झारखंड में 13 मई को चौथे चरण में लोकसभा की चार सीट खूँटी, लोहरदगा, पलामू और सिंहभूम मैं मतदान होगा। लोकसभा सीट लोहरदगा,खूँटी और सिंहभूम एससी और पलामू एसटी वर्ग के लिए रिजर्व है। लोकसभा की चारों सीट राज्य के करीब 10 जिलों और 23 विधानसभा क्षेत्र अब तक फैली हुई है। खूंटी और सिंहभूम में एनडीए इंडिया में सीधी टक्कर नजर आ रही है। तो लोहरदगा और पलामू में गठबंधन की गांठ खुलती नजर आ रही है। हालांकि हवा का रुख क्या कहता है यह वोटर के मिजाज से समझा जा सकता है कि लोहरदगा और सिंहभूम लोकसभा सीट में सरना धर्म कोड लागू न होने और पूर्व सीएम हेमंत सोरेन के जेल जाने के मुद्दे पर जोरदार चर्चा हो रही है।
- नक्सल प्रभावित राज्यों में शामिल है झारखंड
- पिछली बार एनडीए को मिली थी 14 में से 12 सीट
- 2019 में एनडीए को मिला था 56 प्रतिशत वोट शेयर
- कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा को मिली थी 2019 में हार
- झारखंड में 13 मई को चौथे चरण में होगा मतदान
- झारखंड की चार सीटों पर मतदान
- अब तक झारखंड में चार
- 2004 में कांग्रेस में 6 बीजेपी ने एक सीट जीती थी
- 2019 में बीजेपी का वोट शेयर 50% से अधिक रहा
- 2019 में यहां 25 महिला प्रत्याशी थी
- लगातार तीन चुनाव से भाजपा का दबदबा
- बीजेपी को सबसे ज्यादा सीट और सबसे ज्यादा वोट शेयर
- सिंहभूम और खूँटी में एनडीए इंडिया गठबंधन के बीच लड़ाई
इन क्षेत्रों में ईसाई मिशनरियों का भी खासा प्रभाव है। हालांकि 15 नवंबर को भगवान बिरसा मुंडा को राष्ट्रीय गौरव देकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आदिवासी समुदाय को अपनी और गोलबंद करने का प्रयास किया था। पलामू में बेरोजगारी पलायन और सिंचाई एक बड़ा मुद्दा है। इन सब से अलग शहरी क्षेत्र की बात करें और खासकर महिला मतदाताओं की बात करें तो श्री राम मंदिर और पीएम नरेंद्र मोदी की गारंटी पर यहां भरोसा है। सिंहभूम में बीजेपी और झारखंड मुक्ति मोर्चा के बीच सीधी लड़ाई है जबकि पलामू खूंटी और लोहरदगा में बाकी प्रत्याशी और कुछ चर्चित चेहरों के मैदान में जाने से मुकाबला चुनावी मुकाबला रोचक हो सकता है। लोहरदगा में भर्ती झारखंड मुक्ति मोर्चा के बागी विधायक चमरा लिंडा मैदान में हैं तो इंडिया गठबंधन के लिए उनसे निपटना ही सबसे बड़ी चुनौती होगी। हालांकि इंडिया महागठबंधन की यह पूरी आशा मोदी विरोध पर टिकी हुई है। दूसरी ओर बात करें आज भाजपा के लिए बड़ी सहयोगी सिद्ध हो रही है।
2919 में महज 1445 वोट से जीते थे अर्जुन मुंडा
खूंटी लोकसभा सीट पर अर्जुन मुंडा 1445 वोट से पिछले 2019 के चुनाव में जीते थे। 2019 में उनका मुकाबला कांग्रेस के कालीचरण मुंडा से था। इस बार भी दोनों पुराने प्रतिद्वंद्वी चुनावी मैदान में उतरे हैं और मुकाबला कर रहे हैं हालांकि पत्थलगड़ी आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली बबीता रक्षक ने भारत आदिवासी पार्टी से नामांकन कर चुनाव में मुकाबला त्रिकाणिय बना दिया है। मगर इसका लाभ अर्जुन मुंडा को मिल सकता है। वहीं लोहरदगा सीट की बात करें तो झारखंड मुक्ति मोर्चा यहां पर इंडिया गठबंधन का खेल बिगाड़ सकता है। झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक चमरा लिंडा लोहरदगा में इंडिया गठबंधन का खेल बिगाड़ सकते हैं। वे यहां चुनावी मैदान में उतरे हैं। चमरा लिंडा लोहरदगा संसदीय सीट के विष्णुपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। बीजेपी से महेंद्र उराव ने नामांकन किया है। इस सीट पर भाजपा के समीर उरांव और कांग्रेस के सुखदेव भगत के बीच मुख्य मुकाबला माना जा रहा है। लेकिन चमरा लेना के आ जाने से लड़ाई त्रिकोणीय संघर्ष में बदल चुकी है। वह झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस के लिए परेशानी खड़ी कर सकते हैं। इसी पर बीजेपी को लाभ मिल सकता है।
सिंहभूम सीट पर झामुमो और बीजेपी के बीच मुकाबला
सिंहभूम लोकसभा सीट पर झारखंड मुक्ति मोर्चा ने एकजुट होने से बीजेपी को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। यहां कांग्रेस से बीजेपी में आई गीता कोड़ा और झारखंड मुक्ति मोर्चा विधायक जोबा मांझी के बीच सीधी लड़ाई है। सिंहभूम में 6 विधानसभा सीट आती हैं और सभी विधानसभा सीटों पर झारखंड मुक्ति मोर्चा का कब्जा है। सभी ने समर्थन किया है। उनके समर्थन समर्थक एकजुट रहे तो बीजेपी को सिंहभूम में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में जोबा भारी पड़ेगी। हालांकि गीता कोड़ा पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की पत्नी है। सिंहभूम में हो समुदाय 65% है। गीता भी इसी समुदाय से ताल्लुक रखतीं हैं। इस पर उनकी पकड़ भी मजबूत है। एक दो झारखंड मुक्ति मोर्चा विधायक भी आखरी समय पर सहयोग कर सकते हैं। ऐसे में गीता कोड़ा दूसरी बार सिंहभूम सीट से जीत दर्ज कर सकती है। वही पलामू लोकसभा सीट की बात करें तो पूर्व सांसद रामेश्वर से आरजेडी को नुकसान होने की संभावना है। पिछले 10 साल से बीजेपी के विष्णु दयाल राम की संसद हैं उनके सामने हैट्रिक लगाने की चुनौती है लेकिन उनकी टक्कर इस बार राजद की ममता भूइया से है। हालांकि बसपा से कामेश्वर बेटा के चुनावी मैदान में उतरने से मुकाबला यहां रोचक नजर आ रहा है। 2009 में कामेश्वर झारखंड की मोर्चा के टिकट पर 2019 में विष्णु राम 4 लाख 77 हजार मतों के भारी अंतर से चुनाव में जीते थे।