लोकसभा कामकाज शुरु होते ही राहुल गांधी की भूमिका भी तय हो गई। कांग्रेस नेता राहुल गांधी लोकसभा में नेता विपक्ष की भूमिका में नजर आएंगे। यह पहली बार है जब राहुल गांधी अपने ढाई दशक से अधिक राजनीतिक सफर में कोई संवैधानिक पद संभाल रहे हैं। जबकि दस साल बाद एक बार फिर विपक्ष एक मजबूत स्थिति में नजर आ रहा है। इसका नेतृत्व राहुल गांधी को सौंपा गया है। पांच बार के सांसद राहुल गांधी अब लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभाएंगे। इससे पहले साल 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में किसी भी विपक्षी पार्टी के पास लोकसभा की कुल संख्या का 10 फीसदी यानी 54 सांसद नहीं थे। जिसके चलते 10 साल से नेता विपक्ष का पद खाली था। हालांकि इससे पहले भी 1980 और 1989 में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद खाली रह चुका है।
- नेता विपक्ष को कैबिनेट मंत्री का दर्जा
- 10 साल से खाली थी नेता प्रतिपक्ष का पद
- पहली बार संवैधानिक पद संभालेंगे राहुल गांधी
- राहुल गांधी की शक्तियां और अधिकार में वृद्धि
- नेता प्रतिपक्ष के रुप में मिलेंगे हर महीने 3.30 लाख रुपये
- कैबिनेट मंत्री के आवास के स्तर का मिलता है बंगला
- सरकारी कार मय ड्राइवर की सुविधा भी उपलब्ध
- जिम्मेदारी निभाने के लिए मिलता है 14 लोगों का स्टाफ
- कैबिनेट मंत्री की तरह मिलेंगे सरकारी सुविधाएं और सुरक्षा
विपक्ष का नेता बनने के साथ ही राहुल गांधी को कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त हो गया है। इससे प्रोटोकॉल लिस्ट में उनकी स्थिति मजबूत होगी। साथ ही भविष्य में राहुल गांधी विपक्ष की ओर से प्रधानमंत्री पद के स्वाभाविक दावेदार भी होंगे। यह पहली बार है जब राहुल गांधी अपने ढाई दशक के लंबे राजनीतिक कैरियर में कोई संवैधानिक पद संभालेंगे। राहुल गांधी को नेता विपक्ष होने के नाते कैबिनेट के मंत्री के बराबर सुविधाएं मिलेंगी। सचिवालय में उन्हें दफ्तर भी मिलेगा। विपक्ष के नेता राहुल गांधी को उच्च स्तरीय सुरक्षा प्रदान की जाएगी। साथ ही तीन लाख 30 हजार मासिक वेतन भी राहुल गांधी को मिलेगा।
लीडर आफ अपोजिशन इन पार्लियामेंट 1977 के अनुसार नेता प्रतिपक्ष के अधिकार और सुविधाएं ठीक वैसी ही होती हैं जो एक कैबिनेट मंत्री को मिली होती हैं। राहुल गांधी को नेता प्रतिपक्ष होने के नाते कैबिनेट मंत्री की तरह सरकारी सचिवालय में दफ्तर मिलेगा। कैबिनेट मंत्री की ही तरह उच्च श्रेणी की सुरक्षा मिलेगी। उन्हें मासिक वेतन और दूसरे भत्ते के लिए करीब 3 लाख 30 हजार रुपये भी हर माह मिलेंगे। यह एक सांसद के वेतन से कहीं ज्यादा राशि है। लोकसभा में विपक्ष के नेता के रूप में राहुल गांधी लोकपाल और सीबीआई प्रमुख जैसे पद के साथ मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इसके अलावा केंद्रीय सतर्कता आयोग, केंद्रीय सूचना आयोग और कई महत्वपूर्ण नियुक्तियों में नेता विपक्ष के नाते राहुल गांधी अपनी सलाह देंगे।
तीसरा बार गांधी परिवार!
बता दे यह तीसरा मौका है जब गांधी परिवार का कोई सदस्य लोकसभा में विपक्ष के नेता की भूमिका निभा रहा है। इससे पहले सोनिया गांधी और राजीव गांधी इस जिम्मेदारी को लोकसभा में उठा चुके हैं।
राहुल गांधी के निजी जीवन की बात करें तो उनका जन्म- 19 जून 1970 को हुआ था। उनके पास करीब 20 करोड़ से अधिक की संपत्ति है। उनकी प्रारंभिक शिक्षा- सेंट कोलंबा स्कूल, नई दिल्ली हुई। उच्च माध्यमिक शिक्षा उन्होंने दून स्कूल देहरादून से हासिल की। उच्च शिक्षा की बात करें तो वे रोलिंस कॉलेज, फ्लोरिडा से स्नातक हैं।
मार्च 2004 में ली राहुल गांधी ने राजनीति में एंट्री
राजनीतिक जीवन की बात करें तो मार्च 2004 में राहुल गांधी राजनीति में एंट्री के साथ पिता राजीव की लोकसभा सीट अमेठी से पहली बार सांसद बने। 2004-2014 लगातार तीन लोकसभा चुनावों में अमेठी सांसद चुने गए। सितंबर 2007 में कांग्रेस कमेटी महासचिव नियुक्त किए गए। जनवरी 2013 में उन्हें कांग्रेस उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया। दिसंबर 2017 में कांग्रेस अध्यक्ष का पद ग्रहण किया।
मई 2019 में राहुल गांधी अमेठी में बीजेपी की स्मृति ईरानी से चुनाव हार गए थे। केरल की वायनाड सीट से जीते। अमेठी से हार के बाद कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया। 7 सितंबर 2022-30 जनवरी, 2023 भारत जोड़ो यात्रा निकाली। राहुल ने 4080 KM पदयात्रा की, जो कन्याकुमारी से शुरू होकर कश्मीर में खत्म हुई। 14 जनवरी 2024-16 मार्च 2024 में भारत जोड़ो न्याय यात्रा शुरू की गई थी। जो मणिपुर से शुरू होकर 6,700 किमी लंबी यह यात्रा मुंबई में खत्म हुई। जून 2024 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी रायबरेली और वायनाड दोनों ही सीटों पर चुनाव जीते। इसके बाद उन्होंने वायनाड सीट छोड़ दी अब वे रायबरेली से कांग्रेस सांसद हैं। राहुल गांधी के खिलाफ देश के अलग अलग शहरों में 18 क्रिमिनल केस दर्ज हैं।
राहुल गांधी से जुड़ी कुछ और बातें..नाम बदल कर तीन साल की नौकरी
उत्तराखंड के देहरादून स्थित दून स्कूल में पढ़ाई की। यह वही स्कूल है जहां से राहुल के पिता राजीव गांधी ने भी पढ़ाई की थी। इस बॉयज बोर्डिंग स्कूल में राहुल गांधी के साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया और जितिन प्रसाद भी पढ़ाई करते थे। राहुल गांधी को CBSE बोर्ड की 12वीं परीक्षा में सिर्फ 62% अंक मिले थे, लेकिन स्पोर्ट्स कोटे से उन्हें 1989 में दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफंस कॉलेज में प्रवेश मिल गया।
बता दे जुलाई, 1989 तक उन्होंने शूटिंग में 8 नेशनल अवॉर्ड भी हासिल किया। साल 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद राहुल गांधी ने सुरक्षा कर्म के चलते दिल्ली का सेंट स्टीफंस कॉलेज छोड़ दिया और राहुल हार्वर्ड यूनिवर्सिटी चले गए। हालांकि सुरक्षा कारणों से हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से भी उन्हें पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी। इसके बाद राहुल गांधी ने फ्लोरिडा के रोलिंस कॉलेज से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की थी।
बताया जाता है कि राहुल ने ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद करीब 3 साल तक अपनी पहचान छिपाकर लंदन के एक मैनेजमेंट कंसल्टिंग फर्म मॉनिटर ग्रुप में काम किया था। यहां पर राहुल गांधी ने अपना नाम रॉल विंसी बताकर काम किया था। राहुल गांधी ने साल 2002 में भारत लौटे और मुंबई में उन्होंने टेक्नोलॉजी कंसल्टेंसी, बैकॉप्स सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना की थी और यह डायरेक्टर के रूप में यहां काम किया था। इसके बाद बताया जाता है कि राहुल ने बैकऑप्स यूके नाम की कंपनी की स्थापना की थी, जो विदेशी सप्लायर्स से डिफेंस कॉन्ट्रैक्ट हासिल करती थी।