्षेप होगा, जो लोकतंत्र के लिए उचित नहीं है। इसलिए नीतियों और मुद्दों पर व्यापक चर्चा और बहस होनी चाहिए जिससे हमारे विधानमंडल अधिक प्रभावी बनेंगे। विधायकों पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है क्योंकि वे नागरिक और कार्यपालिका के बीच महत्वपूर्ण कड़ी हैं।उनका सबसे बड़ा दायित्व जनता के हितों, इच्छाओं, आकांक्षाओं और आवश्यकताओं से जुड़े मुद्दों को कार्यपालिका तक प्रभावी ढंग से पहुँचाना है।

विश्वास को बनाए रखना जरूरी

हमारे लोकतंत्र को स्वरूप देने में संविधान की भूमिका के बारे में विस्तार से बताते हुए, ओम बिरला ने कहा कि विधायकों के रूप में उनसे अपेक्षा की जाती है कि वे संविधान द्वारा प्रदत्त स्वतंत्रता, समानता, न्याय आदि के आदर्शों को बनाए रखेंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि विधानमंडलों में बनाए जाने वाले कानून लोगों के अधिकारों का आधार हैं। इन्हीं कानूनों से हमारा देश और जनता सशक्त हुए हैं और इसके लिए निष्ठापूर्वक कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने विधायकों को आगाह करते हुए कहा कि जनप्रतिनिधि को न केवल अपने लोगों के प्रति जवाबदेह होना चाहिए, बल्कि अपने सभी कार्यों में पारदर्शिता सुनिश्चित करनी चाहिए। उन्होंने प्रतिभागियों से इस अनूठे मंच पर अपनी सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने और एक-दूसरे से सीखने और सदनों और जनप्रतिनिधियों में जनता के विश्वास को बनाए रखने का आग्रह किया।

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