लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में 88 सीटों पर मतदान हो रहा है। 13 में से 6 राज्यों में बीजेपी और कांग्रेस प्रत्याशियों के बीच सीधा मुकाबला देखा जा रहा है। जिस पर सभी की नजरें हैं। सबसे ज्यादा केरल की 20 सीट शामिल हैं। जहां बीजेपी ने अब तक खाता भी नहीं खोला था। वही राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, जम्मू, असम, कर्नाटक में बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी लड़ाई नजर आ रही है। कही कहीं कांटे की टक्कर भी नजर आ रही है।
- 5 सीटों पर बिहार में एनडीए की ओर से जदयू के उम्मीदवार
- बिहार में दूसरे चरण की पांच सीट
- 5 में से कांग्रेस पिछली बार एक सीट जीतने में कामयाब रही
- किशनगंज सीट और कांग्रेस को जीत मिली थी
- पूर्णिया में तीन बार के सांसद पप्पू यादव दे रहे बीजेपी कांग्रेस को चुनौती
- असम में सीएए के जाल में कांग्रेस—बीजेपी
- असम की पांच सीटों पर बीजेपी कांग्रेस के बीच टक्कर
- असम की एक सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला
- पश्चिम बंगाल में महिला हिंसा को लेकर फ्रंट पर खेल रही भाजपा
- दूसरे चरण की सभी तीन सीटों पर इस समय भाजपा का कब्जा
- दार्जिलिंग सीट टीएमसी के पूर्व नौकरशाह गोपाल लामा सामने बीजेपी के राजू विस्ता
- छत्तीसगढ़ में भूपेश के सामने साफ बढ़ाने की चुनौती
- राजनांदगांव सीट से भूपेश चुनाव मैदान में
- बीजेपी ने भूपेश के सामने सांसद संतोष पांडे को उतारा
- छत्तीसगढ़ में दूसरे चरण में तीन सीटों पर वोटिंग
- तीनों सीटों पर 2019 में बीजेपी का कब्जा
महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण का मुद्दा
बात करें महाराष्ट्र की 8 सीटों की तो यहां मराठा आरक्षण एक बड़ा मुद्दा भरकर सामने आया है महाराष्ट्र में दूसरे चरण में 8 सीटों पर वोटिंग हो रही है। इनमें विदर्भ की पांच सीट तो मराठवाड़ा की तीन सीट शामिल है। बीजेपी और कांग्रेस के साथ एनसीपी शरद पवार वाले गुट और उद्धव की शिवसेना एकनाथ शिंदे की शिवसेना प्रकाश आंबेडकर की वंचित अगाड़ी पार्टी भी लोकसभा चुनाव के मैदान में मतदाताओं को रिझाती नजर आ रही है। शिंदे और ठाकरे की शिवसेना आमने-सामने हैं तो नवनीत राणा अमरावती से बीजेपी के टिकट पर उतरी हैं। इससे कुछ पार्टी कार्यकर्ता नाराज हैं। वहीं यवतमाल में पांच बार की संसद सांसद भावना गवली के स्थान पर दूसरे प्रत्याशियों को टिकट देने से देने से शिंदे समर्थकों में नाराजगी है। इन दोनों ही सीटों पर एनडीए के लिए चुनौती है। मराठवाड़ा, नांदेड़, हिंगोली के साथ परभणी में बीजेपी शिवसेना को मराठा आरक्षण के मसले पर नुकसान उठाना पड़ सकता है। हालांकि बीजेपी को लगता है अशोक चौहान को राज्यसभा भेजने से उसे फायदा मिल सकता है। लेकिन चौहान की सभा में ही आरक्षण समर्थकों ने जोरदार हंगामा करते हुए विरोधी नारे लगाए। उधर परभणी और हिंगोली में भी शिवसेना के उम्मीदवारों को इसी तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
बिहार में इंडिया बनाम जदयू की लड़ाई
बिहार की बात करें तो सीमांचल पूर्वी क्षेत्र में आर पार की जंग यहां भी हो रही है। दरअसल दूसरे चरण में बिहार की पांच कटिहार भागलपुर पूर्णिया किशनगंज और बांका में वोटिंग जारी है। इनमें पूर्णिया सबसे खास है। यहां मुकाबला त्रिकोणीय दिख रहा है। जदयू प्रत्याशी और वर्तमान सांसद संतोष कुशवाहा को राजद उम्मीदवार बीमा भारती के साथ निर्दलीय प्रत्याशी पप्पू यादव से भी चुनौती मिल रही है। वहीं किशनगंज सीट पर कांग्रेस के सांसद जावेद की जदयू के शाहनवाज आलम के साथ ही एमआईएम के अख्तरुल ईमान से त्रिकोणीय जंग है। तीनों ही सीटों पर मुस्लिम वर्ग से प्रत्याशी है। कटिहार की बात करें तो इंडिया गठबंधन और एनडीए के बीच यहां सीधा मुकाबला नजर आ रहा है। यहां पर जदयू के मौजूदा सांसद तुलालचंद गोस्वामी और पांच बार के कांग्रेस सांसद तारीख अनवर मैदान में है। भागलपुर में जदयू के अजय मंडल के सामने कांग्रेस के अजीत शर्मा चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं पूर्वी बिहार में बांका सीट पर राजद के जयप्रकाश और जदयू के गिरधारी यादव के बीच कांटे की टक्कर है।
कर्नाटक-बीजेपी को भरोसा तो कांग्रेस को उम्मीद
कर्नाटक की 14 सीटों पर मतदाता कतार में लगे हुए हैं। इनमें ड्यूटी चिकमगलूर अमन दक्षिण कन्नड़ तुम कर चित्र दुर्गा मैसूर मदंगिया श्याम राज नगर बेंगलुरु ग्रामीण बेंगलुरु उत्तर बेंगलुरु मध्य सीट के साथ चिकबलपुर और कोलार सीट शामिल हैं। कर्नाटक में इस बार जीडीएस ने बीजेपी बीजेपी को साथ दे रही है। जीडीएस तीन सीटों पर चुनाव मैदान में है। 2019 में बीजेपी ने यहां 11 सीट जीतने में कामयाबी हासिल की थी। उसे पर प्रदर्शन दोहराने चुनौती के साथ उसे भरोसा भी है। वहीं डीके बंधुओं के लिए बेंगलुरु सीट बचाना प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है। उधर बेंगलुरु दक्षिण में बीजेपी ने वर्तमान सांसद और युवा नेता तेजस्वी सूर्य पर एक बार फिर दांव खेल हैं। जबकि कांग्रेस ने महिला नेता सौम्य रेड्डी को चुनाव मैदान में उतारा है। मांड्या सीट की बात करें तो एनडीए गठबंधन के उम्मीदवार कर्नाटक के पूर्व सीएम कुमार स्वामी यहां से चुनाव मैदान में हैं। कांग्रेस में से वेंकट रमन उन्हें चुनौती देते नजर आ रहे हैं। कांग्रेस मुसलमान को साधने में जुटी है तो वहीं दलित समुदाय को जोड़ने नजर आ रहा है। इसके अलावा कांग्रेस में वोकलिंग और लिंगायत समुदाय पर भी दांव लगाया है। ऐसे में कांग्रेस को उम्मीद है कि विधानसभा चुनाव की तरह लोकसभा चुनाव में भी वह जादू कर सकती है।