देश में मौसमी गरमी के साथ ही लोकसभा चुनाव की सरगर्मी भी बढ़ गई है और नेताओं के मुंह जुबानी हमले भी इस समय तेज हो गए हैं। नेताओं के विवादित बयान से लेकर नारे तक चुनावी माहौल में मुद्दे बन जाते हैं और किसी पार्टी को फायदा तो किसी को इसका नुकसान झेलना पड़ता है। विरोधी दल के बयान को बीजेपी मुद्दा बनाने में माहिर है। विरोध दल के बयानों को बीजेपी बिना देर किये ऐसा मुद्दा बना लेती है, जिससे खुद विरोधी दलों के नेता घिरते नजर आते हैं। चौकीदार चोर है से लेकर मोदी का परिवार नहीं .. 56 इंच का सीना और अब 2024 में मंगलसूत्र तक ऐसे ही कुछ विरोधी दलों के बयान हैं। जिन्हें बीजेपी ने चुनावी मुद्दा बनाकर कैंपेन चलाया और अपने लिए सत्ता की राह आसान कर ली।
चुनाव के बीच बदल गए सियासी मुद्दे
- विकास से मंगलसूत्र पर आई सियासी
- 2024 की सुपररेस..बैकफुट पर कांग्रेस!
- विदेश में विरासत टैक्स..देश में आर-पार
- क्या मोदी को करवाएंगे 400 पार
- 2019 में गूंजा था चौकीदार चोर है
- राहुल गांधी ने तब कहा था चौकीदार चोर है
- चुनावी जनसभाओं में राहुल कहते फिर रहे थे चौकीदार चोर
- बीजेपी ने चला दी थी जवाब में मुहिम
- बीजेपी नेताओं चलाई थी मैं हूं चौकीदार मुहिम
- 2014 में गूंजा चाय वाला पीएम नहीं बनेगा
- मणिशंकर अय्यर ने मोदी को चायवाला बताकर उड़ाया था मजाक
- जनवरी 2014 में कांग्रेस अधिवेशन में दिया था बयान
- बीजेपी ने चायवाला को ऐसा सियासी ट्विस्ट
- पूरा माहौल ही मोदी के पक्ष में हो गया
बीजेपी ने कांग्रेस के मेनिफेस्टो को मुद्दा बना दिया और कांग्रेस महंगाई बेरोजगारी के साथ ही जातिगत जनगणना पर जोर दे रही है। मुद्दों की इसी टकराहट में एक और नया मुद्दा जुड़ गया है। चुनाव से ठीक पहले विरासत टैक्स पर सियासत गरमा गई है। इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सेम पित्रोदा ने कांग्रेस की मुश्किलें एक फिर बढ़ा दी हैंं। वहीं कांग्रेस और बीजेपी के बीच आर-पार की सियासी जंग शुरू हो गई है।
चौकीदार चोर है से मंगलसूत्र से और विरासत कर तक
इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सेम पित्रोदा ने कांग्रेस की मुश्किलें एक फिर बढ़ा दी हैंं। उनका अमेरिकी टीवी चैनल पर दिया गया एक बयान भारत में कांग्रेस के गले की हड्डी बन गया है। सेम पित्रोदा ने अमेरिका के कुछ राज्यों में लागू विरासत कर को निष्पक्ष और अपना पसंदीदा कानून बताया। हालांकि इस पर उन्होंने सोशल मीडिया पर तुरंत सफाई भी पेश कर दी और कहा उनका यह निजी विचार था। कांग्रेस से इसका कोई लेना-देना नहीं है। सेम पित्रोदा ने कहीं नहीं कहा कि यह कर भारत में लगना चाहिए। वहीं कांग्रेस मीडिया प्रभारी जयराम रमेश ने भी कहा कि सेम पित्रोदा के बयान को उनका निजी बयान बताते हुए कहा किसी मुद्दे पर कांग्रेस का पक्ष हो यह जरूरी नहीं है।
पित्रोदा का बयान, कांग्रेस की सफाई
कांग्रेस और उसके वरिष्ठ नेता सेम पित्रोदा के विरासत कर वाले बयान पर सफाई देती रही लेकिन इससे पहले यह मुद्दा चुनावी रंग में रंग चुका था। बीजेपी ने इसे हाथों-हाथ लपकते हुए अपनी चुनावी सभा में इसे उछालना शुरू कर दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में अलग अलग जगाहों पर अपनी चुनावी जनसभाओं में इसका उल्लेख करते हुए कांग्रेस पर करारा हमला किया। पीएम ने इसे लूट करार देते कहा ..यह ऐसी लूट है जो जिंदगी के साथ भी है और जिंदगी के बाद भी रहेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छत्तीसगढ़ के सरगुजा मध्य प्रदेश के सागर और बैतूल में सभाएं की भोपाल में रोड शो किया जहां उन्होंने सैम पित्रोदा के इस बयान का पूरा-पूरा उल्लेख करते हुए चुनावी लाभ लेने की कोशिश की। यह वही सेम पित्रोदा हैं जिन्होंने 2019 के चुनाव के दौरान भी एक विवाद बयान दे दिया था। जिसमें कहा था की 1984 में जो हुआ सो हुआ। आप यानी भाजपा ने पिछले 5 साल में क्या किया। उसकी बात कीजिए। तब तक हरियाणा और पंजाब में मतदान नहीं हुआ था। ऐसे में बीजेपी ने इसे चुनावी मुद्दा बना लिया।
2019 में राहुल ने दिया था चौकीदार चोर है का नारा
2019 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो उस समय भी कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने राफेल डील में घोटाले को लेकर केन्द्र की मोदी सरकार पर गंभीर आरोप लगाकर मुद्दा बनाया। राहुल ने प्रधानमंत्री मोदी को घेरने के लिए अपनी चुनावी जनसभाओं में चौकीदार चोर है कहना शुरू कर दिया था। इसके साथ ही राहुल गांधी ने कहा था कि अब सुप्रीम कोर्ट ने भी मान लिया है कि चौकीदार चोर है। हालांकि राहुल गांधी ने अपने इस अवमानना वाले बयान पर बाद में माफी मांग ली थी। लेकिन तब तक बीजेपी ने इस मुद्दे चुनावी रंग दे दिया और जवाब देने के लिए बीजेपी ने देश भर में मैं भी चौकीदार कैंपेन चला दिया था। बीजेपी नेताओं ने उस समय अपने सोशल मीडिया अकाउंट का बायो बदला और नाम के साथ मैं हूं चौकीदार लिखकर कांग्रेस पार्टी पर पलटवार किया था। बीजेपी नेताओं ने चुनावी सभाओं में कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि जो पार्टी 70 साल तक मलाई खाती रही। वो आज एक गरीब चौकीदार को चोर बता रही है। राहुल गांधी के इस बयान के बाद कांग्रेस को चुनाव में खामियाजा भुगतना पड़ा था। उसे चुनाव में फिर करारी हार झेलनी पड़ी थाी।
‘भीख मांगना भी नौकरी ही है’… से चढ़ा था सियासी पारा
2019 के चुनाव से पहले 28 जनवरी 2018 में पूर्व केन्द्रीय मंत्री पी चिदंबरम के एक बयान को बीजेपी ने हाथों हाथ लपक लिया था। दरअसल पूर्व वित्तमंत्री चिदंबरम ने पीएम नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए सोशल मीडिया पर लिखा था कि प्रधानमंत्री ने कहा था कि पकौड़े बेचना भी एक नौकरी है। इस हिसाब से तो भीख मांगना भी नौकरी ही है। गरीबों और बेसहारा लोग जो भीख मांगते हैं उन्हें भी नौकरीपेशा माना जाना चाहिए..दरअसल, एक इंटरव्यू में उस समय PM मोदी ने कहा था कि ‘कोई व्यक्ति किसी दफ्तर के नीचे पकौड़े बेचता है’ तो क्या उसे रोजगार नहीं माना जाएगा?।
2014 में गूंजा चाय वाला पीएम नहीं बनेगा
2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान नरेन्द्र मोदी के खिलाफ जिस बयान ने सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरी वो थी कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर की एक टिप्पणी थी। मणिशंकर अय्यर ने मोदी को चायवाला बताकर मजाक उड़ाया था। उन्होंने जनवरी 2014 में कांग्रेस अधिवेशन में कहा था कि नरेंद्र मोदी जब चुनाव हार जाएं तो वे कांग्रेस के पास आएं। कांग्रेस उन्हें 24, अकबर रोड में कैंटीन का ठेका दे देगी। मणिशंकर अययर के इस बयान का दूरगामी असर पड़ा। उस समय प्रशांत किशोर मोदी का कैंपेन संभाल रहे थे। पीके ने चायवाला को ऐसा ट्विस्ट दिया गया कि पूरा माहौल ही मोदी के पक्ष में हो गया। उनकी मुहिम सफल भी रही। 2014 के चुनाव प्रचार में बीजेपी ने मणिशंकर अय्यर के बयान को अपना हथियार बनाया। जिससे वार से कांग्रेस को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा। 2014 के चुनावी नतीजे जब आए तो बीजेपी को पूर्ण बहुमत मिला था और कांग्रेस महज 44 सीट पर सिमट कर रह गई थी।