लोकसभा चुनाव में आरक्षण बनेगा बड़ा सियासी मुद्दा,जातियों को साधने का जतन शुरु!

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अगले साल होने जा रहे लोकसभा चुनाव में आरक्षण बड़ा सियासी मुद्दा बनकर उभर सकता है। भाजपा ने मराठा आरक्षण की मांग के बीच जाट आरक्षण के शिगूफे की काट के लिए तैयारी शुरू कर दी है। गृह मंत्री अमित शाह ने तेलंगाना में ऐलान कर ओबीसी के साथ ही एसटी समुदाय को भी साधने की कोशिश की है। गृह मंत्री ने चुनावी सभा में घोषणा की है कि पार्टी सत्ता में आई तो ओबीसी सीएम बनेगा। साथ ही, मुस्लिम समुदाय को मिल रहे 4 प्रतिशत आरक्षण को काटकर उसे एसटी समुदाय को देंगे और मदिगा (एसटी) जातियों को भी लाभ मिलेगा।

सूत्रों की माने तो सरकार की कोशिश है कि सभी पात्र जातियों को आरक्षण में हिस्सेदारी मिले। भाजपा के एक महासचिव के मुताबिक गैर यादव ओबीसी और गैर जाटव दलितों की ज्यादातर जातियों को आरक्षण नहीं मिल पा रहा है। रोहिणी आयोग का गठन इन्हीं खामियों को दूर करने के लिए किया गया है। विपक्षी दल जाति जनगणना की मांग कर रहे हैं तो इसका अर्थ यह है कि संख्या के आधार पर उन्हें भी प्रतिनिधित्व दिया जाए। यूपी में भाजपा के साथ पहले ही पिछड़ी जातियों में मजबूत पकड़ वाले दल हैं। इनमें अपना ‘दल सोनेलाल, निषाद पार्टी व सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी शामिल हैं। लोनिया चौहान समुदाय के दारासिंह चौहान भी सपा से भाजपा में आ चुके हैं। खास बात है कि भाजपा के साथी दल भी जाति जनगणना के समर्थक हैं और भाजपा के साथ रहते हुए मांग कर रहे हैं।

ये है भाजपा की रणनीति

राज्य के पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री नरेंद्र कश्यप के मुताबिक, हर विधानसभा में ओबीसी व दलित समाज के 500 नए कार्यकर्ता तैयार किए जा रहे हैं। प्रदेश में दो लाख नए कार्यकर्ता तैयार करने की योजना है। इन्हें दिसंबर में प्रशिक्षित किया जाएगा। जनवरी में प्रयागराज में ओबीसी महाकुंभ होगा। पिछड़ा वर्ग सोशल मीडिया के जरिये नए लोगों को जोड़ेगा।

बदली पिछड़ों की पसंद

उत्तरप्रदेश में 2014 से बीजेपी अति पिछड़ी और अति दलित जातियों के बल पर चुनाव जीतती आ रही है। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा के साथ रालोद गठबंधन को महज 15 सीटों पर रोकने और 64 सीट जीतने में बीजेपी सफल हो चुकी है। साल 2022 में सपा सुप्रिमो अखिलेश यादव ने अतिपिछड़ी जातियों के साथ गठबंधन कर विधानसभा चुनाव में कुछ कर दिखाने की मंशा बनाई थी, लेकिन गैर यादव पिछड़ी और गैर जाटव दलित जातियों का बीजेपी को साथ मिला, जिससे योगी राज कायम हो सका। इस बार भी लोकसभा चुनाव के पहले उत्तरप्रदेश में विपक्ष की जाति जनगणना की मांग का मुकाबला करने के लिए बीजेपी पिछड़ी और अति पिछड़ी जातियों में पैठ मजबूत करने में जुटी है। बीजेपी ने 6 क्षेत्रों के संगठन प्रभारी और 98 नगरों और जिलों के प्रभारी तैनात करने में करीब 55 से 60 प्रतिशत तक पिछड़ी और दलित कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी दी गई है। पार्टी इसी माह दिसंबर में राज्य के हर जिले में ओबीसी सम्मेलन करने की तैयारी में भी है।

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