दिल्ली सरकार की शराब नीति घोटाला मामले में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल इन दिनों केंद्रीय जांच एजेंसी- प्रवर्तन निदेशालय ईडी गिरफ्त में हैं। सीएम केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद एक बार फिर सियासी हल्कों में यह चर्चा तेज हो गई है कि ED की रडार पर सीएम अरविंद केजरीवाल के अलावा और कौन से राजनेता हैं।
ED जांच का सामना कर चुके हैं कई शीर्ष नेता
- विपक्ष के नेता ईडी की रडार पर
- कांग्रेस में सोनिया, राहुल, प्रियंका और खरगे
- आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव
- राकांपा संस्थापक शरद पवार
- लगाया था केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप
- आरोप लगाने वाली पार्टियों ने लिखी थी पीएम नरेंद्र मोदी को चिट्ठी
- टीएमसी, AAP, आरजेडी, नेशनल कांफ्रेंस
- केसीआर, सपा और उद्धव बालासाहेब ठाकरे (यूबीटी)
- जांच एजेंसियों की रडार पर अब ये सभी दल के नेता
प्रवर्तन निदेशालय की जांच की जद में आए दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल अकेले नहीं हैं। इससे पहले भी देश के 17 राज्यों के सीएम या पूर्व सीएम ED की जांच के दायरे आ चुके हैं। दर्जन भर पूर्व मंत्रियों के साथ साथ कई डिप्टी सीएम के खिलाफ भी ED कई अलग-अलग विभिन्न मामलों में जांच कर रही है। ऐसे में बड़ा सवाल यह खड़ा हो रहा है कि क्या अरविंद केजरीवाल लोकसभा चुनाव खत्म होने से पहले किसी बड़ी मुसीबत में फंसने जा रहे हैं? वैसे लोकसभा चुनाव की सरगर्मी के बीच भ्रष्टाचार का मुद्दा सुर्खियों में बना हुआ है। यह पहला चुनाव होगा जिसमें दो राज्यों के मुख्यमंत्री, एक डिप्टी सीएम, एक संसद सदस्य और एक मंत्री को भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में की यात्रा करना पड़ा है। ऐसे दर्जनों लोग हैं जो या तो जेल में समय बिता चुके हैं या जेल जाने वाले हैं। क्या यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के घोषित भ्रष्टाचार विरोधी एजेंडे का नतीजा है, या विपक्ष को कमजोर करने की साजिश है? इस पर चिंतन मनन की आवश्यकता है।
ईडी के रडार पर मौजूदा एवं पूर्व मुख्यमंत्री
- बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव
- लालू यादव के परिवार के सदस्य
- जमीन के बदले नौकरी घोटाले में लालू से पूछताछ
- छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी जांच में फंसे
- बघेल के खिलाफ भी ईडी की जांच चल रही
- कोयला ट्रांसर्पोटेशन व महादेव गेमिंग एप शामिल
- हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी ईडी की जद में
- हुड्डा पर मानेसर जमीन मामला और पंचकुला के ‘एजेएल’ केस
- हुड्डा को करना पड़ रहा ईडी जांच का सामना
- राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत भी रडार पर रहे हैं
- केन्द्रीय एजेंसियां कर चुकी है मायावती के कार्यकाल के कई फैसलों की जांच
- सपा प्रमुख यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव भी सीबीआई व ईडी के रडार पर
- अखिलेश के खिलाफ गोमती रिवर फ्रंट और माइनिंग घोटाला जैसे केस शामिल
जांच से अछूते नहीं ये पूर्व सीएम
- पंजाब के पूर्व सीएम चरणजीत सिंह चन्नी का भी नाम
- अवैध रेत खनन मामले में ED कर चुकी है चन्नी से पूछताछ
- जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम फारूख अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती भी शामिल
- जम्मू कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन और जम्मू कश्मीर बैंक से जुड़ा मामला
- अरुणाचल प्रदेश के पूर्व सीएम नेबाम टुकी के खिलाफ सीबीआई ने की थी जांच
- साल 2019 में टुकी के खिलाफ सीबीआई ने की थी जांच
- मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी पर भ्रष्टाचार का आरोप
- ओकराम इबोबी पर पहले सीबीआई ने किया था केस दर्ज
- फिर ED ने PMLA के तहत मामला दर्ज किया
- गुजरात के पूर्व सीएम शंकर सिंह वघेला भी इससे अछूते नहीं
- वघेला सीबीआई और ईडी के रडार पर आ चुके हैं
- केंद्रीय मंत्री रहते हुए वघेला पर मुंबई में जमीन घोटाले का आरोप
अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से मिली थी केजरीवाल को पहचान
शुरुआत करते हैं दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल की। पिछले दशक के शुरुआती वर्षों में केजरीवाल भ्रष्टाचार के खिलाफ एक “योद्धा” के रूप में उभरे। उन्होंने एक एनजीओ और सूचना अधिकार कार्यकर्ता के रूप में काम करने के लिए भारतीय राजस्व सेवा की नौकरी छोड़ दी थी। 2012 में अन्ना हजारे के नेतृत्व वाले भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में उनकी भागीदारी ने उन्हें पहचान दिलाई। उनके साथियों और उन्होंने तब घोषणा की थी कि उनका चुनावी राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है और वे केवल सत्य, भाईचारे और न्याय के लिए लड़ रहे हैं। लेकिन जब उन्होंने आम आदमी पार्टी को लॉन्च की घोषणा की तो उनके प्रशंसक भी चौंक गए। अरविंद केजरीवाल ने तब यह तर्क दिया था कि राजनीतिक स्वच्छता के लिए अपने हाथ गंदे करने की आवश्यकता है। उन्होंने खुद को एक अपरंपरागत नेता के तौर पर पेश किया। AAP ने तब तर्क दिया था कि सफाई की राजनीति के लिए अपने हाथ गंदे करने की जरुरत है। उन्होंने खुद को एक अपरंपरागत नेता के तौर पर पेश किया। उन्हें ऑटो-रिक्शा चालकों या कामकाजी वर्ग के सदस्यों के साथ बैठे देखा जा सकता था। लेकिन पहले चुनाव के बाद सत्ता हासिल करने के लिए उन्होंने कांग्रेस से मदद ली। जिस पार्टी पर उन्होंने पहले भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। आम आदमी पार्टी इस बार कांग्रेस के साथ मिलकर आम चुनाव लड़ रही है।
समय के साथ बदलती गई सहयोगियों की कथनी और करनी
समय के साथ केजरीवाल के कुछ सहयोगियों को उनकी कथनी और करनी में विसंगति नजर आने लगी। कई लोगों ने या तो पार्टी छोड़ दी या बर्खास्त कर दिए गए। कहा जाता है कि केजरीवाल के पास वंचित और मध्यम वर्ग के मतदाताओं को समझने की अविश्वसनीय क्षमता है। पानी और बिजली पर सब्सिडी देने जैसे फैसलों से आम आदमी पार्टी ने दिल्लीवासियों का दिल जीत लिया। उनकी सरकार ने शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी अच्छा काम किया। बदले में दिल्ली की जनता ने उन्हें लगातार दो चुनावों में भारी बहुमत दिया। उनकी पार्टी पंजाब में सरकार बनाने में भी सफल रही और उसे राष्ट्रीय पार्टी के रूप में मान्यता मिली। जब उसे कुल वोटो में से 12.92 प्रतिशत वोट मिले। अब कथित उत्पाद शुल्क घोटाले के लिए हिरासत में लिया गया है। केजरीवाल और उनके सहयोगियों ने एक उत्पाद शुल्क नीति विकसित की। जिससे दिल्ली में भारतीय निर्मित विदेशी शराब सस्ती हो गई। शराब नीति में ढील देने से। आम आदमी पार्टी में उभरे नए चेहरों में से एक विजय नायर की नई शराब नीति में हिस्सेदारी थी। वह केजरीवाल के सहयोगियों में गिरफ्तार होने वाले पहले व्यक्ति थे। लेकिन जमानत पर बाहर हैं। बाद में डिप्टी सीएम रहे मनीष सिसोदिया और राज्यसभा सदस्य संजय सिंह को प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी की हिरासत में भेज दिया गया। अब अरविंद केजरीवाल की हिरासत से कई सवाल खड़े हो गए हैं। AAP का तर्क है कि उनके नेताओं के खिलाफ कोई सुराग नहीं मिला है। इसके बाद भी जेल में डाल दिया गया और उन्हें अभी तक अदालतों से न्याय नहीं मिला है।
क्या केजरीवाल और सोरेन को मिलेगा सहानुभूति का लाभ
हालाँकि, केजरीवाल के सहयोगियों ने संकेत दिया है कि वह पद नहीं छोड़ेंगे। राजनीतिक हलकों में इस बात को लेकर अटकलें तेज हैं कि क्या केजरीवाल और हेमंत सोरेन को सहानुभूति लहर का फायदा मिलेगा। यह भी आरोप लगाया कहा जा रहा है कि केवल बीजेपी का विरोध करने वालों को ही हिरासत में लिया जा रहा है। कि भाजपा एक पार्टी नहीं, बल्कि “वाशिंग मशीन” है। क्या यह एक नया चलन है? सियादल दल खासकर विपक्षी पार्टियां केंद्रीय जांच ब्यूरो को पिंजरे में बंद तोता” कहती हैं। केजरीवाल से पहले मनीष सिसौदिया और संजय सिंह जेल जा चुके हैं। अब आम आदमी पार्टी के पास कोई लोकप्रिय व्यक्ति नहीं है जो आप को एकजुट रख सके। वहीं हेमंत सोरेन के कारावास के बाद उनकी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा को भी इसी तरह की स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। हेमंत की भाभी सीता सोरेन ने बीजेपी में शरण मांगी है। अगर सोरेन लंबे समय तक जेल में रहेंगे तो परिवार पार्टी को अपने नियंत्रण में कैसे रखेंगे।