लोकसभा चुनाव : पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी वर्सेस बीजेपी …क्या चुनावी जंग में सब जायज है…?

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लोकसभा चुनाव के छठे चरण में 25 मई को वोटिंग होगी। उस दिन पश्चिम बंगाल की भी आठ सीटों पर मतदान होगा। ऐसे में राज्य की सियासत में बयानों की गरमी साफ महसूस की जा रही है। राज्य में जहां बीजेपी के तामलुक सीट से कैंडिडेट अभिजीत गंगोपाध्याय पर चुनाव आयोग ने 24 घंटे के लिए प्रचार से बैन लगा दिया है। इलेक्शन कमीशन ने मंगलवार को कोलकाता हाईकोर्ट के पूर्व जज और बीजेपी प्रत्याशी गंगोपाध्याय पर यह एक्शन उनके मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर दिए गये अभद्र बयान के बाद लिया है। वहीं पश्चिम बंगाल पुलिस की टीम ने बुधवार तड़के बीजेपी के घाटल सीट से प्रत्याशी के करीबी के यहां छापामार कार्रवाई की सियासी मौसम में उबाल और बढ़ा दिया है।

पश्चिम बंगाल की घटाल लोकसभा सीट पर 25 में को छठवें चरण में मतदान होना है लेकिन इससे पहले ममता बनर्जी की पुलिस ने भाजपा प्रत्याशी हिरण्मय चटर्जी के पीए के ठिकाने पर छापामार कार्रवाई कर सियासत गरमा दी है।

पहले बात करते हैं बीजेपी के प्रत्याशी अभिजीत गंगोपाध्याय की, जो कोलकाता हाई के जज भी रह चुके हैंं। उन्होंने टीएमसी प्रमुख और राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को लेकर इस तरह की टिप्पणी कर दी कि आखिरकार चुनाव आयोग को भी एक्श्नन लेना पड़ ही गया। दरअसल गंगोपाध्याय ने 15 मई को पश्चिम बंगाल के हल्दिया में एक चुनावी सभा के दौरान कहा था कि वे सोच रहे हैं की ममता कितने रुपए में बिक रही हैं। क्या 10 लाख रुपए में। उन्हें यह हैरानी होती है कि ममता बनर्जी महिला हैं भी या नहीं। गंगोपाध्याय की इस टिप्पणी के बाद राज्य में सियासत गरमा गई है। ऐसे में चुनाव आयोग ने गंगोपाध्याय की टिप्पणी को बेहद निचले स्तर की और व्यक्तिगत हमला बताया। जिस आचार संहिता का उल्लंघन मानते हुए मंगलवार की शाम 5 बजे से उन पर 24 घंटे के लिए प्रचार का बैन लगा दिया है। चुनाव आयोग ने कहा कि उपाध्याय का यह बयान बेहद गलत ही नहीं विवेकहीन और गरिमा के पार है। हालांकि चुनाव आयोग ने कार्रवाई से पहले गंगोपाध्याय को नोटिस भी भेजा था। जिसे सोमवार को उपाध्याय ने जवाब दिया। उनके जवाब को पढ़ने के बाद यह फैसला लिया है। साथ ही चुनाव आयोग ने यह भी कहा कि उपाध्याय का यह बयान दिखता है कि देश में महिलाओं का क्या स्टेटस रह गया है। उनके इस बयान से बंगाल का अपमान हुआ है।

घाटल से BJP प्रत्याशी के PA के ठिकानों पर रेड

बंगाल पुलिस ने बुधवार 22 मई को तड़के घाटल लोकसभा सीट से बीजेपी के उम्मीदवार हिरण्मय चटर्जी के पीए तमोघ्नो डे के निवास पर छापेमारी कार्रवाई की है। बंगाल पुलिस की टीम ने ये छापेमारी ऐसे वक्त में की है। जब यहां तीन दिन बाद छटवें चरण में 25 मई को घाटल लोकसभा सीट पर वोटिंग होने वाली है। वोटिंग से पहले बंगाल पुलिस का बड़ा एक्शन देखने को मिला है। जिसके बाद पश्चिम बंगाल में एक बार फिर से सियासी बयानबाजी गरमाने के आसार है। पश्चिम बंगाल पुलिस पीए के घर बुधवार आधी रात करीब ढाई बजे पहुंची थी और छापेमारी कार्रवाई शुरू की। इतना ही नहीं पुलिस की टीम घटाल में ही भाजपा के दो अन्य नेताओं के घर भी पहुंची। वहीं प्रत्याशी हिरण्मय चटर्जी की मां का कहना है कि जब पुलिस की टीम उनके घर आई तो उन्होंने दरवाजा नहीं खोला। क्योंकि रात में वे घर में अकेली थीं। जिसकी वजह से उन्हें आधी रात में इस तरह दरवाजा खोलना उचित नहीं लगा। उनके बेटे का सिर्फ यही कसूर है कि वह हिरण्मय चटर्जी के साथ रहते हैं। इसी वजह से पुलिस ने उनके बेटे के खिलाफ कार्रवाई की है। ऐसे में माना जा रहा है कि बीजेपी इस मुद्दे पर चुनावी जनसभाओं में टीएमसी पर बड़ा हमला बोल सकती है। दरअसल घटाल पुलिस स्टेशन और खड़कपुर पुलिस स्टेशन के अधिकारियों की साझा टीम छापामार कार्रवाई करने पहुंची थी। छापामार कार्रवाई के लिए पुलिस ने किसी तरह पीए के घर में प्रवेश किया और कार्रवाई को अंजाम दिया। आधी रात को करीब ढाई बजे पश्चिम बंगाल पुलिस की टीम घर में घुसी और सुबह करीब साढ़े 6 बजे वहां से निकली। पुलिस की टीम बीजेपी के दो और नेताओं के घर भी गई थी। दोनों ही घटाल में बीजेपी के संगठन में सक्रिय हैं। दोनों के नाम सुमन मिश्रा और तन्मय घोष बताया जा रहा है।

चुनाव आयोग को HC की लताड़, मांगा जवाब

उधर कोलकाता हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सब्यसाची भट्टाचार्य ने टीएमसी की याचिका पर चुनाव आयोग को कड़ी लताड़ लगाते हुए कहा चुनाव आयोग पूरी तरह से संवैधानिक जिम्मेदारी निभाने में असफल साबित हुआ है। कोलकाता हाईकोर्ट ने यह भी कहा है कि यह आश्चर्य चकित कर देता है कि चुनाव आयोग को जो कार्यवाही स्वयं संज्ञान लेते हुए करना चाहिए थी। उसकी टीएमसी की ओर से शिकायत किए जाने पर भी कार्यवाही नहीं की गई है। कोलकाता हाईकोर्ट ने कहा आदर्श चुनाव संहिता का जिस तरह का उल्लंघन किया जा रहा है उस पर चुनाव आयोग ने चुप्पी साध रखी है। आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए भाजपा की ओर से चुनाव प्रचार और जो विज्ञापन जारी किए जा रहे हैं। चुनाव आयोग ने उस पर समय रहते कार्रवाई क्यों नहीं की। चुनाव आयोग की ओर से समय रहते कार्रवाई नहीं किये जाने से चुनाव की निष्पक्षता और मतदाताओं के अधिकार प्रभावित हो रहे हैं। चुनाव प्रचार मे हर स्तर पर आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन राजनीतिक दलों की ओर से किया जा रहा है। उस पर चुनाव आयोग ने कोई कार्यवाही नहीं की इस पर कड़ी फटकार लगाई। बता दें चुनाव आयोग की ओर से जब कोई कार्रवाई नहीं की गई तब टीएमसी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कोर्ट से कार्रवाई की मांग की। कोलकाता हाईकोर्ट ने इस मामले में चुनाव आयोग के साथ ही भाजपा को भी नोटिस जारी किया है। और अगले आदेश तक के लिए आपत्तिजनक विज्ञापनों का प्रचार प्रसार प्रकाशन पर रोक लगाने के आदेश दिए हैं। चुनाव आयोग और भाजपा से जवाब आने के बाद अगली सुनवाई की जाएगी। बता दें कोलकाता उच्च न्यायालय के इस निर्णय का असर चुनाव आयोग पर राष्ट्रीय स्तर पर बाध्यकारी है।

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